15 August Independence Day Poem in Hindi – यहां पढ़ें 15 अगस्त पर देशभक्ति कविता
15 August Independence Day Poem in Hindi – 15 august par kavita hindi, 15 august par desh bhakti kavita – 15 अगस्त को हर साल हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 हम आज़ाद हुए 75 वर्ष पूरे कर चुके हैं और हम देश की स्वतंत्रता के 76 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा इस बार देशभर में 75वें वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर पढ़िए देशभक्ति से भरी कविताएं।
15 August Independence Day Poem in Hindi
1 – कविता – 15 august par kavita hindi
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, आज़ादी का मतलब नहीं समझते,
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते, गाकर अपना राष्ट्रगान तिरंगे का सम्मान करते
कुछ देशभक्ति की झांकियों से, दर्शकों को मोहित हैं करते,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, आज़ादी का सिर्फ यही अर्थ है समझते
वक्ता अपने भाषणों में, न जाने क्या-क्या हैं कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर, बस हम तो ताली हैं बजाते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, आज़ादी का अर्थ सिर्फ इतना ही हैं समझते
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर, गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ, स्कूल का अवकाश हो जाता
शिक्षकों की डाँट का डर, इस दिन न हमको कोई सताता,
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का लुत्फ़ बहुत है आता
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, बस इतना ही समझते
15 August Independence Day Poem in Hindi
2 – कविता – 15 august par kavita hindi
आज तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी,
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया,
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है,
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है,
उसके आँचल की छैयाँ में छोटा सा ये संसार है
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएंगे,
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है
विश्व शांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।
15 August Independence Day Poem in Hindi
3 – कविता – 15 august par kavita hindi
भारत माँ के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना,
पर्वत, नदिया और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना
तुममे हिमगिरी की ऊँचाई सागर जैसी गहराई है,
लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममें
भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में,
गौतम, गाँधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में।
संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया,
मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया
आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना,
भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊँचा और उठाना।
15 August Independence Day Poem in Hindi
4 – कविता
हाँ मैं इस देश का वासी हूँ,
इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाऊंगा,
जीने का दम रखता हूँ,
तो इसके लिए मरकर भी दिख लाऊंगा,
नज़र उठा के देखना ऐ दुश्मन मेरे देश को,
मरूंगा मैं ज़रूर पर तुझे मारकर ही मरूंगा,
कसम मुझे इस मिट्टी की,
कुछ ऐसा मैं कर जाऊंगा,
हाँ मैं इस देश का वासी हूँ,
इस माटी का कर्ज़ चुकाऊंगा।
15 August Independence Day Poem in Hindi
5- कविता – 15 august par kavita hindi
एक बड़ी ही मधुर कहानी आज सुनाना चाहती हूँ,
भारत माँ के अनुपम प्रेम की गाथा सुनाना चाहती हूँ,
एक बड़ी ही सुंदर देवी चिड़ियाँ सोने की कहलाती थी,
समस्त जगत की सारी खुशियाँ जहाँ सहज ही मिल जाती थी,
प्रेम करुणा विनय सरलता जो बच्चों को अपने सिखलाती थी,
वसुधैव कुटुम्बकम् और अतिथि देवो भवः यह गीत सदा वो गाती थी,
बच्चे निर्मल कोमल सच्चे मन के भोले थे,
माता की वो करते सेवा मिल जुलकर रहते थे,
संस्कारों से प्रेरित होकर बच्चों ने जब अतिथि का सम्मान किया,
निर्दयी निर्लज्ज अतिथि फिरंगियों ने तब आतिथ्य का अपमान किया,
निर्दयता से करते थे शासन बच्चों को वो मार पीट कर,
तडप रही थी माँ भारती बच्चों की यह हालत देखकर,
आये तब माँ के वीर सपूत सुनकर माँ की करूण पुकार,
मार भगाया दुष्टों को आया माँ को तब करार,
लौट आई फिर माँ की प्यारी सी कोमल मुस्कान,
गूंज उठी फिर अम्बर तल पर जय भारत की मीठी गान,
ख़ुशी ख़ुशी दिन बीत रहे थे चारों तरफ छाई थी खुशहाली,
चारों तरफ बिखर रही थी, भारत माँ की करुण लाली,
फिर अचानक हुआ यूं खो गये कहीं माँ के सपूत,
आपस में ही लड़ते हैं वो मन में बैर रखते हैं वो,
शराफत का ओढ़ के चोला अपनों को ही डसते हैं वो,
माँ की चिंता कहा किसी को बस अपनी ही चिंता करते हैं वो,
जाने कैसे रहती है वो घुट घुट कर ही जीती है वो,
सह रही थी ज़ुल्म फिरंगियों के क्योंकि बेटा साथ था,
अब कैसे वो सहे बताओं अबकी बार तो बेटों का ही हाथ था,
ना जाने कैसे अब कौन सुनेगा भारत माँ की करुण पुकार,
ना जाने अब कौन आएगा बनकर माँ का सच्चा लाल।
( Monika Rangire )
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