Aja ekadashi vrat katha or puja vidhi- जानें ‘अजा’ एकादशी का महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि
Aja ekadashi vrat katha or puja vidhi – Aja Ekadashi 2021 Shubh Muhurat – भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘अजा’ एकादशी कहलाती है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से सभी पापों का नाश होता है। इस साल 3 सितम्बर 2021 को ‘अजा’ एकादशी मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इसका काफी महत्व है। इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है। तो जाने अजा एकादशी का महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि
Aja ekadashi vrat katha or puja vidhi
अजा एकादशी महत्व- aja ekadashi ka mahatva – Kab Hai Aja Ekadashi 2021
- भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और घर में सुख- समृद्धि आती है। इसके साथ ही उन्हें स्वर्ग प्राप्त होता है।
- अजा एकादशी का महत्व हमारे पुराणों में भी मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत का महत्व युधिष्ठिर को बताया था। यह व्रत राजा हरिश्चंद्र द्वारा भी किया गया था, इसके फलस्वरूप उन्हें अपना मृत पुत्र और राज्य भी प्राप्त हो गया था।
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अजा एकादशी कथा – ekadashi ki kahani – aja ekadashi puja vidhi shubh muhurat in hindi – aja ekadashi ki vrat katha
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। वह अत्यन्त वीर, प्रतापी तथा सत्यवादी था। एक दिन उसने अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को भी बेच दिया। वह राजा चांडाल का दास बनकर रहने लगा और मृतकों के वस्त्र ग्रहण करता रहा, लेकिन इस दौरान उसने सत्य का साथ नहीं छोड़ा। जब ऐसा करते हुए उसे कई साल बीत गए तो एक दिन राजा को चिंता सताने लगी और मन में विचार आने लगा कि मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूं जिससे मेरा उद्धार हो जाए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दुखभरी कहानी सुनाई।
Aja ekadashi vrat katha or puja vidhi
राजा की दुखभरी कहानी सुनकर गौतम ऋषि ने कहा कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम पूरे विधिपूर्वक उसका व्रत करो। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद राजा ने अजा एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए और स्वर्ग से ढोल- बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। इस दौरान राजा ने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को पुन: राज्य भी मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग चले गए। तभी से ये व्रत रखा जाने लगा।
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ऐसे करें पूजा- aja ekadashi vrat vidhi – aja ekadashi puja vidhi shubh muhurat in hindi
- सुबह उठकर स्नान करें, फिर पवित्र जल से पूरे घर में छिड़काव करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत या साफ जल से स्नान कराएं।
- उनको चंदन का तिलक लगाएं और वस्त्र धारण कराएं।
- भगवान पर पुष्प, फल, नारियल, सुपारी, लौंग, पान, चावल, गंगाजल आदि चढ़ाएं।
- धूप-दीप आदि से उनकी आरती करें, व्रत की कथा सुने और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन निर्जल व्रत का विधान है।
- संध्या समय में कथा सुनने के बाद फल खाएं और पानी पीएं।
- अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उपवास खोलें।
- ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
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Aja ekadashi vrat katha or puja vidhi
शुभ मुहूर्त – aja ekadashi kab ki hai – aja ekadashi puja vidhi shubh muhurat in hindi
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 02, 2021 को 08:51 ए. एम बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 03, 2021 को 10:14 ए. एम बजे
- पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 06:07 ए एम से 08:37 ए एम, 4 सितम्बर
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