Amar Jawan Jyoti History in Hindi: क्या है अमर जवान ज्योति का इतिहास?
India Gate Amar Jawan Jyoti History in Hindi – Amar Jawan Jyoti – प्रत्येक देश की प्रगति तथा बाह्य व आंतरिक सुरक्षा में सबसे बड़ा योगदान सुरक्षा सेना का होता है। निस्वार्थ भाव से देश के लिए समर्पित रहने वाले सैन्य सेना के बिना देश का उत्थान असंभव है। भारत के दिल्ली में ऐतिहासिक गेट पर 50 सालों से जल रही अमर जवान ज्योति उन्हीं राष्ट्र वीरों का स्मारक है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना भारत देश को दुश्मनों के सामने गिरने नहीं दिया। अक्सर कई लोग भारत की राजधानी दिल्ली में विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों की सैर करने के लिए जाते हैं, दिल्ली में मौजूद लाल किला, पुराना किला आदि कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जो भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हैं। इसी क्रम में दिल्ली में मौजूद इंडिया गेट भी ऐतिहासिक स्थलों में से एक है जहां 24 घंटे ज्योति प्रकाशमान रहती है। पर क्या आप जानते हैं कि इंडिया गेट पर जलने वाली इस ज्योति का क्या उद्देश्य तथा क्या इतिहास रहा है? आज हम इस लेख के माध्यम से आपको यही बताने वाले हैं कि आखिर इस अमर जवान ज्योति का इतिहास क्या है? इसके साथ ही जानिए इंडिया गेट पर क्यों अमर जवान ज्योति की लौ जगमग है?
India gate amar jawan jyoti history in hindi – Amar Jawan Jyoti
अमर जवान ज्योति का इतिहास
सन 1971 में जब देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी तब तक पाकिस्तान और बांग्लादेश का विभाजन नहीं हुआ था, जिसके साथ ही पाकिस्तानी ने यह मांग की थी कि बांग्लादेश की राष्ट्रीय भाषा उर्दू घोषित हो लेकिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान के इस फैसले को ठुकरा दिया। बांग्लादेश के निवासी बंगाली भाषा को ही अपनी राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। इसी प्रकार पाकिस्तान अपने फैसलों को बांग्लादेश पर थोपने की कोशिश करता रहा, परंतु बांग्लादेश के निवासियों द्वारा हमेशा पाकिस्तान के फैसलों का बहिष्कार किया जाता रहा जिसके चलते पाकिस्तान ने बांग्लादेश पर कत्लेआम शुरू कर दिया। पाकिस्तान के क्रूर अत्याचारों के कारण बांग्लादेश के निवासियों का पलायन बढ़ता गया। इस भयंकर विवाद को रोकने और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए भारत देश ने अपने कदम बढ़ाए।
3 दिसंबर से लेकर 16 दिसंबर,1971 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चला जिसमें भारत की विजय हुई और कूटनीति समझ से बांग्लादेश को मुक्ति मिली। इस युद्ध में हमारे देश के हज़ारों सैनिक शहीद हो गए। साल 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में 3,843 शहीदों की स्मृति में दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला लिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश के 23वें गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी सन् 1972 में अमर जवान ज्योति स्मारक का उद्घाटन किया।
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India gate Amar jawan jyoti history in hindi
अमर जवान ज्योति स्मारक का स्वरूप
अमर जवान ज्योति स्मारक को नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित इंडिया गेट के नीचे बनाया गया है। इस स्मारक पर संगमरमर के पत्थरों का चबूतरा बना हुआ है जिस पर स्वर्ण अक्षरों में अमर जवान लिखा हुआ है। इस स्मारक पर 25,942 शहीदों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हैं। इस स्मारक के चारों कोनों में चार कलश रखे हुए हैं, जिसमें से एक कलश में साल 1971 से अमर जवान ज्योति अर्थात् अग्नि की लौ प्रज्वलित है। कुछ समय तक यह ज्योति एलपीजी गैस द्वारा जलाई जा रही थी, किंतु साल 2006 से यह अमर जवान ज्योति सीएनजी गैस के द्वारा प्रज्वलित की जाती है। अमर जवान ज्योति स्मारक पर एक बेहद विशिष्ट चीज़ अपनी ओर आकर्षित करती है, वह है राइफल और फौजी का हेलमेट। स्मारक के शीर्ष पर L1A1 आत्मलोडिंग ऑटोमेटिक राइफल लगी हुई है व इसके बैरल पर किसी अंजान शहीद सैनिक का फौजी हेलमेट लटका हुआ है। स्मारक पर मौजूद राइफल का अर्थ है अपना तन मन और क्षमता तथा स्मारक पर मौजूद फौजी के हेलमेट का अर्थ है जीवन अथवा प्राण, अर्थात इस प्रकार स्मारक पर दिखाई देने वाली राइफल के ऊपर टंगा फौजी का हेलमेट इस बात का संकेत है कि भारतीय सेना अपना तन मन और जीवन बिना किसी स्वार्थ के राष्ट्रीय व समाज पर समर्पित करती है।
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अमर जवान ज्योति स्मारक की देखरेख व सम्मान –
इंडिया गेट पर मौजूद अमर जवान ज्योति स्मारक की देखने के लिए हर समय एक व्यक्ति उपस्थित रहता है। साल 1971 में जब अमर जवान ज्योति स्मारक का उद्घाटन किया गया था, तब 26 जनवरी के समस्त राजनेताओं की उपस्थिति में शहीदों के विजयी नारे लगे थे। तब से लेकर आज तक हर साल 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस की परेड निकालने से पूर्व भारत के प्रधानमंत्री सहित, वायु सेना, थल सेना तथा जल सेना के प्रमुख और अन्य महत्वपूर्ण राजनेता अमर जवान ज्योति स्मारक पर आकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हर साल 26 जनवरी के दिन अमर जवान ज्योति स्मारक पर मौजूद चारों कलशों में एक साथ दीप प्रज्वलित किया जाता है। इस दिन पूरा भारत शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अपना शीश झुकाते हैं।
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अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय समर स्मारक में किया जाएगा विलय
इंडिया गेट पर मौजूद अमर जवान ज्योति स्मारक का इतिहास 50 साल पुराना है। पांच दशकों से चल रही अमर जवान ज्योति की लौ इस साल 26 जनवरी को बुझा दी जाएगी। वर्तमान सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर दूरी पर स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक नेशनल वॉर मेमोरियल में जलने वाली ज्योति में विलय कर दिया जाएगा।
शहीदों की अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय समर स्मारक में विलीन करने का कारण:
दिल्ली में इंडिया गेट के पास ही नेशनल वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में बना हुआ है। इस स्मारक पर भारत की स्वतंत्रता तथा अन्य कई युद्ध व घटनाओं में शहीद हुए 26000 सैनिकों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हैं। नेशनल वार मेमोरियल का उद्घाटन वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा साल 2019 में किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, भारत में अभी तक शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई निश्चित स्थान उपलब्ध नहीं था, जिसके चलते अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट के नीचे रखा गया, परंतु अब 40 एकड़ में बना नेशनल वॉर मेमोरियल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए सर्वोत्तम स्मारक बन गया है जिसके चलते वर्तमान सरकार ने यह निर्णय लिया है।
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