दिल्ली के लोटस टेम्पल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
Amazing facts about lotus temple – कमल मंदिर का निर्माण कमल के फूल के आकार में किया गया है| इस मंदिर का निर्माण बहाई समुदाय ने करवाया था। यह मंदिर बहाई की आस्था और श्रद्धा का सबसे मशहूर मंदिर है। इस मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं है। अपने शांत वातावरण के लिए ये मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। तो आइये जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
- बहाई धर्म के पूरे देश में सात मंदिर हैं जिसमे से एक है दिल्ली का कमल मंदिर। दिल्ली के अलावा ये मंदिर सिडनी, पनामा, अपिया, कम्पाला, फ्रैंकफर्ट और विलेमेट में हैं।
- इस मंदिर को वास्तुकार फ़रीबर्ज़ सहबा द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इस डिज़ाइन ने लिए उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर पुरस्कार दिए गए थे।
- मंदिर का निर्माण संगमरमर के मार्बल से कराया गया है। ये मार्बल ग्रीस से मंगवाया गया था।
- मंदिर का उद्घाटन 24 दिसंबर 1986 को हुआ, लेकिन आम जनता के लिए इसे 1 जनवरी 1 9 87 को खोला गया।
- इस मंदिर की बनावट कुछ इस तरह से की गई है कि दिन के समय किसी भी तरह की लाइटिंग की ज़रूरत ना पड़े, सिर्फ सूरज की रोशनी काफी हो।
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- कमल मंदिर में हर रोज़ कम से कम 10,000 लोग आते हैं।
- कमल मंदिर का आकार कमल की तरह इसलिए दिया गया है क्योंकि कमल हिंदू, बौद्ध, जैन और इस्लाम धर्म का प्रतीक है। मंदिर के अंदर बताया जाता है कि भगवान एक है।
- मंदिर में 9 दरवाज़े हैं जो आर्क के आकार में बने हुए हैं। ये दरवाज़े मंदिर के सेंट्रल हॉल में खुलते हैं।
- इस मंदिर में एक साथ 2500 लोग बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं।
- लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर के निर्माण में कमल की 27 पंखुडियां बनी हुई हैं।
- इसे बनने में करीब 10 साल का समय लगा था ।
- मंदिर में हर एक घंटे में पांच मिनट के लिए प्रार्थना की जाती है।
- मंदिर चारों ओर से नौ बड़े जलाशयों से घिरा है, जो न सिर्फ इसकी की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि मंदिर के प्रार्थनागार को ठंडा रखने का भी काम करता है।
- यहां बच्चों के लिए क्लासिज़ का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चों को न्याय,एकता और सच्चाई की भावना सिखाई जाती है।
- मंदिर के अंदर एक सूचना केंद्र भी है, जहां लोगों को बहाई धर्म के बारे जानकारी दी जाती है। सूचना केंद्र के निर्माण में करीब पांच साल का समय लगा था।
- शाम के समय मंदिर में जाने का सबसे अच्छा ऑप्शन है। शाम के वक्त लाइटिंग के कारण इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है।
- मंदिर में ज़ोर- ज़ोर से प्रार्थना या ऊँची आवाज़ में बोलने की अनुमति नहीं है। यहां शांत रहकर प्रार्थना की जाती है।
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अच्छी जानकारी दी आपने