भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जनक, समाज सुधारक और राष्ट्रीय नेता थे गंगाधर तिलक
Bal Gangadhar Tilak in Hindi – बाल गंगाधर तिलक का राष्ट्रीय आंदोलन में अहम योगदान रहा है। इन्हें समाज सुधारक और राष्ट्रीय नेता के तौर पर जाना जाता है। बाल गंगाधर भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे जिन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। इसके साथ ही इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें।
Bal Gangadhar Tilak in Hindi – Interesting facts about bal gangadhar tilak in hindi
जन्म और शिक्षा – Bal Gangadhar Tilak in Hindi – Interesting facts about bal gangadhar tilak in hindi
- बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को, महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली में गाँव हुआ था।
- इन्हें केशव गंगाधर तिलक, लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। पेशे से ये लेखक, राजनेता, स्वतंत्रता सैनानी, समाज सुधारक, शिक्षक व वकील थे।
- इनके पिता का नाम गंगाधर तिलक और माता पार्वती बाई थी।
- साल 1877 में इन्होंने संस्कृत और गणित में डेक्कन कॉलेज, पुणे से स्नातक पूरी की और इसके बाद एल.एल.बी. का अध्ययन किया।
- साल 1897 में लॉ कॉलेज, मुंबई से लॉ की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कालेजों में गणित भी पढ़ाया।
- अंग्रेजी शिक्षा के ये बहुत बड़े आलोचक थे। भारत में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए इन्होंने दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की।
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ऐसा था राजनीतिक सफर – Bal Gangadhar Tilak in Hindi
- तिलक ने इंग्लिश में दो केसरी नाम से दैनिक समाचार पत्र शुरू किए जिनका नाम मराठा दर्पण व मराठी केसरी नाम रखा। ये दोनो समाचार पत्र लोगों को बहुत पसंद आने लगे।
- इन समाचार पत्रों के ज़रिए तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की साथ ही ये माँग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दें, लेकिन इन खबरों को लिखने की वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
- साल 1890 में इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कदम रखा और इस पार्टी के दृष्टिकोण का विरोध किया, जोकि स्व-शासन के लिए लड़ाई की ओर नहीं था।
- उनका कहना था कि ब्रिटिशों के खिलाफ अपने आप में साधारण संवैधानिक आंदोलन करना व्यर्थ है।
- इसके कुछ समय बाद इन्हें प्रमुख कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के खिलाफ खड़ा किया गया। वे अंग्रेजों को दूर करने के लिए एक सशस्त्र विद्रोह चाहते थे।
- लार्ड कर्ज़न द्वारा किए गए बंगाल के विभाजन के समय तिलक जी ने स्वदेशी आंदोलन और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार का समर्थन किया था, लेकिन इस समर्थन के चलते कांग्रेस और आंदोलन के अंदर कई और विवाद खड़े हो गए।
- कुछ समस बाद ये कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे। 1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गया।
- गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे।
- 1908 में इन्होंने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा स्थित मांडले की जेल भेजा गया।
- जेल से छूटने के बाद इन्होंने 1916 में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की।
कैसे मिली लोकमान्य की उपाधि – Bal Gangadhar Tilak in Hindi
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता बाल गंगाधर तिलक ने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ नारा दिया।
- इसके साथ ही आज़ादी का बिगुल बजाने वाले तिलक ने ब्रिटिश राज की क्रूरता की निंदा की और देश की जनता को आज़ादी के लिए प्रेरित किया। इसी वजह से उन्हें लोकमान्य की उपाधि दी गई।
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पुस्तकें
- तिलक ने कई पुस्तकें लिखीं, लेकिन उनके द्वारा मांडले जेल में लिखी गई गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट है, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया।
- श्रीमदभगवतगीता रहस्य या कर्मयोग शास्त्र, वेद काल का निर्णय, आर्यों का मूल निवास स्थान, हिंदुत्व, श्यामजीकृष्ण वर्मा को लिखे तिलक के पत्र, वेदों का काल-निर्णय और वेदांग ज्योतिष आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं।
निधन – Bal Gangadhar Tilak in Hindi
- बाल गंगाधर तिलक मधुमेह के शिकार हो गए थे जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया। 1 अगस्त 1920 को मुबंई में उनका निधन हो गया।
- बाल गंगाधर तिलक को श्रद्धांजलि देते हुए गांधीजी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रांति का जनक बताया।
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