Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat – भद्रकाली जयंती शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat – Bhadrakali Jayanti kab hai 2022 –  भद्रकाली का रूप महान देवी पार्वती के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक है। देवी भद्रकाली का उल्लेख सभी धर्म-पुराणों में मिलता है। भद्रा का अर्थ होता है आशीर्वाद, सौभाग्य और समृद्धि से परिपूर्ण। भद्रकाली जयंती का पर्व देवी भद्रकाली के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 26 मई 2022 को है। तो चलिए जानते हैं भद्रकाली जयंती शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधिBhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat

Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat –  Bhadrakali Jayanti kab hai 2022

भद्रकाली जयंती कब है?

भद्रकाली जयंती इस साल 26 मई 2022 को है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भद्रकाली माता की पूज़ा अर्चना करते हैं। भद्रकाली जयंती का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के 11 वें दिन यानी कि एकादशी के दिन मनाया जाता है। जो भी व्यक्ति भद्रकाली जयंती के दिन व्रत रखता है और श्रद्धा के साथ देवी भद्रकाली की पूजा करता है उसके जीवन के सभी दुःख दूर हो जाते हैं। भद्रकाली जयंती का पर्व भारत के अलग – अलग राज्यों में मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि इस शुभ दिन पर देवी भद्रकाली, देवी सती की मृत्यु के पश्चात् भगवान शिव के बालों से प्रकट हुई थीं। हिन्दू धर्म में भद्रकाली जयंती को एक महत्वपूर्ण पूजा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भद्रकाली जयंती का पर्व आर्यन सारस्वत ब्राह्मणों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भद्रकाली जयंती का उत्सव हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में बहुत प्रसिद्ध है।

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भद्रकाली जयंती का महत्व – Bhadrakali jayanti ka mahatva in hindi 

देवी पार्वती का भद्रकाली रूप सबसे लोकप्रिय है जिसे राजपूतों द्वारा युद्ध से पहले पूजा जाता है। भद्रकाली जयंती की महिमा का उल्लेख निलयम पुराण (निलमत पुराण) में भी किया गया है। भद्रकाली जयंती के दिन देवी काली की पूजा करने से मानव जीवन की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं। भद्रकाली जयंती के दिन देवी भद्रकाली की पूजा करने से कुंडली से संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है। भारत के कुछ राज्यों में, भद्रकाली जयंती को भद्रकाली एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। जब मंगलवार और रेवती नक्षत्र भद्रकाली जयंती के दिन पड़ते हैं, तो इसे अधिक शुभ माना जाता है। इस अवसर पर कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, मद्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में देवी भद्रकाली के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।

Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat

मां भद्रकाली, शक्ति और उग्रता का प्रतीक

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, देवी का स्त्री रूप भगवान शिव के उत्तर मुख से उत्पन्न हुआ है। इनका रंग नीला है और इनकी तीन आंखें हैं। तांत्रिक परंपराएं देवी भद्रकाली को महाकाल या भैरव के रूप में शिव की पत्नी मानती हैं। तंत्र ग्रंथों की व्याख्या के अनुसार शिव को चेतना के रूप में और काली को शक्ति या ऊर्जा के रूप में दर्शाया गया है। चेतना और ऊर्जा एक दूसरे पर निर्भर हैं, ताकि सृजन, संरक्षण और विनाश में उनकी भूमिका को पूरा किया जा सके।

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माता कालिका के अनेक रूप

माता कालिका के अनेक रूप हैं, जिनमें दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली, महाकाली, श्यामा काली, गुह्य काली, अष्टकाली और भद्रकाली आदि अनेक रूप शामिल हैं। कहा जाता है सभी रूपों की अलग-अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। वहीं भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है आशीर्वाद या सौभाग्य देने वाली मां, जिनकी पूजा मुख्यतः दक्षिण भारत में होती है। भद्रकाली मां काली का शांत स्वरूप है और इस रूप में मां काली वर देती हैं।

Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat

 भद्रकाली जयंती शुभ मुहूर्त 2022

  • भद्रकाली जयंती 26 मई 2022
  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 25 मई, 2022 को 10:32 ए.एम
  • एकादशी तिथि समाप्त- 26 मई, 2022 को 10:54 ए.एम

भद्रकाली जयंती पूजा विधि – Bhadrakali jayanti puja vidhi 2022

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और काले या नीला रंग के वस्त्र पहने।
  • लकड़ी की चौकी पर भद्रकाली माता की मूर्ति को रखें।
  • अब माता की प्रतिमा को गंगाजल, दूध, चीनी, शहद और घी से पवित्र स्नान कराए।
  • इसके बाद ‘पंचामृत’ से माता का अभिषेक करें।
  • इस दिन देवी को नारियल पानी चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है।
  • माता कोको कुमकुम का तिलक करें।
  • इसके बाद देवी के मंत्रों का पाठ करें।
  • आरती करते व्रत का संकल्प लें।

Bhadrakali Jayanti Puja Vidhi Shubh Muhurat

भद्र काली मंत्र विधि – Bhadrakali Jayanti Mantra 

भद्र काली मंत्र जाप के साथ-साथ ही हवन इत्यादि भी करना शुभ होता है। समस्त प्रकार की शुचिता को ध्यान में रखते हुए किया गया पूजन ही सर्वफल सिद्धिदायक होता है।

  • मंत्र जाप के समय चित्त शुद्धि, स्थान शुचिता इत्यादि पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • पवित्र आसन पर विराजित होकर देवी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

भद्रकाली माता का मंत्र और स्तुति : – Bhadrakali Jayanti stuti 

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ॥

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