भानगढ़ का किला जहां सूर्यास्त के बाद सजती है भूतों की महफिल
Bhangarh fort haunted Stories in hindi – भानगढ़ का किला एक ऐसा रहस्यमी किला है जहां हर रात भूतों की महफिल सजती है। ये किला राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का बाघ अभयारण्य की सीमा पर स्थित है। भानगढ़ किला कमज़ोर दिल वालों के लिए नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस किले में सूर्यास्त के बाद रुकना मना है। तो चलिए आपको इस डरावने किले के बारे में बताते हैं।
Bhangarh fort haunted Stories in hindi- भानगढ़ किले की डरावनी स्टोरी
- भानगढ़, राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर है। यहाँ का किला बहुत प्रसिद्ध है जो ‘भूतिया किला’ माना जाता है।
- इस किले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1583 में बनवाया था। भगवंत दास के छोटे बेटे और मुगल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया और 1613 में माधो सिंह ने इस किले को अपनी राजधानी बनाया।
- ये किला चारदीवारी से घिरा है जिसके अन्दर प्रवेश करते ही दायीं ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं। किला चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
- इस किले को दुनिया के सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर आज भी भूतों का डेरा है। ऐसा बताया जाता है कि इस किले में सूर्यास्त के बाद जो भी गया वो फिर कभी भी वापस नहीं आया। कुछ लोगों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा है।
- इसी के चलते भारत सरकार द्वारा सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद वहां जाने पर रोक लगा दी गई है। यहां के स्थानीय लोगों की माने तो यहां आने के बाद पर्यटक आज भी एक अलग तरह के डर और बेचैनी का अनुभव करते हैं।
- इतना ही नहीं लोगों का मानना है कि इस किले में आज भी लोगों को तलवारों की आवाज़ और लोगों की चींखें सुनाई देती हैं। किले के कमरों में महिलाओं के रोने या फिर चूड़ियों के खनकने की भी आवाज़ें साफ सुनाई देती हैं।
Bhangarh fort haunted Stories in hindi
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इस भूतिया किले से जुड़ी दो कहानियां प्रचलित हैं
- पहली कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भानगढ़ बालूनाथ योगी की तपस्या स्थल था जिसने इस शर्त पर भानगढ़ के किले को बनाने की सहमति दी थी कि किले की परछाई कभी भी उनकी तपस्या स्थल को नहीं छूनी चाहिए।
- लेकिन राजा माधो सिह के वंशजों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और किले का निर्माण जारी रखा। एक दिन किले की परछाई तपस्या स्थल पर पड़ गयी जिसके चलते योगी बालूनाथ ने भानगढ़ को श्राप देकर ध्वस्त कर दिया। आज भी श्री बालूनाथ जी की समाधि वहां पर मौजूद है।
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दूसरी कहानी
- दूसरी कहानी के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत सुन्दरी थी जिसके स्वयंवर की तैयारी चल रही थी। उसी राज्य में एक सिंघिया नाम का तांत्रिक था जो राजकुमारी को पाना चाहता था, पर यह संभव नहीं था।
- इसी के चलते तांत्रिक सिंघिया ने राजकुमारी की दासी जो राजकुमारी के श्रृंगार के लिए तेल लाने बाज़ार आयी थी उस तेल को जादू से सम्मोहित करने वाला बना दिया।
- राजकुमारी के हाथ से वह तेल एक चट्टान पर गिर गया और वह चट्टान तांत्रिक सिंघिया की तरफ लुढ़कती हुई आई और उसके ऊपर गिर गई जिससे तांत्रिक की मृत्यु हो गई। तांत्रिक सिंघिया मरते समय उस नगरी व राजकुमारी का नाश होने का श्राप दे दिया जिससे यह नगर ध्वस्त हो गया।
अब इन कहानियों में कितनी सच्चाई है ये तो हमें नहीं पता, लेकिन लोगों द्वारा ये डरावनी बातें और कहानियां बताई गई हैं।
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