रहस्यमयी शिव मंदिर, जहां बिजली गिरते ही चूर-चूर हो जाते हैं महादेव
Bijli mahadev kullu history – भगवान शंकर की शक्ति और महिमा को पूरी दुनिया जानती है। भगवान शिव के भारत में कई मंदिर प्रसिद्ध हैं, जिनमे अलग-अलग रहस्य छुपे हैं। इनमें से कई मंदिर ऐसे भी हैं जिनके रहस्यों का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। इनमें से एक मंदिर है कुल्लू की गोद में बसा बिजली महादेव का मंदिर। यहां हर बारह साल में एक बार शिवलिंग पर बिजली गिरती है और शिवलिंग खंडित हो जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कुल्लू के बिजली महादेव के बारे में।
Bijli mahadev kullu history – बिजली महादेव मंदिर का इतिहास
कहाँ है बिजली महदेव का मंदिर ?
- हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बसा है बिजली महादेव का मंदिर।
- कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत पर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है।
- इसे रहस्यमयी मंदिर कहा जाता है क्योंकि आज तक कोई भी इसकी गुत्थी सुलझा नहीं पाया है।
- इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता।
- मगर यह बिजली सीधा शिवलिंग पर गिरती है जिससे वह खंडित हो जाता है। इस बिजली के गिरने से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। लेकिन भगवान शिव की महिमा ऐसी अपरमपार है कि यह शिवलिंग टूटने के बाद फिर से ठोस आकार ले लेता है।
- शिवलिंग खंडित होने के पीछे ऐसी मान्यता है कि भगवान महादेव अपने भक्तों का कष्ट हरते हैं और उन्हें दुःख और धन की कमी से बचाते हैं।
Bijli mahadev kullu history
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पौराणिक कथा । Pauranik katha
- कथाओं के अनुसार इस मंदिर में कुलान्त नामक दैत्य रहता था। एक बार उसने सारे जीवों को मारने के लिए व्यास नदी का पानी रोक दिया था। उसे ऐसा करते देख महादेव गुस्से से लाल हो गए। इसके बाद महादेव ने एक माया रची और वह दैत्य के पास गए और उसे कहा कि उसकी पूंछ में आग लगी है।
- महादेव की बात को सुनकर दैत्य ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो शिवजी ने त्रिशुल से कुलान्त के सिर पर वार किया और उसे मार डाला। उसके बाद दैत्य का विशालकाय शरीर पहाड़ में तब्दील हो गया, जिसे आज हम कुल्लू के पहाड़ के नाम से जानते हैं। भगवान शिव ने कुलान्त का वध करने के बाद इन्द्र से कहा कि वह हर 12 साल में यहां बिजली गिराएं। ऐसा करने के लिए भगवान शिव ने इसलिए कहा ताकि यहां कभी लोगों को कोई दुःख या धन की कमी न हो।
- इस कारण ऐसा माना जाता है कि भगवान खुद बिजली के झटके को सहन कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
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कैसे जोड़ा जाता है खंडित शिवलिंग?
- शिवलिंग खंडित होने के बाद यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं।
- ऐसा करने के कुछ ही समय बाद शिवलिंग अपने ठोस रूप में आ जाती है।
- कुछ ही माह बाद शिवलिंग अपने पुराने रंग रूप में आ जाती है।
- इस शिवलिंग को स्थानीय लोग मक्खन महादेव के नाम से भी पुकारते हैं।
- बिजली महादेव का चत्मकार देखने के लिए साल भर यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यह जगह समुंद्र तल से 2450 मीटर पर स्थित है।
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