Chanakya Niti in Hindi – जानिए चाणक्य नीति क्या है?
Chanakya niti in hindi – chanakya niti kya hai – चाणक्य नीति औेर चाणक्य सीख – चाणक्य नीति के बारे में तो आप लोगों ने काफी बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चाणक्य नीति किसकी है और इस नीति का क्या उद्देश्य है? चलिए आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से चाणक्य नीति के बारे में पूरी जानकारी देते हैं, यदि आप भी चाणक्य नीति से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारा लेख अंत तक अवश्य पढ़े।
Chanakya niti in hindi – chanakya niti kya hai
चाणक्य नीति किसने लिखी है?
- चाणक्य नीति चाणक्य द्वारा लिखी गई है। अब आपके मन में यह सवाल आया होगा कि यह चाणक्य कौन है? तो हम आपको बता दें कि चाणक्य मगध के सीमावर्ती गांव के एक साधारण ब्राह्मण थे, जिनका जन्म 371 ईसा पूर्व में हुआ था।
- चाणक्य के पिता का नाम चणक था। उनके पिता चणक ने उनका नाम चाणक्य रखा था।
- चाणक्य का नाम कौटिल्य था। यह कौटिल्य नाम उनके पिता ने रखा था। इतना ही नहीं चाणक्य को विष्णु गुप्त और वात्सायन के नाम से भी जाना जाता है।
- कुछ विद्वानों के अनुसार कौटिल्य का जन्मपंजाब के ‘चणक’ क्षेत्र में हुआ था अर्थात आज का चंडीगढ़, जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उनका जन्म दक्षिण भारत में हुआ था।
- कई विद्वानों का यह मत है कि वह कांचीपुरम के रहने वाले द्रविण ब्राह्मण अर्थात दक्षिण भारतीय निषाद थे। वह जीविकोपार्जन की खोज में उत्तर भारत आए थे। कुछ विद्वानों के मतानुसार केरल भी उनका जन्म स्थान बताया जाता है। इस संबंध में उनके द्वारा चरणी नदी का उल्लेख इस बात के प्रमाण के रूप में दिया जाता है।
- कई विद्वानों ने उन्हें मगध का ही मूल निवासी माना है। कुछ बौद्ध साहित्यों ने उन्हें तक्षशिला का निवासी बताया है।
- कौटिल्य के जन्मस्थान के संबंध में अत्यधिक मतभेद रहने के कारण निश्चित रूप से यह कहना कि उनका जन्म स्थान कहाँ था, कठिन है, परंतु कई सन्दर्भों के आधार पर तक्षशिला को उनका जन्म स्थान मानना ठीक होगा।
- प्राचीन संस्कृत शास्त्रज्ञों की परंपरा में, आचार्य चणक के पुत्र विष्णुगुप्त-चाणक्य का स्थान विशेष है। वे गुणवान, राजनीति कुशल, आचार और व्यवहार में मर्मज्ञ, कूटनीति के सूक्ष्मदर्शी प्रणेता और अर्थशास्त्र के विद्वान माने जाते हैं।
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चाणक्य नीति क्या है?
- चाणक्य नीति चाणक्य ( कौटिल्य) द्वारा लिखी गई है। इसमें उन्होंने कुछ ऐसी बातों का उल्लेख किया है जिसको मानने वाले हर व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
- चाणक्य द्वारा निर्मित यह एक नीति ग्रंथ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं।
- इसका मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा एवं सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की प्रगति की झाँकियां प्रस्तुत की गई हैं।
- इस नीतिपरक ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन-व्यवहार तथा आदर्श और यथार्थ का बड़ा सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है।
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चाणक्य की सीख
चाणक्य एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते थे जहां अनेक लोग उनसे परामर्श और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। जिस जंगल में वह रहते थे, वह पत्थरों और कंटीली झाडि़यों से भरा था। चूंकि उस समय प्राय: नंगे पैर रहने का ही चलन था, इसलिए उनके निवास तक पहुंचने में लोगों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता था। वहां पहुंचते-पहुंचते लोगों के पांव में छाले पड़ जाते थे। एक दिन कुछ लोग उस मार्ग से बेहद परेशानियों का सामना कर चाणक्य तक पहुंचे। एक व्यक्ति उनसे निवेदन करते हुए बोला, आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर यहां की ज़मीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दें। इससे लोगों को आराम होगा।
उसकी बात सुनकर चाणक्य मुस्कराते हुए बोले, महाशय, केवल यहीं चमड़ा बिछाने से समस्या हल नहीं होगी। कंटीले व पथरीले पथ तो इस विश्व में अनगिनत हैं। ऐसे में पूरे विश्व में चमड़ा बिछवाना तो असंभव है, हां यदि आप लोग चमड़े से अपने पैरों को सुरक्षित कर लें तो ज़रूर आप इस पथरीले पथ व कंटीली झाडि़यों से बच सकते हैं। वह व्यक्ति सिर झुकाकर बोला, ‘हां गुरुजी, मैं अब ऐसा ही करूंगा।’ इसके बाद चाणक्य कहने लगे कि मेरी इस बात के पीछे भी गहरा सार है। तुम दूसरों को सुधारने की बजाय खुद को सुधारो। इससे तुम अपने कार्य में विजय अवश्य हासिल कर लोगे। दुनिया को नसीहत देने वाला कुछ नहीं कर पाता जबकि उसका स्वयं पालन करने वाला कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंच जाता है। इस बात से सभी सहमत हो गए और यह सीख पाकर कई लोगों ने अपनी जीवन बदल लिया।
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