Chandraghanta Mata ki katha: मंगलमय होगा नवरात्रि का तृतीय दिन, पढ़ें माता चंद्रघंटा की कथा
Chandraghanta mata ki katha – maa chandraghanta mata ki katha – maa chandraghanta katha pdf download – नवरात्रि के नौ दिनों में तीसरा दिन माता चंद्रघंटा का है। चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को शक्ति तथा ओज की प्राप्ति होती है। चंद्रघंटा देवी का अवतार मुख्य रूप से दानवों तथा दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ। आज हम आपके लिए नवरात्रि के तीसरे दिन की कथा लेकर प्रस्तुत हुए हैं।
Chandraghanta mata ki katha – देवी चंद्रघंटा की कथा – maa chandraghanta katha pdf in hindi
माता चंद्रघंटा असुरों के विनाश हेतु नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में अवतरित हुई थी। भयंकर दानवों को मारने वाली यह देवी हैं। असुरों की शक्ति को क्षीण करके, देवताओं का हक दिलाने वाली देवी चंद्रघंटा शक्ति का रूप हैं। शास्त्रों के ज्ञान से परिपूर्ण, मेधा शक्ति धारण करने वाली देवी चंद्रघंटा संपूर्ण जगत की पीड़ा को मिटाने वाली हैं। आपका मुख मंद मुस्कान से कान्तिवान, निर्मल, अलौकिक तथा चंद्रमा के बिम्ब प्रतीक सा उज्ज्वल है। ऐसा दिव्य स्वरूप देखकर भी महिषासुर ने देवी के अलौकिक स्वरूप पर प्रहार किया। उनके प्रेम, स्नेह का रूप तब भयंकर ज्वालामुखी की भांति लाल होने लगा, यह क्षण आश्चर्य से भरा हुआ था। उनके इस रूप का दर्शन करते ही महिषासुर भय से कांप उठा। उन्हें देखते ही दानव महिषासुर के प्राण तुरंत निकल गये। आखिर यमराज को देखकर भला कौन जीवित रह सकता है।
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Chandraghanta mata ki katha
देवी चंद्रघंटा एक अद्भुत शक्ति का रूप हैं परमात्मस्वरूपा देवी चंद्रघंटा के प्रसन्न होने पर जगत का अभ्युदय होता है, जगत का समस्त क्षेत्र हरा भरा, पावन हो जाता है, परंतु देवी चंद्रघंटा के क्रोध में आ जाने पर तत्काल ही असंख्य कुलों का सर्वनाश हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार महिषासुर के राक्षस कुल का अंत देवी चंद्रघंटा ने क्षण भर में कर डाला। इस बात का अनुभव मात्र ज्ञानी जन ही कर सकते हैं।
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तेज़ तथा शक्तिस्वरूपा देवी चन्द्रघण्टा ने जैसे ही राक्षस समूहों का संहार करने के लिए धनुष को आकाश की ओर किया, वैसे ही देवी के वाहन सिंह ने भी दहाड़ना शुरू कर दिया और माता पुनः घण्टे के शब्द से उस ध्वनि को और बढ़ा दिया। इस धनुष की टंकार, सिंह की दहाड़ एवं देवी चंद्रघंटा का असुरों को नष्ट करने का साहस बढ़ता गया तथा महिषासुर का समस्त दानव कुल छीन भिन्न होकर मरता रहा।
जय माता चंद्रघंटा।।
जय माता दी।।
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