Dadasaheb Phalke Biography In Hindi – जानें दादा साहब फाल्के कौन थे और उन्होंने किस प्रकार भारत में सिनेमा की शुरुआत की?
Dadasaheb Phalke Biography In Hindi – Dadasaheb Phalke Jayanti – दुनिया में जब सिनेमा काफी उन्नत स्तर पर प्रगति कर चुका था, तब भारत में सिनेमा की मौजूदगी ना के बराबर थी। ऐसे में दादा साहब फाल्के जी ने भारतीय सिनेमा को जन्म दिया। दादा साहब फाल्के जी के महत्वपूर्ण प्रयासों के कारण ही भारतीय सिनेमा को उत्कृष्ट रूप प्राप्त हुआ। भारतीय फिल्म जगत को नया व आधुनिक रूप देने में दादा साहब फाल्के की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्म जगत के पहले प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और मूवी डायरेक्टर बने। यह एक मात्र ऐसे प्रथम फिल्मी जगत के कलाकार हुए जिनके नाम पर भारत सरकार ने पुरस्कार देने की घोषणा की थी। आज हम आपको भारतीय फ़िल्म उद्योग के पितामह “दादा साहब फाल्के ” के जीवन के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
Dadasaheb Phalke Biography In Hindi – Dadasaheb Phalke Jayanti
दादा साहब फाल्के का जीवन-परिचय – Dadasaheb Phalke life facts
- पूरा नाम – धुन्दीराज गोविंद फालके
- जन्म – 30 अप्रैल, 1870, नासिक,महाराष्ट्र
- प्रसिद्धि – फिल्म जगत के जनक
- मौत – 16 फ़रवरी, 1944
- दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल सन् 1870 में नासिक, महाराष्ट्र में त्र्यंबकेश्वर नगर के एक मराठी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम गोविंद फाल्के था, जो कि संस्कृत के जाने माने विद्वान और एक सम्मानित शिक्षक थे।
- इनके बचपन का नाम धुन्दीराज गोविंद फालके था, लेकिन पूरी दुनिया में यह दादा साहब फाल्के के नाम से प्रसिद्ध हुए।
- दादा साहब फाल्के ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई से की। हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कला की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दादा साहब फाल्के ने जे.जें. स्कूल ऑफ आर्ट्स में प्रवेश लिया और फिर वे वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय चले गए, जहां उन्होंने पेटिंग, इंजीनियरिंग, ड्राइंग, मूर्तिकला, फोटोग्राफी आदि का ज्ञान प्राप्त किया।
- अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एक छोटे फोटोग्राफर के रूप में अपने करियर की शुरुआत कर दी।
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Dadasaheb Phalke Biography In Hindi
दादा साहब फाल्के का करियर – Dadasaheb Phalke Career – Dadasaheb Phalke Jayanti
- दादा साहब फाल्के जी ने अपनी शिक्षा के बाद यूं तो एक छोटे फोटोग्राफर के रूप में काम करना शुरू किया था लेकिन अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद उन्होंने यह काम छोड़ दिया और फिर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग में काम किया।
- यहां काम करने के कुछ दिनों बाद अपना प्रिटिंग प्रेस खोल लिया। इसके लिए ज़रूरी मशीन दादा साहब फाल्के ने जर्मनी से मंगवाई।
- अपनी इस प्रिंटिंग प्रेस से उन्होंने एक मासिक पत्रिका भी पब्लिश की, लेकिन दादा साहब फाल्के को इन कामों से संतुष्टि नहीं मिली, जिसके चलते वह सिनेमा में अपना भविष्य संवारने के लिए चल दिए।
- साल 1911 में दादा साहब फाल्के जी ने मंबई मेंईसा मसीह के जीवन पर बनी एक मूक फिल्म देखी जिसके बाद उनके मन में भारत के महान व्यक्तियों पर फिल्म बनाने का विचार आया। इस विचार को पूरा करने के लिए दादा साहब फाल्के लंदन की ओर चल दिए और वहां जाकर फिल्म बनाने से जुड़ी सारी जानकारी, तकनीक व सामान लेकर वापस लौटे।
- साल 1912 में दादा साहब फाल्के ने फाल्के फिल्म नाम की एक कंपनी की शुरुआत की। फिल्मी जगत में उनका रुझान इतना बढ़ चुका था कि उन्होंने साल 1913 में अपनी पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चन्द्र बना दी।
- इसके बाद दादा साहेब फाल्के ने भस्मासुर मोहनी फिल्म बनाई, जिसमें कमला गोखले एवं दुर्गा गोखले पुरुषों ने महिला का किरदार निभाया था, दरअसल उस दौरान पुरुष ही महिला के किरदार की भूमिका निभाते थे।
- दादा साहब ने अपने फिल्मी करियर के 20 सालों में करीबन 121 फिल्मों का निर्माण किया, जिसमें 95 फिल्में और 26 शॉर्ट फिल्में रही। इनमें से ज़्यादातर फिल्में दादा साहब फाल्के द्वारा ही लिखीं और डायरेक्ट की गईं थी।
- दादा साहब फाल्के ने साल 1932 में अपनी आखिरी मूक फिल्म सेतुबंधन बनाई थी, जिसे बाद में डब करके आवाज़ भी दी गई थी। इसके अलावा फाल्के जी ने अपने करियर में एक मात्र बोलती फिल्म ‘गंगावतरण’ बनाई थी।
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Dadasaheb Phalke Biography In Hindi – Dadasaheb Phalke filmography In Hindi
दादा साहब फाल्के द्वारा निर्देशत फिल्में..
दादासाहब ने अपने 19 साल के लंबे फिल्मी करियर में कुल 95 फिल्में और 27 लघु फिल्मे बनाई थी।
- राजा हरिश्चंद्र(1913)
- मोहिनी भास्मासुर (1913)
- सत्यवान सावित्री (1914)
- लंका दहन (1917)
- श्री कृष्ण जन्म (1918)
- कलिया मर्दन (1919)
- बुद्धदेव (1923)
- बालाजी निम्बारकर (1926)
- भक्त प्रहलाद (1926)
- भक्त सुदामा (1927)
- रूक्मिणी हरण (1927)
- रुक्मांगदा मोहिनी (1927)
- द्रौपदी वस्त्रहरण (1927)
- हनुमान जन्म (1927)
- नल दमयंती (1927)
- भक्त दामाजी (1928)
- परशुराम (1928)
- कुमारी मिल्ल्चे शुद्धिकरण (1928)
- श्रीकृष्ण शिष्टई (1928)
- काचा देवयानी (1929)
- चन्द्रहास (1929)
- मालती माधव (1929)
- मालविकाग्निमित्र (1929)
- वसंत सेना (1929)
- बोलती तपेली (1929)
- संत मीराबाई (1929)
- त मीराबाई (1929)
- कबीर कमल (1930)
- सेतु बंधन (1932)
- गंगावतरण (1937)- दादा साहब फाल्के द्वारा निर्देशित पहली बोलती फिल्म है।
Dadasaheb Phalke Biography In Hindi
दादा साहब फाल्के के पुरस्कार – Dadasaheb Phalke Award in Hindi
- दादा साहब फाल्के की 100वीं जयंती के अवसर पर साल 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की गई थी।
- साल 1969 में सबसे पहले अभिनेत्री देविका रानी को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।यह पुरस्कार वर्ष के अंत में राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ दिया जाता है। भारत सरकार की ओर से दादा साहब फाल्के पुरस्कार में दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल और शॉल प्रदान किया जाता है।
- वर्ष 2008 में यह पुरस्कार कर्नाटक के वी.के. मूर्ति को प्रदान किया गया था, जो इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाले पहले सिनेमैटोग्राफर थे।
- ‘दादा साहब फाल्के अकेडमी’ के द्वारा भी दादा साहब फाल्के के नाम पर तीन पुरस्कार भी दिए जाते हैं पहला फाल्के रत्न अवार्ड, दूसरा फाल्के कल्पतरु अवार्ड और तीसरा दादा साहब फाल्के अकेडमी अवार्ड्स।
Dadasaheb Phalke Biography In Hindi
दादा साहेब फाल्के जयंती से जुड़े फैक्ट्स – Dadasaheb Phalke jayanti facts in hindi
- भारत में हर वर्ष फिल्मी जगत के सुपर निर्माता दादा साहब फाल्के जी को सम्मान देने तथा उनके योगदान को याद करने के लिए 30 अप्रैल के दिन दादा साहब फाल्के जयंती मनाई जाती है।
- साल 2021 में दादा साहब फाल्के जी की 151 वीं जयंती मनाई गई थी।
- अब साल 2022 में दादा साहब फाल्के जी की 152 वीं जयंती मनाई जाएगी। इनके सम्मान में देश का सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी हर वर्ष प्रदान किया जाता है।
- यह पुरस्कार दादा साहब फाल्के 100 वीं जयंती के उपलक्ष में शुरू किया गया था। हर वर्ष 30 अप्रैल भारतीय फिल्म जगत के जनक दादा साहेब फाल्के की जयंती धूम धाम से मनाई जाती है।
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