जानिए पीपीई किट पहनकर डॉक्टर को काम करने में होती हैं क्या- क्या परेशानियां
Doctor ko ppe kit se kya dikkat hoti hai – भारत में कोरोना महामारी तेज़ी से फैल रही है। इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी तक इसकी कोई दवा या वैक्सीन इजाद नहीं हो सकी है। इस महामारी को रोकने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लैब में कोशिशें कर रहे हैं। तो वहीं देश के डॉक्टर्स भी अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। इन तमाम चुनौतियों के साथ काम करते वक्त डॉक्टर शारीरिक तौर पर मुश्किल स्थितियों से जूझ रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं किन -किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं डॉक्टर्स।
Doctor ko ppe kit se kya dikkat hoti hai – ppe kit kya hoti hai
क्या है पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट (PPE)
- पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, जिसे कोरोनावायरस पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्स आदि को सुरक्षित रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस किट को पहनने से डॉक्टर्स कीटाणु के संपर्क में आने से खुद को अधिक से अधिक बचा पाते हैं। पीपीई किट में चश्मे, फेस शील्ड, मास्क, ग्लव्स, गाउन, हेड कवर और शू कवर शामिल हैं।
पीपीई किट पहनकर डॉक्टर को होती हैं ये परेशानियां – Doctor ko ppe kit se kya dikkat hoti hai
- कोरोना को हराने के लिए डॉक्टर्स अस्पताल में छह घंटे की चार पालियों में काम करते हैं, ताकि 24 घंटे और सातों दिनमरीजों की देखभाल की जा सके।
- कुछ डॉक्टर्स की मानें तो इस पीपीई (PPE) किट को पहनने औरउतारने में लगभग आधा घंटा लगता है।
- यह उपकरण सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल होता है।
- पीपीई पहनने के बाद पूरी शिफ्ट के दौरान न तो पानी पी सकते हैं और न ही कुछ खा सकते हैं। यहां तक कि टायलेट तक नहीं जा पाते। शिफ्ट पूरी होने के बाद इसे उतारकर ही कुछ खाया पीया जा सकता है।
- अगर शिफ्ट बढ़ा दी जाती है तो कभी- कभी 9 से 12 घंटे तक उन्हें इसे पहने रहना होता है और इस दौरान वो 9 से 12 घंटों तक बिना पानी और खाने के रहते हैं। हालांकि कई लोग स्ट्रा के द्वारा लिक्विड पी लेते हैं।
- बाहर की ताज़ी हवा तक लेने में दिक्कत होती है।
- शरीर में एकदम चुस्त हो जाने वाले पीपीई पहनने के बाद सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। घुटन महसूस होने लगती है।
- चश्मे के सामने भाप जम जाती है। कुछ भी देखने में परेशानी होती है।
- पीपीई पहनने के बादआवाज़ दूसरे व्यक्ति तक नहीं जा पाती। चिल्लाकर बोलना पड़ता है, तब जाकर आवाज़ सुनाई देती है।
- ज़्यादातर सभी की ड्रेस पर उनका नाम लिखा होता है, ताकि आसानी से वो एक दूसरे को पहचान सके।
- एक दूसरे तक संदेश सांकेतिक भाषा के माध्यम से पहुंचाना पड़ता है।
- इसे पहनने के बाद शरीर में काफी थकान और भारी- भारी महसूस होता है।
Doctor ko ppe kit se kya dikkat hoti hai
- इन सभी चुनौतियों और परेशानियों का सामना करते हुए भी डॉक्टर्स कोरोना की लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनकी इस चुनौती को देखने के बाद भी कुछ लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि वो लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
- कई बार सुनने में आया है कि इन कोरोना वॉरियर्स पर लोगों ने हमला किया है जिसे लेकर अब सरकार भी सख्त हो गई है। सरकार ने अब इसके लिए कड़ा रुख अपनाते हुए नया कानून बनाया है।
- इस कानून के तहत मेडिकल स्टाफ पर हमला करने वाले लोगों को 3 माह से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा उनपर 5 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- इस तरह के अपराध को गैर-जमानती माना जाएगा। अगर डॉक्टर या दूसरे स्टाफ की गाड़ी को नुकसान पहुंचाया जाता है तो नुकसान की दोगुनी रकम अपराधी से वसूली जाएगी और ऐसे मामलों की जांच का काम 30 दिन में पूरा कर लिया जाएगा।
- मामले का फैसला 1 साल में आ जाएगा। ज़्यादा गंभीर मामलों में अपराधी को 6 महीने से लेकर 7 साल की सजा हो सकती है।
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