जानिए गोवर्धन पूजा की पौराणिक कहानी और पूजा विधि
Govardhan puja in hindi – गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह त्यौहार दिवाली से अगले दिन मनाया जाता है। इस साल 15 नवम्बर 2020 को गोवर्धन पूजा की जाएगी। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं में गोवर्धन पूजा का खास महत्व बताया गया है। तो जानिए गोवर्धन पूजा की पौराणिक कहानी और पूजा विधि
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Govardhan puja in hindi
कथा – Govardhan puja significance in hindi
- पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन वृंदावन के लोग अच्छी फसल के लिए भगवान इंद्र की धूमधाम से पूजा किया करते थे। इंद्र को अपनी शक्तियों और पद पर घमंड हो गया था, जिसे खत्म करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने एक लीला रची। कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को समझाया कि गोवर्धन पर्वत की उपजाऊ धरती के कारण ही वहां पर घास उगती है, जिसे गाय, बैल और पशु चरते हैं। तभी आप लोगों को दूध मिलता है और ये पशु खेत को जोतने में मदद करते हैं इसलिए आप लोग इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें।
- कृष्ण की ये सुनकर इंद्र देवता बहुत नाराज़ हो गए और उन्होंने वृंदावन में तेज़ बारिश कर दी। इंद्र के इस प्रकोप से बचने के लिए कृष्ण ने अपने बाएं हाथ की छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सभी वृंदावन वासी उस पर्वत के नीचे आ गए और खुद को भारी बारिश से बचा लिया।इन्द्र लगातार सात दिनों तक मूसलाधार बारिश करते रहे, तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता।
Govardhan puja significance in hindi
• ये जानने के लिए वो ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई। तब ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं, वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं। ब्रह्मा जी की ये बात सुनकर इन्द्र देव बहुत शर्मिंदा हुए और उन्होंने श्री कृष्ण से कहा कि है प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी।
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पूजा विधि
- लोग गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर चन्दन, फूल माला, धूप आदि से उनका पूजन किया जाता है।
- गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है।
- गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर रोली, चावल, जल, मौली, फूल तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते हैं और परिक्रमा करते हैं।
- इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी करते हैं।
- भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाए जाते हैं। इसके बाद प्रसाद बांटा जाता हैं।
- कहते हैं इस प्रकार पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास नहीं होता और घर हमेंशा धन और अन्न से भरा रहता है।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
- गोवर्धन पूजा रविवार, नवम्बर 15, 2020
- गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – शाम 03:40 से शाम 05:56 बजे तक
अवधि – 02 घण्टे 16 मिनट्स
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