जानिए हर की पौड़ी से जुड़े कुछ फैक्ट्स
Read about Har ki Pauri Haridwar in hindi – ‘हर की पौड़ी’ धार्मिक नगरी हरिद्वार का सबसे महत्वपूर्ण घाट है।इस घाट को ‘ब्रह्म कुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए हर की पौड़ी से जुड़े कुछ फैक्ट्स।
Har ki Pauri Haridwar in hindi
हर की पौड़ी की कहानी
- हरि की पौड़ी का अर्थ भगवान विष्णु नारायण के चरणों से है| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुंद्र मन्थन के बाद जब विश्वकर्मा जी अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गई| हरिद्वार के जिस स्थान पर अमृत की बूंदे गिरी वो स्थान हर की पौड़ी था। इसलिए हर की पौड़ी पर हर रोज़ गंगा मां की आरती की जाती है। श्रद्धालु यहां पर स्नान करने और गंगा मईया की आरती करने आते है। यहां पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मान्यता
- हर की पौड़ी हरिद्वार का मुख्य घाट है। इसी जगह से गंगा नदी पहाड़ों को छोड़ मैदानी क्षेत्रों की दिशा पकड़ती है। ऐसा माना जाता है कि यहां के एक पत्थर पर श्रीहरि के पदचिह्न के निशान है। यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है, जहां से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है।
राजा विक्रमादित्य ने कराया निर्माण
- इतिहासकारों के मुताबिक ‘हर की पौड़ी’ का निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा करवाया गया था। उन्होंने अपने भाई भर्तृहरि की याद में इस घाट का निर्माण कराया था। भर्तृहरि गंगा नदी के घाट पर बैठकर ध्यान किया करते थे। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी पर ही भगवान् ब्रह्मा की पूजा की थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उनके समक्ष प्रकट हुए और उनसे मनोवांछित वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने भगवान् ब्रह्मा से यह वरदान मांगा कि इस स्थान को भगवान के नाम से ही जाना जाए। ब्रह्मा जी ने राजा को वरदान प्रदान किया और तभी से हर की पौड़ी को ‘ब्रह्म कुण्ड’ के नाम से भी जाना जाने लगा।
कैसे की जाती है पूजा
- हर कि पौड़ी में गंगा आरती 1910 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने शुरू की थी। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां महाआरती की जाती हैं।गंगा समिति के पंडित मिलकर संस्कृत मंत्रों के साथ महाआरती की शुरूआत करते हैं। भक्त बड़ी संख्या में यहां कुछ प्रथाओं जैसे ‘मुंडन’ ‘उपनयन संस्कार’आदि को पूर्ण करने के लिए भी आते हैं।
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