Mood swings ke karan or upay in hindi – Mood Swing Treatment in Hindi – What is Mood Swing – मेनोपॉज एक ऐसी बीमारी है जो आपको चिड़चिड़ा बना देती है। महिलाओं को 45 – 50 साल की उम्र में मेनोपॉज की बीमारी से गुज़रना पड़ता है। पुरूषों में भी यह बीमारी बढ़ती उम्र के साथ – साथ आ जाती है और इसमें वह मूड स्विंग और चिड़चिड़ेपन का शिकार होना शुरू हो जाते हैं। इसमें उन्हें ज़्यादा थकान हो जाती है और बैली फैट की समस्या से जूझने लगते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि मेल मोनोपॉज की बात करें तो एक्सपर्ट्स इसको एक फेक टर्म बोलते हैं। उनके अनुसार ऐसा कोई शब्द नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन एकदम से ड्रॉप नहीं होता है। पुरुषों के अंदर 40 साल की उम्र के बाद हर साल कम से कम 1-2% टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का लेवल घटता है, जिसके कारण पुरुषों के अंदर 60-70 साल की उम्र आने तक टेस्टोस्टेरॉन काफी कम हो जाता है। इसको हम मेल मेनोपॉज कह सकते हैं, जबकि सही मायने में यह लेट हाइपोगोनडिज्म कहलाता है। इसी वजह से पुरुषों का बैली फैट ज़्यादा हो जाता है और वह इसके चलते ही चिड़चिड़े रहने लगते हैं। तो जानिए इसके कारण और उपाय।
Mood swings ke karan or upay in hindi
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इसके इलाज क्या है? – Mood Swing Treatment in Hindi – Mood Swing ka ilaj
अगर हम इसके उपचार की बात करें तो अब यह संभव है। सबसे पहले अपने डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर अक्सर इसके लिए कुछ बेसिक टेस्ट करवाने को बोलते हैं जैसे- सीबीसी, जिसे कंप्लीट ब्लड काउंट कहा जाता है। इसके अलावा किडनी फंक्शन टेस्ट, लीवर फंक्शन टेस्ट और हार्ट टेस्ट के साथ टेस्टोस्टेरॉन का भी सैंपल भेजते हैं। यदि उम्र के हिसाब से टेस्टोस्टेरॉन कम उम्र में आ रहा है तो उसमें टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी भी कारगर मानी जाती है। मगर हर एक केस में ऐसा(टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी) करना संभव नहीं हो सकता है। अगर किसी को पहले से प्रोस्टेट कैंसर की समस्या हो तो इस थेरेपी के साइड इफेक्ट से यह समस्या और बढ़ सकती है।
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Mood swings ke karan or upay in hindi
कैसे कर सकते हैं इस बीमारी से बचाव
- अगर पुरुषों में यह समस्या होती है, तो प्रोटीन रिच और हाई फाइबर डाइट काफी मददगार साबित हो सकती है। इसके लिए फलों का रोज़ाना सेवन करें।
- प्रोटीन रिच डाइट में शाकाहारी लोग दाल, पनीर आदि लें। नॉन वेज खाने वाले मछली, चिकन, अंडा और लीन मीट खा सकते हैं। इससे मसल्स सही रहती हैं औऱ इस समस्या से राहत मिल सकती है।
Mood swings ke karan or gharelu upay in hindi
- सोयाबीन को भी डाइट में शामिल करना न भूलें। इससे भी कुछ हॉर्मोन्स बनते हैं।
- फलों में केला, सेब और अनार को शामिल करें।
- ऑयली चीज़ों का सेवन बंद कर दें, इससे वज़न बढ़ता है और मसल्स मास भी कम होने लगता है।
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