Javelin Throw Ke Niyam: जानें जेवलिन थ्रो करने का तरीका और क्या हैं इसके नियम?
Javelin Throw Ke Niyam – Javelin Throw Rules in hindi – टोक्यो ओलंपिक्स में जबसे नीरज चोपड़ा ने जेवलिन में 87.58 का थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता है। तब से भारत में लोगों की दिलचस्पी जेवलिन थ्रो के लिए लगातार बढ़ती जा रही है। हर कोई जानने में लगा रहता है कि ये खेल कैसे शुरू हुआ कैसा खेला जाता है, इसके क्या नियम हैं और इस खेल की शुरुआत कहां से हुई। आज हम आपको बताएंगे कि इस खेल की शुरुआत कहां से हुई थी।
Javelin Throw Ke Niyam – Javelin Throw Rules in hindi
इस खेल की उत्पत्ति सबसे पहले 708 ईसा पूर्व में हो गयी थी। उस समय भाले ( जेवलिन ) का प्रयोग दुश्मनों को मारने, जानवरों का शिकार करने के लिए होता था। इसी से प्रेरित होकर यूनानियों ने भाला फेंक खेल को प्राचीन ओलंपिक का हिस्सा बना लिया। अब भाले का इस्तेमाल शिकार और युद्ध में नहीं होता है। भाला फेंकने के लिए बहुत अधिक फिज़िकल हार्ड वर्क की ज़रूरत होती है। इस खेल को आप टेक्निकल स्पोर्ट्स कह सकते हैं जिसमें आपको 800 ग्राम, 2.5 मीटर लंबे भाले को दूर फेंकने के लिए मांसपेशियों और जोड़ों का तालमेल बहुत ज़रूरी है।
Javelin Throw Ke Niyam – Javelin Throw Rules in hindi
जानिए कैसे फेंका जाता है भाला
- भाला फेंक को तीन प्रमुख भागों रन-अप, ट्रांजिशन और डिलीवरी में बांटा गया है।
- रन-अप भाला उठाकर उसके साथ दौड़ना होता है और एक थ्रोअर भाले को कंधे के ऊपर (सिर के करीब) उठाकर रन-अप की शुरुआत करता है, जिसमें नुकीले धातु के सिरे को थ्रो की दिशा में फेंका जाता हैं। साथ ही इस पोल को पकड़ने के लिए एक ग्रिप भी रहती है।
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- 30 मीटर से 36.50 मीटर लंबे और 4 मीटर चौड़े रनवे पर एथलीट को दौड़ना होता है और साथ ही साथ थ्रो के दौरान एथलीट किसी भी समय रनवे से बाहर नहीं जा सकता है।
- एथलीट तीन प्रकार से भाले ( जेवलिन ) को पकड़ सकता है जिसमें अमेरिकी पकड़, फिनिश पकड़ और वी पकड़ शामिल हैं। तीनों ही पकड़ में उंगलियों और भाले की स्थिति अलग होनी चाहिए।
- आमतौर पर एथलीट के स्ट्रेट रन-अप में 10 से 15 कदम की दूरी रहनी चाहिए। इसके बाद तीन से चार क्रॉसओवर कदम आगे बढ़ता है, इस दौरान एथलीट को दौड़ना जारी रखना होता है लेकिन वो तिरछा चलते हुए सही दिशा में भाला फेंकता है।
- इस क्रॉसओवर स्टेप में एथलीट को भाला फेंकने में ट्रांजिशन देता है, इसमें एथलीट को भाले को पीछे की ओर ले जाएगा और हथेली को आसमान की रखना होता हैं।
- आखिरी क्रॉसओवर स्टेप लंबा होता है। इसमें एथलीट अपने वजन को पिछले पैर पर डालने के साथ थ्रो फेंकने के लिए तैयार रहता है। इन सब के दौरान एथलीट को अपनी गति बनाए रखना ज़रूरी है।
- अंतिम स्टेप में जैसे ही एथलीट का पैर जमीन पर पड़ता है, डिलीवरी शुरू हो जाती है। वह अपने ऊपरी हिस्से को आगे बढ़ाते हुए और हाथ को पीछे की ओर रखता है, इससे तेजी से भाला अपने टारगेट की ओर जाता है।
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Javelin Throw Ke Niyam
- एथलीट को फाउल लाइन को पार नहीं करना होता है यह वह लाइन है, जिससे दूरी को नापते हैं। एथलीट रन-अप और थ्रो के दौरान जिस ताकत से भाला फेंकते हैं, उसे भाला फेंकते ही उसे काबू करना बहुत मुश्किल है और इसके अलावा हर एथलीट को छह अटेंप्ट मिलते है जिसमें से उसके बेहतरीन अटेम्प्ट को माना जाता हैं।
- मेंस में जेवलिन थ्रो का ओलंपिक रिकॉर्ड नॉर्वे के एंड्रियास थोरकिल्डसन 90.57 मीटर और वूमेंस में क्यूबा की ओस्लेडी मेनेंडेज़ 71.53 मीटर के नाम हैं।
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