Kal Bhairav Temple Ujjain mystery: जानिए, उज्जैन स्थित काल भैरव मंदिर से जुड़े कुछ तथ्यों व रहस्यों के बारे में
Kal Bhairav Temple Ujjain mystery – Interesting facts about kaal bhairav temple in hindi – भगवान काल भैरव का मंदिर उज्जैन में है। माना जाता है कि काल भैरव के मंदिर का निर्माण भद्रसेन राजा ने करवाया था जिसका प्रमाण स्कन्द पुराण के अवन्ती खंड में मिलता है। काल भैरव के इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में भगवान को शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है और काल भैरव साक्षात रूप से इस प्रसाद का सेवन करते हैं। मान्यतानुसार भगवान काल भैरव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं, यहां दर्शन और पूजन करने से भक्तों को कानूनी मुकदमे में विजय, संतान सुख, शत्रु बाधा से मुक्ति और उसकी मान प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
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मंदिर का इतिहास –
बात की जाए भगवान काल भैरव के मंदिर के इतिहास की, तो यह मंदिर लगभग छह हज़ार साल पुराना एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्गी मंदिर वह मंदिर होते हैं जिनमें प्रसाद के रूप में मांस, मदिरा, बलि आदि को अर्पित किया जाता है। प्राचीन समय में इस मंदिर में सिर्फ तांत्रिको को ही आने की अनुमति थी और वो लोग यहां आकर तांत्रिक क्रियाएं करते थे। कुछ समय बाद यह मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। मंदिर को आम लोगों के लिए खोलने के बाद भी यहां बलि चढ़ाई जाती थी, मगर अब बलि चढ़ाने की प्रथा को बंद कर दिया गया है।
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काल भैरव मंदिर का प्रमुख आकर्षण – – Interesting facts about kaal bhairav temple in hindi
काल भैरव के मंदिर की एक विशेषता यह है कि यहां पर भक्तों द्वारा प्रज्ज्वलित दीपस्तंभ की दीपमलिकाएं हैं। माना जाता है कि इस मंदिर के दीपस्तंभ पर दीप जलाने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। भक्तों के द्वारा अपनी मनोकामना के आधार पर यहां दीप जलाए जाते हैं जैसे शीघ्र विवाह के लिए दीपस्तंभ का पूजन, शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए सरसों के तेल का दीया और मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए चमेली के तेल का दीया जलाया जाता है।
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कैसा दिखता है मंदिर का परिसर
इस मंदिर में भगवान काल भैरव की प्रतिमा के ठीक सामने एक झूले में भगवान बटुक भैरव की प्रतिमा स्थापित है और मंदिर की बाहरी दीवारों पर दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हुई हैं। इस मंदिर के ठीक उत्तर दिशा की तरफ एक गुफा स्थापित है, इसे पाताल भैरवी के नाम से जाना जाता है।
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भगवान की पगड़ी से जुड़ी कहानी
सन 1761 में पानीपत के युद्ध में मराठाओं की पराजय के बाद उस समय के मराठों के राजा महादाजी सिंधिया ने विजय और राज्य की पुनर्स्थापना की कामना के साथ अपनी पगड़ी भगवान के चरणों में रख दी थी। भगवान के आशीर्वाद से उन्होंने हर युद्ध में विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। तभी से भगवान को मराठा पगड़ी अर्पित की जाने लगी, जो आज भी हर साल ग्वालियर के सिंधिया परिवार द्वारा अर्पित की जाती है।
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भैरों बाबा को अर्पित होने वाली शराब कहां जाती है?
भगवान काल भैरव को शराब का प्रसाद लगाने की प्रथा आज भी चल रही है और यह कोई नहीं जानता है कि यह प्रथा कब, कैसे और किसने शुरू की? इस मंदिर से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित है कि बहुत समय पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने इस बात का पता लगाने के लिए जांच करवाई थी कि इस मंदिर में भगवान को पिलाई जाने वाली शराब जाती कहां है? भगवान की मूर्ति के आसपास खुदाई भी करवाई गयी मगर फिर भी किसी तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला। भगवान काल भैरव के मंदिर के इस रहस्य को देखकर वह अधिकारी भी भगवान काल भैरव का भक्त बन गया था।
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काल भैरव से जुड़े कुछ अन्य तथ्य:-
- भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है।
- भगवान ब्रह्मा के पांचवे शीश का खंडन भगवान काल भैरव ने ही किया था।
- भगवान काल भैरव को भगवान शंकर का उग्र और तेजस्वी स्वरुप माना जाता है।
- सभी प्रकार के पूजन और हवन में रक्षा के लिए इनका पूजन किया जाता है।
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