Ketu Mandir ka Itihas: केरल स्थित केतु मंदिर में होता है चमत्कार, दूध चढ़ाते ही बदल जाता है रंग
Ketu mandir ka itihas – Ketu Temple In Kerala – ketu temple history in hindi – हिंदू धर्म में भगवान शिव जी को सृष्टि का पालनहार कहा गया है। शिव जी के सम्पूर्ण भारत में कई सारे ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं और सिद्धि के लिए जाने जाते हैं। एक ऐसा ही मंदिर केरल के कीजापेरुमपल्लम गांव में कावेरी नदी के समीप स्थित है जिसे केतु मंदिर और नागनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में लोग केतु महाराज के प्रभाव से बचने के लिए पूजा अर्चना करते हैं, इसलिए यहां भगवान शिव के अलावा राहु-केतु की भी प्रतिमा मौजूद है। इस मंदिर के बारे में खास बात यह है कि यहां केतु की प्रतिमा पर दूध चढ़ाते ही उसका रंग नीला हो जाता है। अब क्या है इसके पीछे की कहानी और इतिहास चलिए आपको बताते हैं।
Ketu mandir ka itihas – ketu temple story in hindi
केतु मंदिर का इतिहास – Ketu mandir ka itihas
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमृत मंथन के दौरान राहु नाम के एक असुर ने देवता का रुप धारण कर लिया था और फिर जैसे ही वह अमृत का पान करने वाला था तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया था। इसके बाद इस असुर के सिर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना जाने लगा। आगे चलकर ज्योतिष शास्त्र में, राहु और केतु को ग्रहों की संज्ञा दी गई जिनका किसी भी व्यक्ति के जीवन पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में केतु के बुरे प्रकोप से खुद की रक्षा करने के लिए लोग केतु मंदिर में आकर पूजा – अर्चना करते हैं।
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Ketu mandir ka itihas – ketu temple story in hindi
दूसरी कथा – history of Ketu Temple In Kerala – केतु मंदिर का इतिहास
एक बार की बात है जब केतु को एक ऋषि ने श्राप दे दिया था जिसके कारण केतु ने इसी जगह पर जहां वर्तमान में मंदिर स्थापित है, भगवान शिव जी की आराधना की थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने केतु को ऋषि के श्राप से मुक्त कर दिया था, तभी से इस मंदिर को धार्मिक दृष्टि से काफी विशेष माना जाता है। यहां जो भी व्यक्ति जिस पर केतु की छाया होती है, अगर वह केतु की प्रतिमा पर दूध चढ़ाता है, तो ऐसा माना जाता है कि उस दूध का रंग नीला हो जाता है।
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Ketu mandir ka itihas – history of Ketu Temple In Kerala
इसके पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन लोग इसे एक आश्चर्य मानकर इस मंदिर को काफी महत्वपूर्ण मानते रहे हैं जिस कारण यहां हर साल हज़ारों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। लोग अपने और अपने परिवार को केतु दोष से बचाने के लिए इस पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए यहां आते हैं।
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