Kiradu Mandir Barmer – कई अनसुलझे रहस्यों से भरा है किराडू मंदिर, दफन हैं कई राज़

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Kiradu Mandir Barmer – राजस्थान के बाड़मेर जिले में किराड़ू मंदिर स्थित है। ये मंदिर बहुत ही रहस्यमयी है। इस मंदिर में कई ऐसे रहस्य हैं जिसका पता आजतक कोई नहीं लगा पाया है। तो चलिए आज आपको किराड़ू मंदिर के रहस्य के बारे में बताते हैं|kiradu mandir barmer

Kiradu Mandir Barmer – किराड़ू मंदिर का रहस्य – kiradu temple

कहाँ स्थित है किराड़ू मंदिर?

kiradu temple

  • किराड़ू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है|
  • किराड़ू में कुल पांच मंदिर हैं, जिनमें से सिर्फ विष्णु और सोमेश्वर का मंदिर ही सही हालत में हैं। यहां मौजूद सभी मंदिरों में से सोमेश्वर मंदिर सबसे बड़ा है, जो शिव को समर्पित है|

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मंदिर का इतिहास – History of kiradu temple

kiradu temple history

  • एपिग्राफिक के अनुसार मंदिर का निर्माण 11वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान चौलुक्य (सोलंकी) के राजाओं द्वारा किया गया था| आज भी यहाँ दीवारों और स्तम्भों पर अलग-अलग तरह की नक्काशी देखी जा सकती है| इन दीवारों पर इंसानों से लेकर जानवरों तक के चित्र बने हुए हैं|
  • यहाँ बने मंडप स्तंभ एक अष्टकोणीय आकार की तरह दिखते हैं| यहाँ बनी वास्तुकला शैली को पहले “सोलंकी मोड” कहा जाता था, जिसे आज मारु-गुर्जर वास्तुकला के नाम से जाना जाता है|
  • मंदिर में कई ऐसे शिलालेख पाए गए हैं, जिनके आधार पर भारतीय इतिहासकार गौरीशंकर ओझा ने मंदिरों को 12वीं शताब्दी का बताया है। कला इतिहासकार मधुसूदन ढकी और पर्सी ब्राउन का यह मानना था कि 11वीं शताब्दी में ये मंदिर बना है। कहा जाता है कि 1161 इसवीं में इस स्थान का नाम ‘किराट कूप’ था।
  • 12वीं शताब्दी के दौरान, यह कई छोटे राजवंशों द्वारा नियंत्रित किया गया था, जो कि चुलूक्यों के जागीरदारों के रूप में शासन करते थे| 1150 इसवीं के दशक में, नादुला चहमाना शासक अल्हाना (एक चालुक्य जागीरदार) को किराड़ू के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था|

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Kiradu mandir barmer – किराड़ू मंदिर का रहस्य – kiradu temple mystery

किराड़ू मंदिर का रहस्य?

kiradu temple mystery

  • ऐसा माना जाता है कि शाम होने के बाद मंदिर में कोई कदम नहीं रखता| इसका कारण यह है कि रात में कदम रखते ही लोग हमेशा-हमेशा के लिए पत्थर बन जाते हैं| इस बात में कितनी सच्चाई है इसे कोई नहीं जानता|
  • मंदिर से जुड़ी कहानियों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कई सालों पहले किराड़ू में एक तपस्वी आये थे। इनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। तपस्वी एक दिन शिष्यों को गांव में छोड़कर भ्रमण पर चले गए| इस बीच शिष्यों की तबियत खराब हो गई और गांव वालों ने उनकी बिलकुल मद्द नहीं की| तपस्वी जब वापस किराड़ू आए तो उन्होंने अपने शिष्यों की हालत देखी तो उन्हें गांव वालों पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने गांव वासियों को श्राप दे दिया कि तुम लोगों के पास मद्द करने के लिए कोमल हृदय नहीं है इसलिए सब पत्थर के हो जाएं| साधू के इस श्राप के बाद देखते ही देखते वहां के सभी निवासी पत्थर के हो गए।
  • उस समय केवल एक कुम्हारन थी जिसने शिष्यों की सहायता की थी| तपस्वी ने उसे वरदान देते हुए कहा तुम गांव से चली जाओ वरना तुम भी पत्थर की बन जाओगी| मगर याद रखना जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना| कुम्हारन गांव से चली गई मगर उसे तपस्वी की बात का यकीन नहीं हुआ| वह पीछे मुड़कर देखने लगी और वह भी पत्थर की बन गयी| सिहणी गावं में कुम्हारन की पत्थर की मूर्ति आज भी मौजूद है|
  • दिन में यहां आज भी कुछ चहल–पहल रहती है पर शाम होते ही यह जगह वीरान हो जाती है, सूर्यास्त के बाद यहां पर कोई भी नहीं रुकता है। ऐसा कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद यहां ठहरने वाले लोग पत्थर के बन जाते हैं।

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