Lal Qila Ka Itihas – जानिए दिल्ली का लाल किला कब और किसने बनवाया ?

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Lal Qila Ka Itihas – Red fort history in hindi – Red Fort History In Hindi Delhi – भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। किले को “लाल किला”, इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण कहा जाता है। यह शाही किला मुगल बादशाहों का न सिर्फ राजनीतिक केन्द्र था बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा। लाल किला (Red Fort) देश की आन-बान-शान और देश की जंग-ए-आज़ादी का गवाह रहा है। तो चलिए आपको बताते हैं क्या है लाल किले का इतिहास, इसे किसने और कब बनवाया।lal qila ka itihas hindi

Red fort history in hindi – delhi ka lal kila kisne aur kab banaya tha

लाल किला मुगलकालीन वास्तुकला, सृजनात्मकता और सौंदर्य का अनुपम और अनूठा उदाहरण है। इसे ‘लाल क़लाह’ और ‘किला-ए-मुबारक’ जैसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। मुगल काल के दौरान बने इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया है। यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। दुनिया के कोने-कोने से लोग लाल किले की सुंदरता, भव्यता और आकर्षण को देखने आते हैं और इसकी शाही वास्तुकला और अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं। 1648 ईसवी में बन कर तैयार हुए इस भव्य किले के अंदर एक बेहद सुंदर संग्रहालय भी बना हुआ है। 250 एकड़ में फैला यह किला मुगल राजशाही और अंग्रेजों के खिलाफ गहरे संघर्ष की कहानी कहता है। वहीं भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाने वाले इस किले का इतिहास बेहद दिलचस्प है।

Red fort history in hindiLal Qila Ka Itihas

लाल किला का इतिहास – delhi ka lal kila kisne aur kab banaya tha.

मुगल, हिंदू और फारसी स्थापत्य शैली से मिलकर बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति का निर्माण पांचवें मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा कराया गया था। इस विशाल किले के परिसर में कई खूबसूरत और भव्य इमारतें हैं, जो कि इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रही हैं और इसके आर्कषण को दो गुना बढ़ा देती हैं। जब उन्होंने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला लिया तब दिल्ली में एक इमारत बनाने का आदेश पारित किया और फिर इस किले को बनने में 10 साल का समय लगा था। निर्माण कार्य साल 1638 में शुरू किया था और अंत में इसे वर्ष 1648 में पूरा किया था। इस किला के बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था, साथ ही यह शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता की मिसाल माना जाता था। दिल्ली का लाल किला वास्तव में आगरा के लाल किले से प्रेरित है। लाल किले के अंदर मोती मस्जिद, नौबत खाना, मीना बाज़ार, दीवाने खास, रंग महल, दीवानाम, सावन जैसी कई खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतें बनाई गई हैं। अंग्रेजों के सत्ता में आने से पहले यह इमारत लगभग 200 वर्षों तक मुगल साम्राज्य की सत्ता का केंद्र बना रहा। मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा निर्मित सभी इमारतों का अपना अलग ऐतिहासिक महत्व है। जिस तरह से उनके द्वारा बनवाया गया ताजमहल अपनी सुंदरता और आकर्षण के कारण दुनिया के सात अजूबों में शामिल हो गया है, उसी तरह दिल्ली का लाल किला पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त कर चुका है। लोगों के मन में इस भव्य ऐतिहासिक किले के प्रति सच्ची श्रद्धा और सम्मान है।

किले को बनने में लगे दस साल – It took ten years to build the fortlal kila kisne banwaya tha.

मुग़ल शासक शाहजहाँ के आदेश के बाद इसका निर्माण कार्य साल 1638 में शुरू किया था और अंत में इसे वर्ष 1648 में पूरा किया था। किले को बनने में 10 साल का समय लगा था। मतलब पूरा एक दशक के बाद इस किले का निर्माण पूरा हुआ था।

Lal Qila Ka Itihas

लाल किले की संरचना – Red Fort Structure in Hindi

लाल किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। लाल किले की दीवारों की लंम्बाई लगभग 2.5 किलोमीटर है। दीवारों की ऊँचाई यमुना नदी की ओर 18 मीटर जबकि शहर की ओर 33 मीटर है। यमुना नदी के दाहिने तट पर निर्मित, जो कि तीनों तरफ से यमुना नदीं से घिरा हुआ है और जिसका पानी किले के चारों ओर की खाई में जाता था, अष्टकोणीय आकार का है।

Red fort history in hindi  

किले का वास्तविक नाम – Real name of the fort

शाहजहाँ ने इस किले का निर्माण तब करवाया था जब उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया था। उस समय इसे मूल रूप से “किला-ए-मुबारक” के नाम से जाना जाता था। बाद में उसका नाम लाल किला कर दिया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि इसका निर्माण लाल पत्थर और ईंटों से किया गया था, इसलिए अंग्रेजों ने इसका नाम रेड फोर्ट रख दिया और स्थानीय लोग इसे लाल किला के नाम से पुकारने थे।

लाल किले में प्रवेश द्वार – Entrance to Red Fort

इमारत के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं – लाहौरी गेट और दिल्ली गेट। लाहौरी गेट किले का मुख्य प्रवेश द्वार है, जबकि दिल्ली गेट इमारत के दक्षिणी छोर पर सार्वजनिक प्रवेश द्वार है। लाहौर शहर की तरफ इसका मुख होने की वजह से इसका नाम लाहौरी गेट पड़ा है। स्वतंत्रता दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री लाहौर गेट से ही राष्ट्रीय ध्वज फहराने आते हैं और यहाँ की बालकनी से प्रधानमंत्री देश के नाम अपना सन्देश पढ़ते हैं।

Lal Qila Ka Itihas

लाल किले के वास्तुकार – Architect of Red Fort

मुगल सम्राट शाहजहां ने आगरा में स्थित ताजमहल को भव्य रुप देने वाले डिज़ाइनर और मुगल काल के प्रसिद्ध व उस समय के अग्रणी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी और उस्ताद हामिद को इस किले का शाही डिज़ाइन बनाने के लिए चुना था। ये दोनों अपनी कल्पना शक्ति से शानदार इमारत बनाने में उस्ताद थे।लाल किला को बनाने में अपनी पूरी विवेकशीलता और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल कर इसे अति सुंदर और भव्य रुप दिया। यही कारण है कि निर्माण के इतने वर्षों बाद भी यह किला अपनी विशालता और सुंदरता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। लाल किले के अंदर की सभी संरचनाएं यमुना नदी से जुड़ी हुई हैं।

Red fort history in hindi  

लाल किला के अंदर क्या – क्या  है? – What is inside the Red Fort?

मोती मस्जिद, हयात बख्श बाग, छत्ता चौक, मुमताज महल, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, हीरा महल, प्रिंसेस क्वार्टर, टी हाउस, नौबत खाना, नहर-ए-बिहिश्तो, हमाम एवं बाओली।

लाल किला के परिसर में बनी मुख्य ऐतिहासिक इमारतें – Main historical buildings built in the premises of Red Fort

दीवान–ए–आम – इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने साल 1631 और 1640 के बीच मुख्य दरबार के रूप में बनवाया था। यहां सभी बड़े फैसले लिए जाते थे। यह उस दौरान मुगल बादशाहों का शाही महल हुआ करता था।

दीवाने खास – भारत की इस बहुमूल्य ऐतिहासिक इमारत के अंदर बना दीवान-ए-खास मुगल बादशाह शहंशाह का निजी कमरा भी था, जहां की दीवारों को कीमती पत्थरों और रत्नों से जड़ा गया था।

मोती मस्जिद – मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद (Moti Masjid) का निर्माण करवाया था। मोती-मस्जिद को साल 1659 में अपने निजी मस्जिद के रुप में बनवाया था। जहां पर वह अपनी रोज़ की नमाज अदा करता था। मोती मस्जिद का अर्थ है – पर्ल मस्जिद।

मुमताज महल – इस भव्य ऐतिहासिक लाल किले के परिसर के अंदर बनी 6 सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसका नाम मुगल सम्राट शाहजहाँ की सबसे पसंदीदा पत्नी मुमताज महल के नाम पर रखा गया है। इस महल के निर्माण में सफेद संगमरमर पत्थरों का प्रयोग किया गया था, जिन पर सुंदर फूलों की आकृति बनी हुई है।

Red fort history in hindi – Lal Qila Ka Itihas

दिल्ली का लाल किला: एक विश्व धरोहर स्थल – Delhi’s Red Fort: A World Heritage Site

आज़ादी के बाद इसे प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1959 के तहत राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया, और इसका प्रबंधन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाने लगा। लाल किले में एक संग्रहालय है जो विभिन्न प्रकार की ऐतिहासिक कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। इनमें सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय, 1857 का संग्रहालय, याद-ए-जलियां, दृश्यकला और आज़ादी के दीवाने शामिल हैं। इसके आर्कषण और भव्यता की वजह से इसे 2007 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर तिरंगा फहराया जाता है – Tricolor is hoisted at Red Fort on Independence Day

हमारे राष्ट्रीय ध्वज को सबसे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर  पहली बार ध्वजा रोहण कर देश की जनता को संबोधित किया और अपने देश में अमन, चैन, शांति बनाए रखने एवं इसके अभूतपूर्व विकास करने का संकल्प लिया इसलिए लाल किले को जंग-ए-आज़ादी का गवाह भी माना जाता है। तब से प्रत्येक साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है।

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Lal Qila Ka Itihas

लाल किला घूमने का समय – time to visit red fort

स्थान – नेताजी सुभाष रोड, चांदनी चौक, दिल्ली

निकटतम मेट्रो स्टेशन – लाल किला (वायलेट लाइन)

घूमने का समय: 7:00 पूर्वाह्न – 5:30 अपराह्न

घूमने के लिए खुला होने के दिन – मंगलवार से रविवार

साप्ताहिक अवकाश – सोमवार

पूरा घूमने के लिए लगने वाला समय – 2-3 घंटे

प्रवेश शुल्क – 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई शुल्क नहीं; भारतीय नागरिकों, सार्क और बिम्सटेक देशों के नागरिकों के लिए 10 रुपये; विदेशी नागरिकों के लिए 250 रुपये।

जाने का सबसे अच्छा समय – नवंबर से फरवरी

लाल किला लाइट और साउंड शो टिकट – सप्ताह के दिन: वयस्कों के लिए 60 रुपये और बच्चों के लिए 20 रुपये; सप्ताहांत और सार्वजनिक अवकाश: वयस्कों के लिए 80 रुपये और बच्चों के लिए 30 रुपये।

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