Navratri 2023: Maa Brahmacharini mantra, katha and aarti in Hindi and English
Read Maa Brahmacharini mantra katha aarti in Hindi and English. Maa Brahmacharini is worshipped on day 2 of navratri. You can read Maa Brahmacharini mantra here. Also given is Maa Brahmacharini aarti and Maa Brahmacharini mantra katha. पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी मंत्र, मां ब्रह्मचारिणी की स्तोत्र पाठ, मां ब्रह्मचारिणी आरती, मां ब्रह्मचारिणी कथा |
Maa Brahmacharini mantra katha aarti in Hindi and English
Maa Brahmacharini mantra – मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी की स्तोत्र पाठ
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
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Maa Brahmacharini Mantra in English
Ya devi sarvbhuteshu Ma Brahmacharini rupen sansthita|
Namastasyai namastasyai namastasyai namo namah||
Dadhana kar padmabhyam akshmala kamandalu|
Devi praseedatu mai brahmacharinynuttama||
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Maa Brahmacharini mantra katha aarti in Hindi and English
Maa Brahmacharini aarti lyrics in Hindi – मां ब्रह्मचारिणी आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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Maa Brahmacharini mantra katha aarti in Hindi and English
Maa Brahmacharini katha – मां ब्रह्मचारिणी कथा
एक कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने अपने माता पिता से भगवान शिव के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की तो उनके माता पिता ने इंकार कर दिया । वह शिवजी को भी विवाह के लिए मनाने की कोशिश करने लगीं। भगवान शिव वैरागी थे, इसलिए माता पार्वती ने कामदेव से सहायता मांगी। एक बार जब भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे तब कामदेव ने अपना कामवासना बाण भगवान शिव पर चला दिया जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान शिव कामदेव पर अत्याधिक क्रोधित हो गए। उन्होंने अग्नि का रूप ले लिया और स्वंय के साथ-साथ कामदेव को भी जला दिया।
तब माता पार्वती ने सभी कुछ त्याग कर भगवान शिव की तरह ही जीना आरंभ कर दिया। माता पार्वती ने पहाड़ पर जाकर कई सालों तक तपस्या की और इसलिए उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है। माँ पार्वती ने शिवजी की बहुत ही कठिन तपस्या करके उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। भगवान शिव आखिरकार माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और रूप बदलकर माता पार्वती के सामने जाकर प्रकट हो गए। शिवजी माँ पार्वती के सामने अपनी ही बुराई करने लगे लेकिन माँ पार्वती ने उनकी कोई बात नहीं सुनी और उन्हें ही भला बुरा कहने लगीं। उनका प्रेम देखकर भगवान शिव अपने असली रूप में आए और उन्हें अपने संग विवाह का वरदान दिया।
जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से दूसरे नवरात्री को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है उसे सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। वह हमेशा प्रसन्न रहता है तथा उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता।
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