कोरोना वायरस से पहले ये महामारियां दुनिया में मचा चुकी हैं तबाही
Mahamari ka itihas in the world in Hindi – पूरे विश्व में कोरोना वायरस अपने पाँव पसार चुका है जिसके कारण दुनिया भर में हड़कंप मचा हुआ है| लेकिन कोरोना वायरस दुनिया में पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसने महामारी का रूप लिया| इससे पहले भी कई महामारियों ने दुनिया में तबाही मचाई हुई हैं। तो चलिए आपको बताते हैं अब तक दुनिया में किन-किन महामारियों ने मचाई तबाही।
Mahamari ka itihas in the world in Hindi – दुनिया में किन-किन महामारियों ने मचाई तबाही
1- एंटोनिन प्लेग (The Antonine Plague)
- इस बीमारी की शुरुआत 165 ईसवी में हुई थी और यह और 180 ईसवी तक रही थी|
- इसे चेचक की बीमारी के नाम से जाना जाता था|
- यह बीमारी अभियानों से लौट रहे सैनिकों द्वारा रोमन साम्राज्य में फैली थी।
- कई विद्वानों का मानना है कि यह या तो खसरा या चेचक है लेकिन अभी भी इसका असली कारण पता नहीं चल पाया है।
- इस बीमारी के कारण पांच मिलियन लोग मारे गए थे|
- ऐसा माना जाता है कि इस महामारी के दौरान कुछ क्षेत्रों में आबादी के 1 / 3rd लोग मारे गए थे और इसने रोमन सेना को भी पूरी तरह से खत्म कर दिया था|
- इस बीमारी ने तत्कालीन एशिया, मिस्र, यूनान (ग्रीस) और इटली को सबसे अधिक प्रभावित किया था।
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2- जस्टिनियन प्लेग (Plague of Justinian)
- यह बीमारी 541 से 542 ईसवी तक चली| इतिहास में यह एक सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है|
- इस महामारी ने सबसे ज़्यादा बाइज़ेंटाइन साम्राज्य (पूर्वी रोमन) को नुक्सान पहुंचाया था|
- इसने सासानी साम्राज्य और पूरे भूमध्य सागर के आसपास के बंदरगाह शहरों को अधिकतम खत्म कर दिया था|
- इस महामारी के फैलने का कारण थे चूहे। बताया जाता है कि व्यापारी जहाजों ने चूहों को आश्रय दिया था जो प्लेग से संक्रमित पिस्सू (fleas : एक तरह का कीड़ा) को ले गए थे।
- इस महामारी के दौरान यूरोप की कुल आबादी लगभग आधी हो गयी थी। ऐसा माना जाता है कि इसे 5,000 लोग प्रतिदिन मरा करते थे।
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3- जापानी चेचक महामारी (Japanese Smallpox Epidemic)
- यह महामारी 735 से 737 ईसवी तक रही|उस वक़्त यह खतरनाक और बड़ी चेचक महामारी बन गयी थी|
- इस महामारी ने जापान को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया और इस दौरान यहाँ की आबादी का लगभग 1 / 3rd भाग बर्बाद हो गया|
- पूरे जापान में इसके प्रमुख सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक नतीजे भी देखने को मिले|
- ये सक्रमण एक जापानी मछुआरे द्वारा फैला था जो कोरियाई प्रायद्वीप में फंसे होने के कारण बीमार हो गया था।
- इसे जापानी चेचक महामारी के नाम से ही जाना जाता है। ये रोग उस वर्ष पूरे उत्तरी क्यूशू में तेज़ी से फैला था।
इसे क्यों कहा गया जापानी चेचक महामारी?
- 736 ईसवी में, जापानी सरकार के अधिकारियों का एक समूह उत्तरी क्यूशू से होकर गुज़रा था, उस समय वहां ये बीमारी फ़ैल गई थी।
- इस दौरान समूह के सदस्य बीमार होकर मर गए थे, जिसके कारण बाकी कोरियाई प्रायद्वीप अपने मिशन तक नहीं पहुंच सके।
- तब से इसे स्मॉल पॉक्स के नाम से जानने लगें|
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4- ब्लैक डेथ (Black Death (Bubonic Plague)
- मानव इतिहास में सबसे घातक महामारी ब्लैक डेथ है|
- 1346 से 1353 ईसवी तक इसका प्रकोप यूरोप, अफ्रीका और एशिया में रहा। इसने पूरी तरह से हर जगह को तबाह कर दिया था|
- इसके कारण 75 से 200 मिलियन लोगों की मौत हुई थी|
- इसकी शुरुआत एशिया से हुई और इसका मुख्य कारण व्यापारी जहाजों पर रहने वाले चूहों को पाया गया था|
- मात्र तीन से पांच दिन में 80 प्रतिशत लोगों की मृत्यु का कारण यही महामारी थी|
- लंदन के भीड़भाड़ वाले इलाकों में 15 प्रतिशत लोगों की मौत इसी महामारी की वजह से हुई थी।
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5- इटेलियन प्लेग (The Italian Plague)
- इस महामारी ने साल 1629-1631 तक उत्तरी और मध्य इटली को पूरी तरह से तबाह कर दिया था|
- इस महामारी को मिलान के महान प्लेग के रूप में जाना जाता है|
- उस वक़्त इस महामारी के कारण एक मिलियन यानी लगभग 25% आबादी खत्म हो गयी थी|
- इसकी शुरुआत ब्लैक डेथ के साथ ही हो चुकी थी|
- जर्मन और फ्रांसीसी सैनिक की वजह से यह प्लेग 1926 में मनटुआ शहर तक आया|
- मगर साल 1630 में इसका प्रकोप बहुत ज़्यादा बढ़ता चला गया|
- इस महामारी में कुल मिलाकर 130,000 की कुल आबादी में से लगभग 60,000 लोगों का नुकसान उठाना पड़ा था|
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6- द ग्रेट प्लेग ऑफ लंदन (The Great Plague of London)
- एक तरह से ये महामारी भी ब्लैक डेथ का विस्तार था जो 1665 से 1666 तक चला|
- इस महामारी के कारण 18 महीनों में लगभग 100000 लोगों की जान चली गयी थी|
- यह 400 साल पुराने दूसरे महामारी का आखिरी प्रकोप था|
- अलेक्जेंड्रे यर्सिन द्वारा इसकी पहचान की गई थी, जिसमें पाया गया था कि यह बीमारी चूहे के पिस्सू द्वारा जीवाणु के कारण फैली थी|
- साल 2016 में यर्सिनिया पेस्टिस के डीएनए विश्लेषण की पुष्टि की गई थी|
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7- हैजा (कोलेरा) (Cholera 6 outbreak)
- पहली बार हैजा महामारी भारत में 1817 से 1824 तक रही थी।
- फिर दूसरी बार हैजा महामारी उत्तरी अमेरिका और यूरोप में 1826 से 1837 तक रही।
- इसके बाद 1846 से 1860 तक तीसरी बार हैजा की महामारी फैली, जिसके बाद इसने अपना घातक असर दक्षिण अमेरिका तक फैलाया|
- चौथा हैजा महामारी 1863 से 1875 तक जारी रहा। यह भारत से नेपल्स और स्पेन तक फैल गयी|
- इसके बाद पांचवीं हैजा की महामारी आई जो 1881 से 1896 तक चली। यह भारत में शुरू हुई और यूरोप, एशिया और दक्षिण अमेरिका तक फैल गई।
- छठी हैजा महामारी 1899 में शुरू हुई और 1923 तक चली, जिसमें 800000 से अधिक लोगों की जान गयी और मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और रूस तक फैली|
- लियोनार्ड रोजर्स के एक शोध के अनुसार, यह पता चला कि हैजा 6 का प्रकोप हरिद्वार कुंभ मेले में शुरू हुआ था|
- समय के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ हैजा का इलाज करना आसान हो गया। मगर माना जाता है कि सातवीं हैजा की महामारी की उत्पत्ति 1961 में इंडोनेशिया में हुई थी|
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8- तीसरा प्लेग (The Third Plague)
- थर्ड प्लेग महामारी एक प्रमुख ब्यूबोनिक प्लेग महामारी थी, जो 1855 में शुरू हुई और 1960 तक रही|
- यह चीन के युन्नान में शुरू हुई और 12 मिलियन से अधिक लोगों की इससे मृत्यु हुई|
- इससे 10 मिलियन लोगों की मृत्यु अकेले भारत में मृत्यु हुई थी|
- जस्टिनियन और ब्लैक डेथ के प्लेग के बाद, यह भी एक प्रमुख प्लेग महामारी थी।
- थर्ड प्लेग के पैटर्न ने संकेत दिया कि प्राथमिक कारण बुबोनिक था जबकि दूसरा कारण निमोनिक था|
- ब्ल्यूएचओ ने 1960 तक इस महामारी को एक्टिव बताया था|
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9- यलो फीवर (Yellow Fever)
- यह एक ऐसा वायरल था जो बहुत तेज़ी से फैला था|
- बुखार, ठंड लगना, भूख में कमी, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और जी मिचलाना इसके ख़ास लक्षण थे|
- इसके लक्षण आमतौर पर 5 दिनों तक रहते हैं| मगर इससे रक्तस्राव और किडनी की समस्याओं का खतरा पैदा होता था|
- यह वायरस पूर्व या मध्य अफ्रीका में उत्पन्न हुआ और वहां से यह पश्चिम अफ्रीका में फैल गया|
- इतिहासकार जे आर मैकनील ने कहा कि 1607 से 1783 के बीच पीले बुखार से लगभग 35,000 से 45,000 लोगों की जान चली गयी थी|
- नेपोलियन ने उत्तरी अमेरिका के लिए द्वीप और उसकी योजनाओं को छोड़ दिया, जिसके बाद 1803 में लुइसियाना खरीद को अमेरिका को बेच दिया जिसके बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गयी|
- न्यूयॉर्क शहर में इसका असर साल 1668 में देखने को मिला था, जिसके बाद 18वीं और 19वीं शताब्दी के बीच कुल मिलाकर लगभग 100000-150000 मौते हुईं|
- 1988 से, डब्ल्यूएचओ और पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बीमारी के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया|
10- स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu)
- इस फ्लू को भी घातक बीमारियों के रूप में देखा जाता है|
- इस फ्लू ने 500 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था और लगभग 50 मिलियन लोगों की जान गयी|
- स्पैनिश फ्लू 1918 से 1919 तक रहा। इस बीमारी को नवंबर 1918 में फ्रांस से स्पेन तक फैलने के साथ ‘स्पैनिश फ्लू’ नाम दिया गया था|
- स्पैनिश फ्लू H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाले दो महामारियों में से पहला था। दूसरा 2009 में आया स्वाइन फ्लू था।
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11- रूसियन फ्लू (Russian Flu)
- इसे एशियाटिक फ्लू के नाम से भी जाना जाता है| यह 1889-1890 के दौरान फैला था|
- यह एक इन्फ्लूएंजा महामारी थी जिसने दुनिया भर में लगभग 1 मिलियन लोगों को मौत का शिकार बनाया|
- इसे 19वीं शताब्दी की आखिरी महामारी भी कहा गया था।
- रूसी फ़्लू की अधिकतम रिपोर्ट अक्टूबर से दिसंबर 1890 के बीच बताई गई थी, जिसके बाद इसे कई बार फिर से देखा गया|
- पहला मामला बुखारा में मई 1889 में दर्ज किया गया था जिसके बाद महामारी नवंबर 1889 तक सेंट पीटर्सबर्ग पहुंच गई थी|
- इस बीमारी ने ए वायरस उपप्रकार H3N8 होने का संकेत भी दिया था|
12- एशियन फ़्लू (Asian flu)
- एशियन फ़्लू H2N2 उपप्रकार, इन्फ्लुएंजा ए महामारी थी|
- यह 1956 में चीन में उत्पन्न हुआ और 1958 तक चला| इस बीमारी के कारण 1-2 मिलियन लोग मारे गए थे|
- सीडीसी ने दुनिया भर में 1 मिलियन लोगों की मौत का अनुमान लगाया था|
- फरवरी 1957 में एशियाई फ्लू के पहले मामले चीन से सामने आए (कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह 1956 के अंत में रिपोर्ट किया गया था)।
- बाद में, अप्रैल 1957 में, हांगकांग और सिंगापुर में हजारों निवासियों पर इन्फ्लूएंजा महामारी के प्रभाव की सूचना फैलाई गयी|
- जून 1957 के अंत तक, महामारी यूनाइटेड किंगडम, ताइवान, अमेरिका और भारत तक पहुंच गई थी|
- इस वायरस का इलाज अक्टूबर 1957 में सीमित मात्रा में उपलब्ध कराया गया था|
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दुनिया में महामारी का इतिहास – इतिहास की सबसे घातक महामारी – Mahamari ka itihas in the world in Hindi
13- हांगकांग फ्लू (Hong Kong Flu)
- एशियाई फ्लू महामारी के बाद, हांगकांग फ्लू फ़ैल गया|यह साल 1968 से 1970 तक रहा।
- इसके कारण एक मिलियन लोगों की मौत हुई थी|यह इन्फ्लूएंजा वायरस के H3N2 तनाव के कारण हुआ था|
- फ्लू ब्रेकआउट के लिए पहली रिपोर्ट 13 जुलाई 1968 को हांगकांग में देखी गई थी|
- इसके चलते 1968 में वियतनाम, सिंगापुर, चीन, भारत, फिलीपींस, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में बड़े पैमाने पर ब्रेकआउट हुए|
- उसके बाद में, 1969 में, हॉन्ग लॉन्ग फ्लू जापान, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका तक पहुंच गया।
- 20वीं सदी के अन्य महामारियों की तुलना में हांगकांग में इस फ्लू से सबसे कम मौते हुईं थी|
- लेकिन H3N2 वायरस 1969 – 1970 के दौरान वापस आ गया। तब इसे मौसमी फ्लू के नाम से भी जाना गया|
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14- एचआईवी / एड्स (HIV/AIDS)
- ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस संक्रमण या एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम, जिसे एचआईवी / एड्स के रूप में जाना जाता है|
- यह बीमारी 1969 की शुरुआत में फैली थी|उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के अधिकांश शेष हिस्सों में यह फ़ैल गया|
- यह 1981 में विश्व स्तर पर महामारी का रूप ले चुकी थी| इस महामारी के कारण 25 से 35 मिलियन लोगों की जान गई।
- 5 जून 1981 को अमेरिका में एड्स की पहली रिपोर्ट सामने आयी थी, जिसके बाद अप्रत्याशित रूप से कई समलैंगिक पुरुषों में इसका पता चला था|
- उसके बाद धीरे-धीरे हर समुदाय में इस बीमारी को ढूंढा गया और एड्स ’शब्द जुलाई 1982 में इस बीमारी को दिया गया|
- इसी तरह, एचआईवी -1 और एचआईवी -2 दोनों की शुरुआत पश्चिम-मध्य अफ्रीका में हुई है|
- एचआईवी -1 SIV (सिमियन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) के विकास के माध्यम से उत्पन्न हुआ प्रतीत होता है, जबकि HIV-2 सूटी मैंगबी का वायरस है, जो एक पुरानी दुनिया का बंदर है|
- एचआईवी / एड्स वाले लोगों को अक्सर इन्फ्लूएंजा टीकाकरण और न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड वैक्सीन दी जाती है|
- इसके अलावा, एचआईवी / एड्स के खिलाफ उचित उपायों ने 1992 से 1997 के बीच इन संक्रमणों की दर को 50% तक रोकने में मदद की थी|
- अभी तक इसका इलाज करने के लिए कोई टीका नहीं बना है|
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15- स्वाइन फ्लू (Swine Flu)
- स्वाइन फ्लू को स्वाइन इन्फ्लूएंजा के रूप में जाना जाता है, ये एक संक्रमण है जो कई स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस में से एक है।
- इसे सूअर इन्फ्लूएंजा, स्वाएन फ्लू, सूअर फ्लू या शूकर फ्लू के नाम से जाना जाता है|
- यह महामारी 2009 और 2010 के बीच 1 साल तक चली|
- हालांकि, सूअरों से मनुष्यों में वायरस का संक्रमण आम नहीं है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो यह या तो रक्त में एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकता है या संक्रमित हो सकता है|
- सूअर फ्लू ने उन लोगों को प्रमुख रूप से प्रभावित किया जिनका सूअरों से नियमित संपर्क था|
- अप्रैल 2009 में इस बीमारी की शुरुआत ने दुनिया की आबादी का लगभग 11% हिस्सा प्रभावित किया। यह स्पैनिश फ़्लू से भी बड़ी बीमारी साबित हुई थी|
- सीडीसी ने दुनिया भर में 280000 से अधिक मृत्यु का अनुमान लगाया था|
- वही डब्ल्यूएचओ ने आधिकारिक तौर पर अगस्त 2010 में स्वाइन फ्लू की समाप्ति की घोषणा की थी।
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16- सार्स (SARS)
- सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम) कहा जाता है, जो सांस से जुड़ी परेशानी है|
- यह साल 2000 के दशक के प्रारंभ में सार्स-कोव के कारण पैदा हुआ था|
- यह सिंड्रोम SARS कोरोनावायरस प्रजातियों का पहला पहचाना गया प्रकोप था|
- एसएआरएस महामारी 2002 से 2004 तक चली थी|
- साल 2017 के आखिर तक पता नहीं चला कि यह वायरस चीन के युन्नान प्रांत में गुफाओं में रहने वाले घोड़े की नाल के गुफाओं के मध्यस्थ के माध्यम से पैदा हुआ था|
- सार्स के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सुस्ती, गले में खराश, खांसी शामिल है|
- इस महामारी से भी मृत्यु का आंकड़ा 770 था|
- ऐसा देखा गया गया है कि इस वायरस स्ट्रेन (SARS-CoV-2) का उत्तराधिकारी 2019 में खोजा गया था|
- इस नए तनाव को COVID-19 माना जाता है|
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17- इबोला
- इबोला वायरस 2014 में आया और 2016 तक चला था|
- यह एक क्तस्रावी बुखार था जो इबोलाविरस के कारण होता था|
- इसके आम लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश और सिर दर्द शामिल हैं|
- इबोला से संक्रमित लोगों में तीन हफ्ते बाद उल्टी, दस्त और दाने जैसी परेशानी भी दिखती हैं|
- एक समय इससे संक्रमित लोगों की हालत इतनी ख़राब हो गयी थी कि इससे संक्रमित लोगों के आंतरिक भागों से खून आने लगा था|
- दुनिया भर में 11000 लोगों की मौत के अनुमान के साथ, इबोला बीमारी की पहचान पहली बार 1976 में 2 स्थानों पर हुई थी – नजारा और यम्बुकु में|
- इबोला वायरस सीधे संपर्क में आने से फैलता है|
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18- मर्स (MERS)
- मर्स यानी मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम|यह भी कोरोना वायरस की एक प्रजाति है।
- साल 2012 में सऊदी अरब में इसकी शुरुआत हुई जिसे उपन्यास कोरोनवायरस कहा गया था|
- जुलाई 2015 में MERS-CoV के मामले 21 से अधिक देशों में फैल गए थे|
- WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने इसे भविष्य के लिए खतरा बताया था|
- इससे प्रभावित 21 देशों में सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर, मिस्र, UAE, कुवैत, तुर्की, ओमान, बांग्लादेश, अल्जीरिया, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रिया, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन, थाईलैंड मुख्य रूप से शामिल हैं|
- मर्स को मधुमेह, फेफड़े की बीमारी और इम्युनोकॉप्रोमाइज्ड व्यक्तियों के लिए सबसे खतरनाक माना गया है|
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19- नोवल कोरोना वायरस (Novel Coronavirus (COVID-19))
- नोवल कोरोनावायरस महामारी, जिसे COVID-19 भी कहा जाता है|
- यह चीन के वुहान शहर से शुरू हुई|
- अब तक (5 मई 2020), कोरोनावायरस ने दुनिया भर में 252760 लोगों को मौत का शिकार बनाया है|
- कोरोनावायरस से प्रभावित लोगों की कुल संख्या लगभग 3664580 हैं|
- इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, गले में खराश, सांस की तकलीफ और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं|
- कोविड-19 जैसे घातक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं|
- इसे रोकने के कई तरीके अपनाये गए मगर इसका अभी कोई इलाज नहीं है।
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