महर्षि वाल्मीकि की जीवन कथा, जानें कैसे बनें महान कवि
Maharishi valmiki jyanti prakat divas story in Hindi – Maharishi valmiki jayanti kab ki hai – Valmiki Jayanti 2022 – वाल्मीकि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इन्हें आदिकवि (आदि का अर्थ होता है ‘प्रथम’ और ‘कवि’ का अर्थ होता है ‘काव्य का रचयिता’) के नाम से भी जाना जाता है | हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शरद पूर्णिमा की तिथि पर महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस ‘वाल्मीकि जयंती के नाम से मनाया जाता है| इस साल वाल्मीकि जयंती 08 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी।
Maharishi valmiki jayanti kab ki hai – Maharishi valmiki jyanti prakat divas, story in Hindi
महर्षि वाल्मीकि के बारें में – Maharishi valmiki jayanti kab ki hai
रामायण के रचयिता (author) के रूप में विश्व विख्यात (world famous) हैं| महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ| पुराणों के अनुसार बचपन में एक भील ने वाल्मीकि जी को चुरा लिया था जिसकी वजह से उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ। एक समय ध्यान में मग्न वाल्मीकि के शरीर के चारों ओर दीमकों ने अपना घर बना लिया था। जब वाल्मीकि जी की साधना पूर्ण हुई तो वे दीमकों के घर से बाहर निकले, दीमकों के घर को वाल्मीकि कहते हैं इसलिए वे वाल्मीकि के नाम से विख्यात हुए।
वाल्मीकि जयंती कब और क्यों मनाते हैं ? – Valmiki Jayanti 2022 – Maharishi Valmiki Jayanti 2022
वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था। संस्कृत का प्रथम श्लोक लिखने के कारण इनको श्लोक का जन्मदाता कहा जाता है इसलिए वाल्मीकि जयंती को प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है|
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पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और इनका पालन पोषण भील जाति में हुआ। अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए ये डाकू बन गए थे जो जंगल में आते-जाते लोगों को लूटते थे। एक दिन नारद मुनि जंगल से जा रहे थे तभी रास्ते में डाकू रत्नाकर ने उन्हें पकड़ लिया, तब नारद जी ने पूछा तुम लूटपाट करते क्यों हो? तब डाकू रत्नाकर ने जवाब दिया कि परिवार का पालन पोषण करने के लिए यह पाप का काम करता हूं। इसके बाद नारद जी ने पूछा कि जो पाप तुम अपने परिवार के लोगों के लिए कर रहे हो क्या वह तुम्हारे पाप के हिस्सेदार बनेंगे। नारद जी के इस प्रश्न का जवाब डाकू रत्नाकर नहीं दे सका।
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नारद जी की इस बात का डाकू रत्नाकर पर गहरा असर पड़ा और उन्होंने इस गंदे काम को छोड़कर कई वर्षों तक राम नाम का जप किया। इसके बाद उन्होंने संस्कृत भाषा में महाकाव्य रामायण की रचना की जिसके बाद इन्हें महर्षि वाल्मीकि के नाम से जाना जाने लगा।
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शुभ मुहूर्त – Maharishi valmiki jayanti shubh muhurat – Maharishi Valmiki Jayanti 2022
- वाल्मीकि जयन्ती 09 अक्टूबर 20222
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 09, 2022 को 03:41 ए एम बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 10, 2022 को 02:24 ए एम बजे
वाल्मीकि जयंती के दिन क्या किया जाता है ? – Maharishi valmiki jyanti prakat divas story in Hindi
- इस दिन सुबह स्नान कर सभी श्रद्धालु वाल्मीकि जी की पूजा करते हैं और उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है| इसमें सभी भक्तगण नाचते गाते हैं।
- इस दिन भगवान राम की पूजा भी की जाती है और शोभा यात्रा में राम,लक्ष्मण, सीता और हनुमान की मूर्तियों को भी सजाया जाता है|
- कई जगह इस दिन भण्डारे भी किये जाते हैं। कई जगह इस दिन वाल्मीकि जी के जीवन से जुड़ा ज्ञान दिया जाता है। लोगों को बुरा काम छोड़कर सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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महर्षि वाल्मीकि का पहला श्लोक – Maharishi Valmiki Jayanti 2022
- महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पावन ग्रंथ रामायण में प्रेम, त्याग, तप व यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सही मार्ग पर चलने की राह दिखाई|
- एक बार महर्षि वाल्मीकि नदी के किनारे क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे , वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था, तभी एक व्याध ने क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक को मार दिया, नर पक्षी की मृत्यु से व्यथित मादा पक्षी विलाप करने लगती है|
- उसके इस विलाप को सुनकर वालमीकि के मुख से ‘मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्’ श्लोक निकला और महाकाव्य रामायण का आधार बना। उसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध महाकाव्य “रामायण” (जिसे “वाल्मीकि रामायण” के नाम से भी जाना जाता है) की रचना की और “आदिकवि वाल्मीकि” के नाम से अमर हो गये।
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