Mansa Devi Mandir Haridwar – हरिद्वार जाएं तो ज़रुर करें मनसा देवी के दर्शन, पूरी होगी हर मुराद
Mansa Devi Mandir Haridwar – Mansa Devi story – भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसा ही एक मंदिर हरिद्वार में स्थित है, जो मनसा देवी के नाम से फेमस है। मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना अन्य सिद्ध शक्तिपीठों का। तो चलिए आपको मनसा देवी का इतिहास और उससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताते हैं।
Mansa devi mandir haridwar – मनसा देवी मंदिर हरिद्वार
कहां स्थित है मनसा देवी मंदिर? – Mansa Devi Temple, Haridwar – mansa devi mandir ke bare mein bataiye
- यह मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है। हरिद्वार से यह मंदिर तीन किमी दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है।
- यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि मनसा देवी और चंडी देवी पार्वती के दो रूप हैं जो हमेशा एक दूसरे के करीब रहते हैं|
Mansa Devi Mandir Haridwar
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मंदिर के बारे में – mansa devi mandir ke bare mein jankari – haridwar ki mansa devi ka mandir
- इस मंदिर में देवी की दो मूर्तियां स्थापित हैं, एक मूर्ति की 5 भुजाएं और 3 मुंह हैं। दूसरी मूर्ति की 8 भुजाएं हैं।
- यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। भक्त मंदिर में मां को नारियल, मिठाई, फूल और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।
- कहते हैं कश्यप ऋषि की ये पुत्री थी जो उनके मन से अवतरित हुई थी और इसलिए ये मनसा कहलाई। माँ मनसा शक्ति का ही एक रूप हैं।
- मंदिर में एक पेड़ है जिसपर भक्त धागा बांधकर अपनी मन्नत मांगते हैं। जब भक्तों की इच्छा पूरी हो जाती है तो यहां आकर उस धागे को खोल देते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं।
- मनसा देवी जाने के दो रास्ते है, एक पैदल यात्रा का और दूसरा उड़न खटोले के द्वारा। पैदल वाले रास्त पर आपको कुल 786 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
- नवरात्रों में यहां लाखों की तादाद में भक्त आते हैं और मां से मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि मनसा देवी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मनसा देवी की मान्यता पूरे देश में है।
- यह मंदिर सुबह 8:00 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं जिसमे माँ का श्रृंगार किया जाता है और भोग लगाया जाता है।
Mansa Devi Mandir Haridwar
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मनसा देवी की पौराणिक कथा – mansa devi temple – mansa devi story
पुराण
- अलग – अलग पुराणों में मनसा देवी की अलग – अलग किंवदंतियां लिखी गई हैं। पुराणों में बताया गया है कि मनसा देवी का जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ था और ये विष से अधिक शक्तिशाली थी इसलिए ब्रह्मा ने इनका नाम विषहरी रखा।
विष्णु पुराण – mansa devi ki kahani in hindi
- विष्णु पुराण में नागकन्या के बारे में बताया गया है जो मनसा देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
ब्रह्मवैवर्त पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि एक नागकन्या थी जो भगवान शिव तथा कृष्ण भगवान की भक्त थी। उसने कई सालों तक तपस्या की तथा शिव भगवान से वेद तथा कृष्ण जी से मंत्र का ज्ञान प्राप्त किया। ये मंत्र कल्पतरु मंत्र के नाम से जाना गया। उस कन्या ने पुष्कर में तप कर के कृष्ण भगवान के दर्शन किए और उनसे सदैव पूजित होने का आशीर्वाद (वरदान) प्राप्त किया।
Mansa Devi Mandir Haridwar
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मंगलकाव्य
- मंगलकाव्य के अनुसार वासुकि नाग की मां नें एक कन्या की मूर्ती का निर्माण किया जो शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई और मनसा देवी कहलाई। जब शिव भगवान ने मनसा को देखा तो वो उसे देखकर मोहित हो गए, तब मनसा ने उन्हें बताया कि वह उनकी पुत्री हैं। ये जानकर शिव भगवान मनसा को कैलाश पर्वत ले गए। माता पार्वती ने मनसा को जब भगवान शिव के साथ देखा तो उन्होंने चण्डी का रूप धारण कर लिया और मनसा के एक नेत्र को अपने तेज से जला दिया। शिव भगवान को हलाहल विष से मुक्त मनसा देवी ने ही किया था।
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