शिव के इस मंदिर में शिवलिंग दिन में 3 बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं ढूंढ़ पाए राज़
Mysterious temple of lord shiva – भगवान शिव शंकर की शक्ति से पूरी दुनिया चलती है। भगवान शिव के भारत में कई मंदिर प्रसिद्ध हैं, लेकिन शिव के कई ऐसे रहस्यमय मंदिर भी हैं जो अलग-अलग रहस्यों से बने हैं। ये ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं जिनके रहस्यों के बारे में आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। तो चलिए आज आपको बताते हैं भगवान शिव के अद्भुत और रहस्यमयी मंदिरों के बारे में।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर
- भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है स्तंभेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर गुजरात के कैम्बे तट पर मौजूद हैं।
- इस मंदिर में कई रहस्यमयी चीज़े हैं जिनका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया। बताया जाता है कि यह चमत्कारी मंदिर दिन में दो बार समुद्र में डूब जाता है और कुछ देर बाद वापस भी आ जाता है।
- इस चमत्कार को देखने के लिए देश भर से लोग यहां आते हैं। माना जाता है कि ऐसा समुद्र में ज्वार भाटा उठने के कारण होता है।
- ज्वार के समय यह मंदिर पूरी तरह से समुद्र में डूब जाता है। भक्त इस मंदिर के दर्शन तभी कर सकते हैं जब समुद्र में ज्वार कम हो।
- सुबह और शाम के समय होने वाले इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए लोग पूरे दिन यहां इंतज़ार करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस अनोखे मंदिर का निर्माण खुद शिव के पुत्र कार्तिकेय ने किया था।
Mysterious temple of lord shiva
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अचलेश्वर महादेव मंदिर
- अचलेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के धौलपुर में स्थित है। ये भी बहुत रहस्यमय मंदिर है। इस मंदिर की खास बात ये है कि इस मंदिर का शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है।
- सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल, दोपहर के समय केसरिया और दिन ढलने के बाद इसका रंग सांवला हो जाता है।
- ये मंदिर अपने आप में ही अद्भुत है। इस चमत्कार को देखने के लिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
- मंदिर की खास बात ये भी है कि यहां मौजूद शिवलिंग के छोर के आखिरी भाग तक कोई नहीं पहुंच पाया है।
- वैज्ञानिकों ने भी कई बार इसका पता लगाने की कोशिश की है, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया। शिवलिंग का रंग बदलना आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
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निष्कलंक महादेव
- गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किमी. अंदर अरब सागर में निष्कलंक महादेव मंदिर स्थित है। इस मदिर में पांच शिवलिंग हैं।
- यहां अरब सागर की लहरें रोज़ पांच शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। भक्त यहां पानी में पैदल चलकर ही मंदिर के दर्शन कर पाते हैं।
- कहा जाता है शिवलिंग के पास एक कुंड भी है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन खुद मां गंगा प्रकट होती हैं।
- भक्तों को यहां दर्शन करने के लिए ज्वार के उतरने का इंतज़ार करना पड़ता है। मान्यता है कि इस जगह पांडवों ने अपने भाईयों को युद्ध में मार गिराने के कलंक से मुक्ति पाई थी जिस कारण इसे निष्कलंक महादेव कहा जाता है।
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टूटी झरना शिव मंदिर
- झारखंड के रामगढ़ में टूटी झरना शिव मंदिर है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं।
- मंदिर की खास बात ये है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है। यह जलाभिषेक सदियों से हो रहा है।
- माना जाता है कि इस जगह का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि उस दशक में अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। खुदाई के दौरान उन्हें ज़मीन के अन्दर कुछ चीज़ दिखाई दी।
- इसके बाद अंग्रेजों ने पूरी खुदाई करवाई और खुदाई के बाद ये मंदिर पूरी तरह से नज़र आया। मंदिर के अन्दर शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली।
- प्रतिमा के नाभी से लगातार जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है। भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक रहस्य है। यहां पर दो हैंडपंप भी लगाए गए हैं, जो रहस्यों से घिरे हुए हैं।
- इन हैंडपंप से अपने- आप पूरे साल पानी निकलता है इसलिए यहां के लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
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