Narada jayanti date muhurat puja vidhi – कब है नारद जयंती? जानिए शुभ मुहूर्त और कथा
Narada jayanti date muhurat puja vidhi – वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के दिन नारद जयंती मनाई जाती है। यह दिन देवऋषि नारद मुनि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। नारद जयंती 17 मई 2022 को मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार नारद मुनि को देवताओं का संदेशवाहक कहा जाता है। जानिए कब और किस मुहूर्त में नारद जयंती मनाई जाएगी।
ऋषि नारद मुनि के बारे में – Narada jayanti date muhurat puja vidhi
- नारद जी हिन्दु शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के छः पुत्रों में से छठे पुत्र हैं।
- नारद मुनि हमेशा सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए ब्रह्मांड में भ्रमण करते रहते थे।
- ऋषि नारद भगवान नारायण के भक्त हैं, जो भगवान विष्णु के रूपों में से एक है।
- नारायण के रूप में भगवान विष्णु को सत्य का अवतार माना जाता था।
- आमतौर पर नारद जयंती बुद्ध पूर्णिमा के अगले दिन आती है। यदि प्रतिपदा तीथ को छोड़ दिया जाए तो बुद्ध पूर्णिमा और नारद जयंती एक ही दिन पड़ सकती है।
- अथर्ववेद के अनुसार नारद नाम के एक ऋषि हुए हैं।
- मनुस्मृति के अनुसार एक प्राचीन ऋषि का नाम नारायण है जो नर के साथी थे। नारायण ने ही अपनी जंघा से उर्वशी को उत्पन्न किया था। विष्णु के एक विशेषण के रूप में भी नारायण शब्द का प्रयोग किया जाता है।
Must read: 24 avatars of lord Vishnu in Hindi – ये हैं भगवान विष्णु के पूरे 24 अवतार
मुहूर्त – Narada jayanti date muhurat puja vidhi
- नारद जयंती मंगलवार, मई 17, 2022
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – मई 16, 2022 को 09:43 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – मई 17, 2022 को 06:25 बजे
Must read: भगवान नरसिंह के प्रसिद्ध मंदिर, जिनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
नारद मुनि जन्म कथा – Narada jayanti date muhurat puja vidhi
कथाओं के अनुसार नारद मुनि ब्रह्माजी की गोद से पैदा हुए थे। ब्रह्माजी का मानस पुत्र बनने के लिए उन्होंने पिछले जन्मों में कड़ी तपस्या की थी। ऐसा माना जाता है कि पूर्व जन्म में नारद मुनि गंधर्व कुल में पैदा हुए थे, जिस बात का उन्हें अहंकार हो गया था। तब उनका नाम उपबर्हण था। एक दिन कुछ अप्सराएं गंधर्व गीत और नृत्य से भगवान ब्रह्मा की उपासना कर रही थी। तो उपबर्हण स्त्रियों के साथ श्रृंगार भाव से वहां आया, जिससे ब्रह्मा जी अत्यंत गुससे में आ गए और उपबर्हण को श्राप दे दिया कि वह ‘शूद्र योनि’ में जन्म लेगा। श्राप के कारण उपबर्हण का जन्म एक शूद्र पुत्र के रूप में हुआ और इन्होंने अपना सारा जीवन ईश्वर की भक्ति में लीन रह कर निकला। बालक के इस तप से अचानक आकाशवाणी हुई कि इस जन्म में उस बालक को भगवान के दर्शन नहीं होंगे बल्कि अगले जन्म में वह उनके पार्षद के रूप उन्हें पुनः प्राप्त कर पाएंगे। तब अगले जन्म में यही बालक ब्रह्मा जी के ओरस पुत्र कहलाए और पूरे ब्रम्हांड में नारद मुनि के नाम से प्रसिद्ध हुए।
Must read: Vishnu Aarti in Hindi: ओम जय जगदीश हरे
Narada jayanti date muhurat puja vidhi, जैसी ख़बरों के लिए हमारे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हमें फ़ॉलो करें और हमारे वीडियो के बेस्ट कलेक्शन को देखने के लिए, YouTube पर हमें फॉलो करें।