Narasimha Jayanti Puja Vidhi – जानें नरसिंह जयंती का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Narasimha Jayanti puja vidhi – भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन नरसिंह जयंती मनाई जाती है। नरसिंह जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु नरसिंह के रूप में प्रकट हुए थे। नरसिंह के रूप में ये आधे मानव और आधे सिंह के रूप में अवतरित हुए थे। इस साल नरसिंह जयंती 4 मई 2023 को पड़ेगी। तो चलिए जानते हैं नरसिंह जयंती क्यों मनाई जाती है और इसका शुभ मुहूर्त।
Narasimha jayanti puja vidhi । नरसिंह जयंती कब है?
नरसिंह जयंती कब है?
- वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन यह पड़ती है। इस साल यह 14 मई 2022 को पड़ेगी।
- हिंदू धर्म में इस जयंती का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु नरसिंह रूप में आधे मानव और आधे सिंह के रूप में इस दिन अवतरित हुए थे।
महत्व – Narasimha Jayanti puja vidhi
- ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। इस दिन व्रत करने से घर में सुख शांति आती है।
- आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए नरसिंह जयंती के दिन माता लक्ष्मी के साथ नरसिंह अवतार की पूजा करना शुभ माना जाता है।
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नरसिंह जयंती शुभ मुहूर्त – Narasimha Jayanti puja vidhi
- नरसिंह जयन्ती 4 मई 2023
- नरसिंह जयन्ती सायंकाल पूजा का समय – 16:26 से 19:11
(अवधि – 02 घण्टे 45 मिनट्स) - नरसिंह जयन्ती पारण समय – 05:25, मई 15 के बाद
- मध्याह्न संकल्प का समय – 10:56 से 13:41
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – मई 4, 2023 को 00:11 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – मई 4, 2023 को 20:29 बजे
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नरसिंह देव के अन्य नाम – Narasimha Jayanti puja vidhi
- नरसिंह
- नरहरि
- उग्र विर माहा विष्णु
- हिरण्यकश्यप अरी
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नरसिंह जयंती पूजा विधि – Narasimha Jayanti puja vidhi
- शाम के समय स्नान करें और नए वस्त्र धारण करें।
- भगवान नरसिंह की पूजा शाम के समय की जाती है।
- पूजा के समय भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी की मूर्ती स्थापित करें।
- पूजा के लिए फल, फूल, चंदन, कपूर, रोली, धूप, कुमकुम, केसर, पंचमेवा, नारियल, अक्षत, गंगाजल, काले तिल एकसाथ रख लें।
- भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी को पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फूल चढ़ाएं।
- चंदन, कपूर, रोली चढ़ाएं और आरती करें।
- इस दिन गरीबों को तिल और कपड़ा दान करना शुभ माना जाता है।
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नरसिंह जयंती की कथा – Narasimha Jayanti puja vidhi
- कथाओं के अनुसार कश्यप नाम का एक राजा था उसके दो पुत्र थे हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। हिरण्याक्ष एक बार धरती को पाताल लोक में ले गया था। तब विष्णु जी ने क्रोध में आकर उसका वध कर दिया और वापस शेषनाग की पीठ पर धरती को स्थापित कर दिया। हिरण्याक्ष की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसके भाई हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि ना उसे कोई मानव मार सके और ना ही कोई पशु मार पाए। तब ब्रह्मा जी से यह वरदान पाकर वह अहंकारी बन गया और लोगों को कष्ट देने लगा, लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था उसने प्रहलाद को विष्णु की भक्ति करने से रोका और मारने की कोशिश की। हिरण्यकश्यप के पुत्र ने कहा भगवान हर जगह रहते हैं। अपने बेटे को चुनौती देते हुए कहा कि अगर तुम्हारे भगवान हर जगह हैं तो दिखते क्यों नहीं। तब भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। उसके बाद भगवान नरसिंह हिरण्यकश्यप को उठाकर देहलीज़ पर ले गए जहां उन्होंने अपनी जांघों पर लिटाकर उसके सीने को नाखूनों से फाड़ दिया। भगवान नरसिंह ने जिस स्थान पर हिरण्यकश्यप का वध किया, उस समय वह न तो घर के अदंर था और ना ही बाहर, ना दिन था और ना रात, भगवान नरसिंह ना पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु। नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को ना धरती पर मारा ना ही आकाश में बल्कि अपनी जांघों पर मारा। मारते हुए शस्त्र-अस्त्र नहीं बल्कि अपने नाखूनों का इस्तेमाल किया। तब से इस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाने लगा।
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