Navratri 9 Devi Images With Name: इस पूजा विधि, भोग, मंत्र से करें नौ दुर्गा देवियों का पूजन
Navratri 9 Devi Images With Name – Navratri 9 devi mantra puja vidhi pdf – Navratri 9 devi mantra puja vidhi in hindi – पूरे भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना के लिए मनाया जाता है। साल में नवरात्रि का पर्व कुल चार बार आता है जिनमें से चैत्र माह तथा अश्विन माह के नवरात्रि को धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य दो नवरात्रि के दिन गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाए जाते हैं। आज हम आपको लिए इस लेख के माध्यम से नवरात्रि के नौ देवियों के स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र तथा उनको अर्पित भोग के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
Navratri 9 Devi Images With Name – Navratri 9 devi mantra puja vidhi pdf – Navratri 9 devi mantra in hindi pdf
नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप
प्रथम दिन : शैलपुत्री माता – Maa shailputri
शैलपुत्री देवी का स्वरूप : शैलपुत्री देवी ने शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था जिस कारण इनका नाम शैलपुत्री विख्यात हुआ। शिवजी की पत्नी देवी पार्वती भी यही बनीं। इन्हें हैमवती देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनका वाहन वृषभ है। देवी ने दाहिनी हाथ में त्रिशूल तथा बाहिने हाथ में कमल का पुष्प धारण किया है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि – Maa shailputri puja vidhi in hindi
- देवी शैलपुत्री की तस्वीर अथवा मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां का ध्यान करें।
- मां की कथा पढ़ें और आरती करें।
देवी का भोग – Maa shailputri bhog
शैलपुत्री देवी को गाय का घी अर्पित करने से मनुष्य तन तथा मन से रोगमुक्त होता है।
मंत्र : Maa shailputri ka mantra
ओम् शं शैलपुत्री दैव्ये नमः।।
पूजा का महत्व : Maa shailputri puja mahatva
शरीर की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
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Navratri 9 Devi Images With Name
द्वितीय दिन : ब्रह्मचारिणी – Navaratri Day 2 maa Brahmacharini
देवी का स्वरूप – maa Brahmacharini : ब्रह्मचारिणी देवी में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या तथा चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी देवी ने कई वर्षों तक शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की जिस कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी विख्यात हुआ। इसके साथ ही उन्हें तपिश्चारिनी देवी भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को त्याग तथा तपस्या का गुण मिलता है। यह धवल वस्त्रों को धारण करती हैं। इनके दाहिनी हाथ में जपमाला तथा बाहिने हाथ में कमंडल शोभित है।
पूजा विधि – maa Brahmacharini puja vidhi
- ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करते समय उन्हें फूल अर्पित करें।
- फिर अक्षत, चंदन, रोली से तिलक करें।
- देवी का ध्यान करें और आरती करें।
- अब प्रसाद अर्पित करें।
मंत्र – maa Brahmacharini mantra
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
भोग : maa Brahmacharini ka bhog
देवी माता के स्वरूप को मिश्री, चीनी तथा पंचामृत का भोग अर्पित करना चाहिए।
पूजा का महत्व : maa Brahmacharini puja mahatva
लंबी आयु तथा सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलता है मनचाहा फल
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तृतीय दिन : चंद्रघंटा – maa Chandraghanta
चंद्रघटा देवी का स्वरूप – maa durga Chandraghanta : देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है जिस कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी के नाम से पुकारा गया। देवी का यह स्वरूप भक्तों को शांति तथा साहस प्रदान करता है।
पूजा विधि – maa Chandraghanta puja vidhi :
- सर्वप्रथम चंद्रघंटा देवी की प्रतिमा स्थापित करें।
- लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर चांदी या तांबे के कलश में जल भरकर, ऊपर नारियल रखकर स्थापित करें।
- इसके बाद मन में चंद्रघंटा देवी का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
मंत्र – maa Chandraghanta mantra
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
भोग – maa Chandraghanta ka bhog
चंद्रघंटा देवी को दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाना चाहिए। दूध की खीर भी देवी को प्रसन्न करती है।
पूजा का फल : देवी चंद्रघंटा की पूजा साधक के समस्त पापों तथा बाधाओं का नाश करती है।
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चतुर्थ दिन : कूष्माण्डा माता – Maa Kushmanda
देवी का स्वरूप – Maa Kushmanda : देवी कूष्माण्डा इस जगत की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी अष्टभुजा होने के कारण इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी पुकारा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः धनुष बाण, कमंडल, चक्र, अमृत कलश तथा गदा है तथा आठवें हाथ में समस्त सिद्धियां तथा निधियों को धारण करने वाली जपमाला है।
पूजा विधि – Maa Kushmanda puja vidhi
- अन्य स्वरूपों की भांति ही देवी कूष्माण्डा की पूजा की जाती है।
- उनकी प्रतिमा को चौकी पर स्थापित कर कलश में जल भरकर ऊपर नारियल रख देवी का रोली, चावल से तिलक करके देवी का स्मरण करते हैं।
मंत्र : Maa Kushmanda mantra
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||
भोग – Maa Kushmanda bhog
देवी कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
पूजा का फल : देवी कुष्मांडा अष्ट सिद्धि योग की देवी हैं। इनकी उपासना करने वाले भक्तों की आयु यश में वृद्धि होती है। इसके साथ ही भक्त सुख, समृद्धि तथा शांति की राह पर आगे बढ़ते हैं।
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पंचम दिन : स्कंदमाता देवी – Skandamata
देवी का स्वरूप – Skandamata: कमल के पुष्प पर विराजमान देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प तथा बाहिनी हाथ की ओर में वरमुद्रा धारण की हुई है। यह शुभ्र वर्ण की देवी हैं। इन्हें पद्मासन देवी के नाम से भी पुकारा जाता है। इनका वाहन सिंह भी है।
पूजा विधि – Skandamata puja vidhi
- चौकी पर साफ कपड़े को बिछाकर, देवी स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित करें।
- अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों को स्थापित करें।
- इनका आह्वान करें।
- चंदन, तिलक, अक्षत, रोली से पूजन करें।
- पूजा का संकल्प लें।
मंत्र – Skandamata mantra
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी ।।
भोग – Skandamata bhog
स्कंदमाता को केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
पूजा का फल : इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है। मोक्ष का फल भी प्राप्त होता है।
षष्ट दिन : कात्यायनी देवी – maa katyayani
देवी का स्वरूप – maa katyayani : देवी का छठा स्वरूप कात्यायनी देवी का है। सोने जैसी चमकदार माता का जन्म ऋषि कत्यायान के हुआ था जिस कारण चार भुजाओं वाली इस देवी को कात्यायनी देवी कहा जाता है। इनके एक हाथ में कमल तथा तलवार है तथा दूसरे हाथ में वरमुद्रा तथा अभ्यामुद्रा सुशोभित है।
पूजा विधि – maa katyayani puja vidhi
- देवी कात्यायनी की पूजा कलश स्थापित करके पुष्प आदि चढ़ाकर, हाथों में कमल का पुष्प लेकर देवी के मंत्रों का जाप करें।
- अन्य देवी देवताओं का आवाह्न करें।
मंत्र – maa katyayani mantra
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।
भोग – maa katyayani bhog
देवी को शहद को भोग लगाना शुभ माना जाता है।
पूजा का फल : देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से मनुष्य को काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। दुखों का नाश होता है।
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सप्तमी दिन : कालरात्रि देवी – Kalaratri mata
देवी का स्वरूप – Kalaratri mata : नौ दिनों में सातवें दिन देवी कालरात्रि को पूजा जाता है। इनका शरीर काली घटा के समान है। इनका स्वभाव शांत है परन्तु दुष्टों के लिए यह उग्र तथा प्रचंड हैं। इनका वाहन गंदर्भ है। देवी कालरात्रि ने अपने हाथों में खड्ग तथा लोहे का कांटा धारण किया है। इन्हें शुंभकारी देवी भी कहा जाता है।
पूजा विधि – Kalaratri mata puja vidhi
- देवी कालरात्रि की पूजा थोड़ी कठिन है। इनके उपासना के मंत्र अत्यंत विचित्र हैं।
- इन्हें पूजने वाले भक्त आधी रात को तांत्रिक पूजा करते हैं।
- देवी सच्चे भाव से पूजा करने वाले हर भक्त से प्रसन्न होती हैं।
मंत्र – Kalaratri mata mantra
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
भोग – Kalaratri mata bhog
शहद का भोग लगाना चाहिए।
पूजा का फल : शत्रु से घिर जाने पर माता कालरात्रि का ध्यान करना चाहिए। यह आपको दुष्टों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं।
अष्टमी दिन : महागौरी – Maa Durga Mahagauri
देवी का स्वरूप – Maa Durga Mahagauri: देवी का आठवां स्वरूप महागौरी का है। यह अत्यन्त सरल, शांत तथा समृद्ध स्वभाव की हैं। यह श्वेत वस्त्र धारण करने वाली हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनकी चार भुजाएं हैं। आभूषण तथा श्वेत वस्त्र धारण करने वाली महागौरी देवी सुंदर तथा सुशील हैं।
पूजा विधि Maa Durga Mahagauri puja vidhi
- देवी महागौरी की प्रतिमा चौकी पर स्थापित कीजिए।
- तिलक आदि करके, घी का दीपक प्रज्वलित कीजिए।
- माता का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।
मंत्र – Maa Durga Mahagauri mantra
ॐ ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ महागौरी देव्यै नम:।।
भोग – Maa Durga Mahagauri bhog
देवी महागौरी को दूध का भोग लगाना चाहिए।
पूजा का फल : देवी का यह स्वरूप जब आप से प्रसन्न होती है तो यह आपकी समस्त इच्छाओं का पूरा करती हैं।
Must read: सिद्धि और मोक्ष पाने के लिए करें मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा
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नवम दिन : सिद्धिदात्री देवी – maa siddhidhatri
देवी का स्वरूप – maa siddhidhatri : नवरात्रि में देवियों का यह अंतिम स्वरूप है जिसका नाम सिद्धिदात्री है। सिद्धियों को प्रदान करने के कारण इनका नाम सिद्धिदात्री पड़ा। अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए देवी ने इस स्वरूप को धारण किया।
पूजा विधि – maa siddhidhatri puja vidhi
- माता की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद दूध से स्नान कराकर, फूल आदि अर्पित करें।
- नौ रंग के अलग – अलग फूल अक्षत चंदन रोली सिन्दूर लगाएं।
- विभिन्न खाद्य प्रधातों का भोग लगाएं।
- माता रानी का ध्यान करें।
मंत्र – maa siddhidhatri mantra
देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
“ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः”।।
भोग – maa siddhidhatri bhog
विभिन्न अनाजों तथा हलवा चने का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
पूजा का फल : यह सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी है। साथ ही ऋषि मुनियों का भी भला करती हैं।
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