Orchha Temples – ओरछा के इन मंदिरों में दिखता है खूबसूरती और भक्ति का अनूठा संगम
Orchha Temples – झांसी के पास स्थित ओरछा एक दर्शनीय स्थल है। यहाँ आपको खूबसूरती के साथ-साथ भक्ति भाव देखने को मिलेगा। बेतवा नदी की बाहों में बसा ओरछा अपने रामराजा मंदिर और राजा महल जैसी प्रसिद्ध जगहों के लिए जाना जाता है। यह जगह ग्वालियर से मात्र 120 किलोमीटर की दूरी पर है। तो चलिए आपको बताते हैं ओरछा के प्रसिद्ध मंदिर और घूमने की जगहों के बारे में।
Orchha temples – best places to visit in Orchha – ओरछा के प्रसिद्ध मंदिर
चतुर्भुज मंदिर – Chaturbhuj Temple
- यह मंदिर ओरछा के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण साल 1558 से 1573 के बीच राजा मधुकर द्वारा करवाया गया था।
- इस मंदिर में एक हॉल बनाया गया है जहाँ कृष्ण भक्त कृष्ण भजन कीर्तन करने के लिए आते हैं।
- मंदिर की दीवारों और छत पर आपको अनोखी वास्तुकला देखने को मिलेगी।
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लक्ष्मीनारायण मंदिर – Laxminarayan Temple
- इस मंदिर का निर्माण 1622 ई. में बीर सिंह देव द्वारा कराया गया था।
- ओरछा गांव के पश्चिम इलाके में एक पहाड़ी पर यह मंदिर है।
- मंदिर की प्राचीनता इस बात से पता चलती है कि इसकी दीवारों पर आपको कई तरह के सत्रहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के चित्र बने हुए दिखाई देंगे।
- इन चित्रों को देखकर ऐसा लगता है जैसे इन्हें हाल ही में दीवारों पर बनाया गया हो।
- इसके अलावा आपको यहाँ झाँसी की लड़ाई और भगवान कृष्ण से जुड़ी आकृतियां देखने को मिलेंगी।
- लक्ष्मीनारायण मंदिर देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर को 1793 में पृथ्वी सिंह द्वारा पुनः निर्माण करवाया गया था।
Orchha Temples – orchha ka mandir
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रामराजा मंदिर – Shri Ram Raja Mandir
- पूरे भारत में यह मंदिर बहुत प्रचलित है। रामराजा मंदिर भगवान राम को समर्पित है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है।
- यह मंदिर चकोर चबूतरे पर बना है। इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं।
- यहां राम ओरछाधीश के रूप में भी जाने जाते हैं।
- इस मंदिर के पास कई हनुमान जी के मंदिर हैं जिसे एक सुरक्षा चक्र के रूप में माना जाता है।
रामराजा मंदिर से जुड़ी कहानी – Shri Ram Raja Mandir facts – Orchha Temples
- पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ओरछा नरेश मधुकर शाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरि से कृष्ण उपासना के लिए उसे वृंदावन जाने के लिए कहा। मगर रानी गणेशकुंवरि प्रभु राम की भक्त थी इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया।
- तब राजा ने गुस्से में रानी से कहा कि तुम इतनी रामभक्त हो तो प्रभु राम को ओरछा लाओ। रानी ने अयोध्या पहुंचकर सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटिया बनाकर साधना आरंभ की। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधना करते थे।
- तब संत शिरोमणि तुलसीदास ने रानी को आर्शीवाद दिया, लेकिन इसके बाद भी रानी को राजा के दर्शन नहीं हुए। इस बात से निराश होकर रानी अपने प्राण त्यागने के लिए सरयू की मझधार में कूद गई। तब उन्हें जल के अंदर ही भगवान राम के दर्शन हुए और रानी ने उन्हें अपनी कहानी सुनाई। कहानी सुनने के बाद रामराजा ने तीन शर्तों के साथ उनके साथ चलना स्वीकार किया।
- पहली शर्त हम यात्रा पैदल करेंगे, दूसरी शर्त यात्रा केवल पुष्प नक्षत्र में होगी और तीसरी शर्त रामराजा की मूर्ती जिस जगह रखी जाएगी वहां से पुन: नहीं उठेगी।
- तब रानी ने राजा को संदेश पहुंचाया कि वह रामराजा के साथ ओरछा आने वाली हैं। संदेश मिलने के बाद ओरछा नरेश मधुकरशाह ने कार्डो की लागत से चतुर्भुज मंदिर का निर्माण करवाया।
- जब रानी ओरछा पहुंची तो उन्होंने यह मूर्ती अपने महल में रख दी। यह निश्चित हुआ की शुभ मुहूर्त में मूर्ती को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज जाने से मना कर दिया। कहते हैं कि राम यहां बाल रूप में आए थे और पहली बार मूर्ती महल में राखी गयी इसलिए करोडों का चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान पड़ा है।
- संजोग की बात यह भी थी कि 1631 को रामराजा का ओरछा में आगमन हुआ, उसी दिन रामचरित मानस का लेखन भी पूरा हुआ था, जिसके अनुसार जब राम वनवास जा रहे थे तो उन्होंने अपनी एक बाल मूर्ती मां कौशल्या को दी थी।
- मां कौशल्या उसी को बाल भोग लगाया करती थीं। जब राम अयोध्या लौटे तो कौशल्या ने यह मूर्ती सरयू नदी में विसर्जित कर दी।
- यही मूर्ति गणेशकुंवरि को सरयू की मझधार में मिली थी।
Best places to visit in orchha – Orchha Temples
जहांगीर महल – Jahangir Mahal
- जहांगीर महल सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है।
- तीन मंजिला यह महल जहांगीर के स्वागत में राजा बीरसिंह देव ने बनवाया था।
- इस महल के एंट्रेंस पर आपको दो विशाल हाथियों की मूर्ती देखने को मिलेगी।
- इसे बुन्देलों और मुगल शासक जहांगीर की दोस्ती की निशानी कहा जाता है।
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