पी.टी उषा बायोग्राफी
P T Usha biography – पी.टी उषा का जन्म केरल के पय्योली गांव में हुआ। 1976 में केरल सरकार ने महिलाओं के लिए एक स्पोर्ट्स स्कूल की शुरूआत की, जिसमे उषा का चयन डिस्ट्रिक्ट को रिप्रेजेंट करने के लिए किया गया था। पी.टी उषा को ‘क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फील्ड’ और पय्योली एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता है
P T Usha biography
- 1979 में पी.टी उषा ने नेशनल स्कूल गेम्स में भाग लिया, जहां उनकी प्रतिभा को ओ.एम. नांबियार ने पहचाना। नांबियार उषा के पूरे करियर में उनके कोच बने रहे।1982 में दिल्ली में हुए एशियाड में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में सिल्वर पदक जीता। इसके बाद कुवैत में हुए एशियन ट्रैक और फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर में गोल्ड जीतकर एक नया एशियन रिकॉर्ड बनाया।
- 1984 में लॉस एंजेलिस ओलिमपिक्स में उषा 400 मीटर के सेमीफाइनल तक तो पहुंचीं, लेकिन मेडल हासिल नहीं कर पाईं| इसके बाद 1985 में इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियंस में हिस्सा लिया और 5 गोल्ड और 1 ब्रोज़ अपने नाम किया।
- 1986 में सियोल में हुए 10वें एशियन गेम्स में चार रिले रेस में हिस्सा लेकर उषा ने चारों गोल्ड अपने नाम किए। एक ही एथलिट द्वारा इतने मेडल एक साथ जीतना अपने आप में ही एक रिकॉर्ड था जिसे महान पी टी उषा ने अपने नाम किया।
- 1989 मे दिल्ली में आयोजित एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट में उषा ने 4 गोल्ड, 2 सिल्वर जीते। यह वो समय था जब उषा अपने रिटायरमेंट की घोषणा करना चाहती थीं, लेकिन सभी लोगों ने उन्हें अपनी आखिरी पारी खेलने के लिए बोला, जिसके बाद उन्होंने 1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। इस इवेंट के लिए उषा पूरी तरह से तैयार नही थीं बावजूद इसके उन्होंने 3 सिल्वर जीते।
- 1990 के बाद इन्होंने सन्यास ले लिया और 1991 में वी श्रीनिवासन से शादी कर ली। 1998 में अचानक सबको हैरान करते हुए इन्होंने एथलेटिक्स में वापसी की और जापान में हुए ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ मे हिस्सा लेकर ब्रोज़ जीता।
- 1984 में इन्हें ‘अर्जुन अवॉर्ड’ और ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी’ और ‘स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द मिलेनियम’ का ख़िताब दिया गया।
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