Purnima vrat katha pdf in hindi: यहां पढ़ें पूर्णिमा व्रत की कथा
Purnima vrat katha pdf in hindi – हिन्दू धर्म में विभिन्न व्रत आदि रखने की मान्यता प्रचलन में है। हर साल अनेक देवी देवताओं के स्वरूपों का गुणगान करते हुए व्रत तथा पर्व मनाए जाते हैं। इसी के साथ पूर्णिमा व्रत का भी विशेष महत्व है। पूर्णिमा व्रत भाद्रपद की निश्चित तिथि को रखा जाता है जिसमें भगवान विष्णु के अवतार श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। आज हम आपके लिए इसी महत्वपूर्ण पूर्णिमा व्रत की कथा लेकर प्रस्तुत हुए हैं। यह व्रत कथा आपके पूर्णिमा व्रत को पूर्ण रूप से सफल करेगी।
Purnima vrat katha pdf in hindi – Purnima vrat ki katha in hindi
पूर्णिमा व्रत की कथा – Purnima(Poornima) Vrat Katha – purnima vrat katha – पूर्णिमा व्रत की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है जब महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर के दर्शन करके अपनी कुटिया में वापस लौट रहे थे। उसी रास्ते में ऋषि दुर्वासा की भेंट भगवान विष्णु से हो जाती है। महर्षि दुर्वासा ने शंकर जी द्वारा प्रसाद स्वरूप दी गई विल्व पत्रों की माला को भगवान विष्णु को प्रदान कर दी परंतु भगवान विष्णु ने उस विल्व पत्रों की माला को स्वयं न पहनकर वो माला गरुण के गले में डाल दी। यह देखकर महर्षि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोधवश विष्णु जी को श्राप दे दिया कि, माता लक्ष्मी जी उनसे दूर हो जाएंगी, उनका छीर सागर छिन जाएगा तथा उनका प्रिय शेषनाग भी उनकी सहायता नहीं कर सकेगा।
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purnima vrat katha – पूर्णिमा व्रत की कहानी
महर्षि दुर्वासा के इन वचनों को सुनकर विष्णु जी अत्यधिक विचार में घिर गए उन्होंने तत्काल ही विष्णु से क्षमा याचना की और इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। महर्षि दुर्वासा ने इस श्राप से मुक्ति का उपाय बताते हुए कहा कि विष्णु जी आप उमा महेश्वर का व्रत धारण करें जिसके फलस्वरूप आपको इस श्राप से मुक्ति मिलेगी। तत्पश्चात् विष्णु जी ने यह व्रत किया तथा उन्हें पुनः अपनी समस्त शक्तियां वापस मल गई। लक्ष्मी जी विष्णु जी के पास आ गई।
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