Rahu Ketu Story in Hindi – जानिए राहु-केतु ग्रह का जन्म कब और कैसे हुआ
Rahu Ketu Story in Hindi – राहु और केतु ग्रह का नाम सुनते ही लोग डरने लगते हैं। यह दोनों पापी ग्रह कहे जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में 9 ग्रह होते हैं, जिसमें राहु और केतु की गिनती छाया ग्रह के रूप में की जाती है। यह सूरज और चांद को ग्रहण लगाने वाले ग्रह हैं। राहु -केतु एक शरीर के दो भाग कहलाते हैं जिसमें राहु सिर है और केतु धड़ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दोनों ग्रह कब और कैसे उत्पन्न हुए थे, अगर नहीं, तो चलिए हम इनके जन्म की पौराणिक कथा आपको बताते हैं।
Rahu Ketu Story in Hindi – राहु-केतु कब और कैसे उत्पन्न हुए – rahu ketu ki kahani
- सकन्द पुराण के अनुसार राहु और केतु का जन्म उज्जैन में हुआ था। यह दोनों ग्रह सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण का दंश देते हैं। इन दोनों को छाया ग्रह और पापी ग्रह भी कहा जाता है।
- पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान विष्णु महाकाल वन में मोहिनी रूप धारण कर के समुन्द्र मंथन में से निकले अमृत का वितरण कर रहे थे, तभी अचानक एक स्वरभानु नाम का राक्षस देवता का रूप धारण कर के वहां आया और उसने अमृत पान कर लिया।
- राक्षस की इस हरकत से भगवान विष्णु बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने गुस्से में आकर स्वरभानु राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन राक्षस अमृत पान कर चुका था जिससे वो अमर हो गया था इसलिए उनके शरीर के दोनों भाग जीवित रहे, जिसे राहु और केतु के नाम से जाना जाता है।
- हिन्दू ज्योतिष के अनुसार राहु राक्षस स्वरभानु का कटा हुआ सिर है और धड़ केतु ग्रह है। राहु को नवग्रह में से एक माना गया है। राहुकाल मुहूर्त की अवधि दिन में होती है जिसे बहुत ही अशुभ माना जाता है।
Rahu Ketu Story in Hindi
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पापी ग्रह कहलाते हैं राहु-केतु – Rahu Ketu ki kahani
- ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रह को पापी ग्रह माना गया है। राहु और केतु हमेशा एक साथ ही राशि परिवर्तन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर राहु और केतु बिगड़ जाएं तो ये आपके जीवन को नरक बना देते हैं। उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- वहीं अगर देने पर आएं तो गरीब को भी अमीर बना देते हैं। जीवन में सुख- शांति का माहौल बनाते हैं।
- ये भी कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को धड़ के ऊपर के किसी हिस्से में कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है तो वो राहु की कुदृष्टि हो सकती है। धड़ के नीचे अगर कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है तो यह केतु की कुदृष्टि हो सकती है।
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