रावण का अंतिम संस्कार किसने और कैसे किया?
ravan ka antim sanskar kisne kiya – भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके कब्ज़े से छुड़ाया था लेकिन क्या आपको पता है कि रावण के वध के बाद उसका अंतिम संस्कार किसने और कैसे किया था?
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रावण लंका का राजा था। अपने दस सिरों के कारण वह दशानन कहलाता था। रावण में अनेक गुण थे। रावण एक परम शिव भक्त, राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञानी और विद्वान था| इसी वजह से आज भी भारत के कई शहरों में रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है। ये तो सभी जानते हैं कि राम ने रावण का वध किया था, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि रावण के मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार किनसे और कैसे किया था?
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युद्ध के दौरान राम ने रावण की नाभि में बाण मारा था जिसके कारण रावण की मृत्यु हुई। जब राम द्वारा रावण के वध की खबर उसकी पत्नी मन्दोदरी को लगी तो वो दुखी हो गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। रानी मन्दोदरी रोते हुए यही सोच रही थीं कि रावण ज्ञानी होने के बाद भी बुरे कर्म करता रहा और अब उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा।
रावण की मृत्यु से विभीषण भी बहुत दुखी थे। यह देखकर श्रीराम के कहने पर लक्ष्मण ने विभीषण को समझाया कि दुख न करें। इसके बाद विभीषण राम के पास पहुंचे और राम ने उनसे रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए कहा। विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया और कहा कि वह एक भाई के रुप में राक्षस था। जो उसके साथ हुआ वो उसके पापों का दंड है। मैं इनका अंतिम संस्कार नहीं करुंगा, लेकिन राम बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी थे। विभीषण को उन्होंने समझाया कि रावण महान विद्वान था। राम ने कहा मेरे लिए जैसे तुम हो, वैस ही रावण भी है, इसलिए इनका भी अंतिम संस्कार पूरे विधि- विधान से होना चाहिए। राम की ये बात सुन कर विभीषण ने अपना निर्णय बदल लिया और रावण के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरु कर दी।
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विभीषण ने जल्दी से चंदन की लकड़ी, मुसब्बर लकड़ी, कीमती पत्थर, रत्नों आदि सभी सामान को एकत्रित किया। अंत्येष्टि क्रिया करने के लिए विभीषण अपने दादा माल्यवान को भी लेकर आए। रावण के मृत शरीर को पूरे राक्षस कबीले द्वारा रेशमी कपड़े से ढका गया। रावण की पालकी को झंड़े और कई तरफ के फूलों से सजाकर ले जाया गया। संगीत के साथ विभीषण द्वारा रावण की सजी हुई पालकी उठाई गई। इस दौरान विभीषण दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए चल रहे थे।
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अंत्येष्टि क्रिया के लिए आग को पंडित द्वारा मिट्टी के बर्तन में रखकर रावण के सामने रखा गया। एक राजा की तरह रावण का अंतिम संस्कार किया गया। घी में दही मिलाकर उनके कंधों पर डाला गया। पवित्र आग लगाने के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा में एक वेदी का निर्माण किया गया था। विभीषण ने आग जलाकर रावण के चारों ओर घूमते हुए प्रार्थना की। वेदों के अनुसार उन्होंने उसी स्थान पर एक बकरी का बलिदान दिया और रावण के शरीर पर काले तिल डाले। शास्त्रों के मुताबिक विभीषण ने अपने भाई रावण को विधी-विधान के साथ अग्नि दी और सिर झुकाकर उनके लिए प्रार्थना की। अंतिम संस्कार के बाद राम, विभीषण, लक्ष्मण और उनकी सेना वापस घर लौट आए।
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Very good, bahuat achi baat battei hai ji agay bhi essi aur jaankari dety Rahana ji