Samaveda kya hai – वेद के तृतीय भाग सामवेद के बारे में जानिए
Samaveda kya hai – Samveda in hindi pdf – Samved in Hindi PDF Download – विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो पूरे चार विभागों में विभाजित हैं। इस अलौकिक ज्ञान के भंडार वेद का तीसरा भाग है सामवेद। वेद के विभाग में सामवेद की विद्या आवश्यक है। सामवेद को ही भारतीय संगीत का मूल तत्व माना जाता है। आज हम आपको सामवेद से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।
Samaveda kya hai – Samveda in hindi pdf – Samved ka arth kya hai
सामवेद का अर्थ : – Samved ka arth – Samaveda meaning in hindi
साम का अर्थ होता है गान, इस प्रकार सामवेद का अभिप्राय है, ऐसा वेद जिसमें संकलित समस्त मंत्र गीतमय होते हैं अर्थात् जिन्हें गाया जा सकता है। इस वेद का नाम सामवेद इसलिए पड़ा क्योंकि यह वेद गायन पद्धति से ही संबंधित है। सामवेद के अन्तर्गत १८७५ ऋचाएं हैं जिसमें से ७५ से अतिरिक्त ऋचाएं ऋणवेद से ली गई हैं। उल्लेखनीय है, सामवेद का प्रथम दृष्टा वेदव्यास का शिष्य जैमिनि को माना गया है। सामवेद में पाए जाने वाले मंत्रों को ‘सामानि’ कहते हैं। ऋगवेद में साम अथवा सामानि का वर्णन 21 स्थलों पर लिखा गया है।
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Samaveda kya hai
सामवेद का परिचय : Samaveda kya hai – Samveda in hindi pdf – Samved ka parichay
सामवेद के उद्गता (गान करने वाले को) सामग कहा जाता है। वेदगान में तीन स्वरों का ही विशेष उल्लेख किया है जो उदात्त, अनुउदात्त, स्वरित कहलाती हैं।
वैदिक काल में वाद्य यंत्रों का उल्लेख प्राप्त होता है जो इस प्रकार है –
- तंतु वाद्य में, वीणा, कन्नड़ वीणा, कर्करी।
- घन वाद्य में, दुंदुभी, आडंबर।
- वनस्पति तथा सुषिर वाद्य में, तुरत, नादी।
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Samaveda kya hai
सामवेद संहिता Samved Sanhita : सामवेद संहिता के दो भाग हैं आर्चिक तथा गान। पुराणों में सामवेद की विभिन्न शाखाएं होने का विवरण मिलता है परंतु वर्तमान में जैमिनि, प्रपंच हृदय, दिव्यावदान, चक्रव्यूह देखने पर १३ शाखाओं का बोध होता है। इनमें से भी सामदेव की निम्नलिखित तीन महत्त्वपूर्ण शाखायें इस प्रकार हैं- कौथुमीय, जैमिनीय व राणायनीय।
इनका गान करने वाले पंडित उद्गाता या पंचविश कहलाते हैं।
Samaveda kya hai
सामवेद का प्रमुख देवता Samved devta – सामवेद का प्रमुख देवता सविता (सूर्य) है। अतः सामवेद के अन्तर्गत सूर्य देव की स्तुति के मंत्र पाए जाते हैं। इन्द्र सोम का भी सामवेद में पर्याप्त वर्णन प्राप्त होता है।
सामवेद में मूल रूप से ९९ मंत्र हैं जिसमें से ६९ मंत्रों को छोड़कर शेष सभी मंत्र ऋणवेद से लिए गए हैं। इसके अतिरिक्त मात्र १७ मंत्रों को ही अथर्ववेद तथा यजुर्वेद से लिया गया है। इसके अन्तर्गत इसमें हवन, यज्ञ, स्तुति आदि मंत्रों का गायन विधा में संकलन है। सामवेद संगीत से संबंधित रखने वाला वेद है। आकार की दृष्टि से सामवेद चारों वेद में सबसे छोटा वेद है लेकिन गीता में श्री कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहा जाना, सामवेद की प्रतिष्ठा को उजागर करता है।
सामगान एक व्यावहारिक संगीत है, जिस कारण इसका विस्तृत उल्लेख उपलब्ध नहीं है।
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सामवेद का महत्व – Samved ka mahatva in hindi
सामवेद में ऐसे विषयों का वर्णन मिलता है जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैदिक काल के ऋषियों को वैज्ञानिक तत्वों का ज्ञान है।
महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद के महत्व को बताया गया है -:
“सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्.”
- अग्नि पुराण के अनुसार सामवेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप आदि से रोग व्याधियों से छुटकारा मिल सकता है।
- कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग का संगम है, सामवेद।
- आधुनिक संगीत के विद्वान भी यह मानते हैं कि संगीत से संबंधित सुर, लय, ताल, छंद, गति, भाव, राग आदि का स्त्रोत सामवेद है।
- स्वर चिकित्सा का भी श्रेय सामवेद को ही दिया जाता है। इसी के ज़रिए गायन पद्वति विकसित हुई।
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