Sankashti Chaturthi Puja Vidhi: जानिए कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी पर व्रत और पूजन
Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi par kaise karein puja – Sankashti Chaturthi 2022 – sankashti chaturthi dates 2022 – 13 अक्टूबर 2022 को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और संकट माता की भी पूजा की जाती है। संकष्ट का अर्थ है ‘कष्ट या विपत्ति’, ‘कष्ट’ का अर्थ होता है ‘क्लेश’, यानी इस दिन व्रत करने से भगवान अपने भक्तों के सारे संकट दूर कर देते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी पर व्रत और पूजन।
Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi 2022
संकष्टी चतुर्थी कब है? – Sankashti chaturthi vrat shubh muhurat 2022
संकष्टी चतुर्थी इस बार 13 अक्टूबर 2022 को है। इस व्रत का आरम्भ भक्त इस संकल्प के साथ करें ‘ गणपतिप्रीतये संकष्टचतुर्थीव्रतं करिष्ये ‘ ऐसा करने से भक्तों को व्रत का फल मिलता है और उनके संकट दूर होते हैं। इसके बाद सांयकाल के समय गणेश भगवान का और चंद्रोदय के समय चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दें।
अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें – sankashti chaturthi mantra in hindi
‘गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धि प्रदायक’
‘संकष्टहर में देव गृहाणर्धं नमोस्तुते’
‘कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु सम्पूजित विधूदये’
‘क्षिप्रं प्रसीद देवेश गृहार्धं नमोस्तुते’
इन मंत्रों के उच्चारण से भक्तों पर भगवान की कृपा बनी रहेगी और उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलेगा।
Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi par kaise karein puja
संकष्टी चतुर्थी व्रत का वर्णन नारदपुराण में कुछ इस प्रकार है – Narada purana mein sankashti chaturthi 2022
माघकृष्णचतुर्थ्यां तु संकष्टव्रतमुच्यते । तत्रोपवासं संकल्प्य व्रती नियमपूर्वकम् ।। ११३-७२ ।।
चंद्रोदयमभिव्याप्य तिष्ठेत्प्रयतमानसः । ततश्चंद्रोदये प्राप्ते मृन्मयं गणनायकम् ।। ११३-७३ ।।
विधाय विन्यसेत्पीठे सायुधं च सवाहनम् । उपचारैः षोडशभिः समभ्यर्च्य विधानतः ।। ११३-७४ ।।
मोदकं चापि नैवेद्यं सगुडं तिलकुट्टकम् । ततोऽर्घ्यं ताम्रजे पात्रे रक्तचंदनमिश्रितम् ।। ११३-७५ ।।
सकुशं च सदूर्वं च पुष्पाक्षतसमन्वितम् । सशमीपत्रदधि च कृत्वा चंद्राय दापयेत् ।। ११३-७६ ।।
गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक ।। ११३-७७ ।।
एवं दत्त्वा गणेशाय दिव्यार्घ्यं पापनाशनम् । शक्त्या संभोज्य विप्राग्र्यान्स्वयं भुंजीत चाज्ञया ।। ११३-७८ ।।
एवं कृत्वा व्रतं विप्र संकष्टाख्यं शूभावहम् । समृद्धो धनधान्यैः स्यान्न च संकष्टमाप्नुयात् ।। ११३-७९ ।।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि – sankashti chaturthi vrat puja vidhi – sankashti chaturthi vrat puja vidhi 2022 – sankashti chaturthi mantra in hindi
- संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त प्रातः काल उठें।
- स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें।
- चंद्रोदय होने पर मिट्टी की गणेश भगवान की मूर्ती बनाकर उसे पाटे पर स्थापित करें।
- गणेश भगवान के साथ उनके आयुध और वाहन भी होने चाहिए।
- इसके बाद विधिपूर्वक उनका पूजन करें।
- अब नैवेद्य, मोदक और गुड़ से बनाए हुए तिल के लड्डूओं को अर्पित करें।
- तांबे के एक बर्तन में लाल चन्दन, दूर्वा, कुश, अक्षत, कुश, शमीपत्र और गंगाजल एकत्र करके इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य दें – गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
मंत्र का अर्थ – हे गगन रूपी समुद्र के माणिक्य, दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम और गणेश के प्रतिरूप चन्द्रमा! आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए। - अब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके बाद खुद भी भोजन ग्रहण करें।
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Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi par kaise karein puja
लक्ष्मीनारायण संहिता में संकष्टी चतुर्थी का वर्णन इन प्रकार है – sankashti chaturthi mantra in hindi
माघकृष्णचतुर्थ्यां तु संकष्टहारकं व्रतम् ।
उपवासं प्रकुर्वीत वीक्ष्य चन्द्रोदयं ततः ।। १२८ ।।
मृदा कृत्वा गणेशं सायुधं सवाहनं शुभम् ।
पीठे न्यस्य च तं षोडशोपचारैः प्रपूजयेत् ।। १२९ ।।
मोदकाँस्तिलचूर्णं च सशर्करं निवेदयेत् ।
अर्घ्यं दद्यात्ताम्रपात्रे रक्तचन्दनमिश्रितम् ।। १३० ।।
कुशान् दूर्वाः कुसुमान्यक्षतान् शमीदलान् दधि ।
दद्यादर्घ्यं ततो विसर्जनं कुर्यादथ व्रती ।। १३१ ।।
भोजयेद् भूसुरान् साधून् साध्वीश्च बालबालिकाः ।
व्रती च पारणां कुर्याद् दद्याद्दानानि भावतः ।। १३२ ।।
एवं कृत्वा व्रतं स्मृद्धः संकटं नैव चाप्नुयात् ।
धनधान्यसुतापुत्रप्रपौत्रादियुतो भवेत् ।। १३३ ।।
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Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi par kaise karein puja
इन दिन क्या करना चाहिए – Sankashti Chaturthi par kya krna chahiye
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ इस दिन ज़रुर करना चाहिए। इसे शुभ माना गया है।
- गणेश भगवान को कच्चे दूध, पंचामृत, गंगाजल से स्नान कराएं।
- वस्त्र, पुष्प आदि भगवान गणेश को अर्पित करें और तिल तथा गुड़ के लड्डूओं और दूर्वा का भोग लगाएं। लड्डूओं की संख्या 11 या 21 होनी चाहिए।
- गणेश अथर्वशीर्ष में दूर्वा को लेकर कहा गया है कि “यो दूर्वांकुरैंर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति” इसका अर्थ है – जो दूर्वांकुर के द्वारा गणेश भगवान की पूजा करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। वहीं “यो मोदकसहस्रेण यजति स वाञ्छित फलमवाप्रोति” इसका अर्थ है – जो लड्डुओं और मोदक से भगवान का पूजन करता है, वह वांछित फल प्राप्त करता है।
- इस दिन गणपति के 12 नाम या 21 नाम या 101 नाम का वर्णन करें।
- संकट नाशन गणेश स्तोत्र के पाठ का उच्चारण ज़रुर करें।
लेखक – अंजनी निलेश ठक्कर ( अंजनी निलेश ठक्कर द्वारा ये जानकारी दी गई है)
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