जानिए, हनुमान ज़ी के पांच अन्य नामों की कहानी
Secret behind Hanuman names in Hindi – हिंदू धर्म में हनुमान ज़ी को संकटमोचन अर्थात् अपने भक्तों के कष्टों को हरने वाला देवता माना गया है। कहा जाता है कि जो भक्त हनुमान ज़ी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसको हनुमान ज़ी मनचाहा फल अवश्य देते हैं। हनुमान ज़ी को संकटमोचन के अलावा पवनपुत्र, मारुति, बजरंगबली, आदि के नामों से भी जाना जाता है। ऐसे में आज हम आपको हनुमान ज़ी के उपरोक्त नामों के पीछे छिपे हुए रहस्यों के बारे में बताने वाले हैं।
Secret behind Hanuman names in Hindi
कैसे पड़ा ‘बजरंगबली’ नाम
हनुमान ज़ी को बजरंगबली नाम मिलने के पीछे एक रोचक कहानी है। दरअसल, संस्कृत भाषा में बजरंग का मतलब सिंदूर या कुमकुम से होता है। आपको यह तो पता ही होगा कि हनुमान ज़ी भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्तों में से एक थे। इतना ही नहीं, श्रीराम भी हनुमान ज़ी को बहुत स्नेह दिया करते थे।
बताया जाता है कि हनुमान ज़ी को एक दिन माता सीता द्वारा सिंदूर लगाने की बात पता चली। उन्होंने उत्सुक होकर इसके पीछे का कारण जानना चाहा, तो माता ने उन्हें बताया कि इस सिंदूर को वह अपने पति परमेश्वर श्रीराम की दीर्घायु के लिए लगाती हैं।
इतना सुनते ही हनुमान ज़ी मन ही मन सोचने लगे कि जब माता सीता के थोड़े से सिंदूर से श्रीराम दीर्घायु हो सकते हैं, तो मेरे सिंदूर से क्यों नहीं? इसके बाद उन्होंने अपनी पूरी काया पर सिंदूर का लेप लगा लिया। आप लोगों ने कई मंदिरों में हनुमान ज़ी की सिंदूर वाली प्रतिमा भी देखी होगी। जहां हनुमान ज़ी के भक्त सिंदूर में तिल के तेल को मिलाकर श्रद्धा-भाव से उनपर लगाते हैं।
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मारुति कैसे बनें हनुमान
इसके पीछे एक अनोखी कहानी है। रामायण के अनुसार, हनुमान ज़ी का नाम बजरंग बली भी है। ये नाम उनके पिता केसरी ने रखा था। बचपन में हनुमान ज़ी बहुत शरारती थे। आपको बता दें कि बचपन में उनका नाम मारूति था। एक बार खेल-खेल में हनुमान ज़ी ने सूर्य भगवान को अपने मुंह में रख लिया था, जिसकी वजह से चारों ओर अंधेरा छा गया था। जब यह बात स्वर्ग के देवता इंद्र देव को पता चली तो वह बहुत नाराज़ हुए। उन्होंने गुस्से में आकर अपने वज्र से हनुमान ज़ी की ठोढ़ी पर जोरदार प्रहार किया, जिसके कारण वह टूट गई। संस्कृत भाषा में ठोढ़ी को हनु भी कहा जाता है। इसके बाद से ही उनका नाम मारूति से बदलकर हनुमान हो गया।
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पवनपुत्र/वायुपुत्र नाम के पीछे का किस्सा
पौराणिक कथा के अनुसार, केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद कई वर्षों तक माता अंजना को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी। वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगीं। तब ऋषि ने बताया कि वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना और तपस्या करो। फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।
मुनि के बताए मार्ग के अनुसार पुत्र की कामना में अंजना ने सभी तप पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और धैर्य से सम्पूर्ण किए। जिसके बाद वह वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया कि उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा।
इस तरह मां अंजनी ने हनुमान के रूप में महाशक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया। इसी कारण शिव जी के रुद्रावतार कहे जाने वाले हनुमान ज़ी को पवनपुत्र, केसरीनंदन आदि के नामों से भी जाना जाता है।
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संकटमोचन नाम का क्या है अर्थ
हनुमान ज़ी को बल, बुद्धि का देवता माना जाता है। इस बात का ज़िक्र हनुमान चालीसा के पहले दोहे में भी किया गया है,
“श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार। बल, बुद्धि, विद्या, देहुं मोहि, हरहु कलेश विकार”।
रामायण में जिस तरह से हनुमान ज़ी ने अपने स्वामी श्रीराम के संकटों का अपने बल, बुद्धि से समाधान किया था, वह कोई विशेष बंधु ही कर सकता है। चाहे वह चतुराई से सोने की लंका जलाना हो, अशोक वाटिका उजाड़ना हो या रावण से माता सीता को बचाकर लाना हो, ये सभी उनकी श्री राम के प्रति सेवा और उनके मनोबल का ही कमाल है। वह अपने भक्तों के भी संकट क्षण में दूर कर देते हैं, इसी कारण उनको संकटमोचन भी कहा जाता है।
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पंचमुखी अवतार के पीछे का रहस्य
हनुमान ज़ी का पांच मुख वाला विराट रूप यानी पंचमुखी अवतार पांच दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक स्वरूप में एक मुख, त्रिनेत्र और दो भुजाएं हैं। इन पांच मुखों में नरसिंह, गरुड़, अश्व, वानर और वराह रूप हैं। इनके पांच मुख क्रमश: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊर्ध्व दिशा में प्रधान माने जाते हैं। पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे वानर कहा गया है, जिसकी चमक सैकड़ों सूर्यों के वैभव के समान है। इस मुख का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय पाई जा सकती है।
हनुमान ज़ी इन्हें सभी युगों का मालिक माना जाता है, फिर चाहे वो सतयुग हो या द्वापरयुग। लेकिन कभी सोचा है कि हनुमान ज़ी पंचमुखी कैसे बनें? हनुमान ज़ी के पंचमुखी रूप के पीछे भी एक कहानी है। आइए जानते हैं वो पूरी कहानी।
अहिरावण जिसे रावण का मायावी भाई माना जाता था, जब रावण परास्त होने की स्थिति में था, तब उसने अपने मायावी भाई का सहारा लिया और रामजी की सेना को अपनी मायावी शक्तियों से सुला दिया। इस पर जब हनुमान ज़ी राम और लक्ष्मण को पाताल लोक लेने गए तो उनकी भेंट उनके मकरपुत्र से हुई। मकर पुत्र को परास्त करने के बाद उन्हें पाताल लोक में 5 जले हुए दिये दिखे, जिसे बुझाने पर अहिरावण का नाश होना था।
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इस स्थिति में हनुमान ज़ी ने, उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर श्री राम और लक्ष्मण ज़ी को उससे मुक्त करवाया। इस प्रकार हनुमान ज़ी को पंचमुखी कहा जाने लगा।
आज हमने आपको हनुमान जी के पांच नामों के रहस्य के बारे में बताया। आगे भी इसी तरह की धार्मिक जानकारियां पाने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।
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