Shani ki sade sati kya hoti hai in Hindi – क्या होती है शनि की साढ़े साती, जानें इसके उपाय और लक्षण
Shani ki sade sati kya hoti hai in hindi – शनिदेव के नाम से अक्सर लोगों के मन में डर देखा जाता है। डर भी इतना कि हर कोई चाहता है कि उसके जीवन में कभी शनि का प्रकोप ना रहे। शास्त्रों में भी शनि को अशुभ ग्रह बताया गया है। शनि की साढ़े साती जब किसी को लगती है तब वो चाहे राजा हो या रंक किसी को भी नहीं छोड़ती। साढ़े साती के दौरान माना जाता है कि व्यक्ति को विवाद, कलह, निराशा, असंतोष और विपरीत परिणामों का सामना करना होता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं क्या है शनि साढ़े साती, इसके लक्षण और उपाय।
साढ़े साती क्या है (What is Shani Sade Sati)– shani ki sade sati kya hoti hai in hindi
- शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह है। शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है।
- ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुज़रते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है।
- शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।
- साढ़े साती के दौरान माना जाता है कि व्यक्ति को निराशा, असंतोष और विपरीत परिणामों का सामना करना पड़ता है। साढ़े साती के आरम्भ होने के बारे में कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि जिस दिन शनि किसी विशेष राशि में होता है उस दिन से शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है।
- एक अन्य मान्यता यह भी है कि शनि जन्म राशि के बाद जिस भी राशि में प्रवेश करता है, साढ़े साती की दशा आरम्भ हो जाती है और जब शनि जन्म से दूसरे स्थान को पार कर जाता है तब इसकी दशा से मुक्ति मिल जाती है।
- कुछ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग – अलग राशियों के व्यक्तियों में इसका प्रभाव भी अलग – अलग होता है। कुछ व्यक्तियों को साढ़े साती आरम्भ होने के कुछ समय पूर्व ही इसके संकेत मिल जाते हैं और अवधि समाप्त होने से पूर्व ही उसके प्रभावों से मुक्त हो जाते हैं।
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साढ़े साती के तीन चरण (Three steps of Shani Sade Sati)
- शनि साढ़े साती तीन हिस्सों में होती है। हर एक हिस्सा लगभग 2 वर्ष 4 माह का होता है। पहले 2 वर्ष 4 माह के हिस्से में शनि व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान करता है।
- दूसरे हिस्से में आर्थिक, शारीरिक, विश्वास इत्यादि रूप से परेशानी पहुंचाता है। तीसरे और आखिरी हिस्से में शनि अपने कारण जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करवाते हैं।
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साढ़े साती के लक्षण (Shani Sade Sati lakshan)
- ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि शनि की साढ़े साती के समय कुछ विशेष प्रकार की घटनाएं होती हैं जिनसे संकेत मिलता है कि आपकी साढ़े साती चल रही है।
- शनि की साढ़े साती के समय आमतौर पर इस प्रकार की घटनाएं होती हैं जैसे घर में कोई दिक्कत आना, परिवार के अधिकांश सदस्यों का बीमार होना, अक्सर ऐसी चीजे होना जिससे आपको परेशानी होती है, एक परेशानी से निकलते ही दूसरी परेशानी का आ जाना, व्यापार एवं व्यवसाय में असफलता और नुकसान होना, घर में कलह होना आदि।
- अगर ऐसी घटनाएं आपके जीवन हो रही हैं तो हो सकता है कि आप शनि साढ़े साती से पीड़ित हैं।
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साढ़े साती उपाय ( Shani Sade Sati ke upay)
- कहते हैं कि शिव की उपासना करने वालों को इससे राहत मिलती है। साढ़े साती का प्रभाव होने पर नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। पीपल वृक्ष को शिव का रूप माना जाता है और इसमें सभी देवताओं का निवास मानते हैं इसलिए पीपल के पेड़ की तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पूजा करने से मुक्ति मिलती है।
- शनि स्तोत्र का नियमित रुप से पाठ करें। इसके अलावा हनुमान जी को भी रुद्रावतार माना जाता है। उनकी आराधना भी इसके निवारण के लिए फ़लदायी होती है।
- मान्यता अनुसार काले घोड़े का नाल भी इसमें फायदेमंद होती है। इनकी अंगूठी बनवाकर धारण कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो शनि की दशा से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराएं। इससे भी मुक्ति मिलना संभव होता है।
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कुछ लोगों के लिए साढ़े साती होता है शुभ – (Shani Sade Sati shubh)
- ज़्यादातर लोग शनि की ढईया और साढ़े साती को अशुभ मानते हैं, लेकिन ज्योतिषों के अनुसार शनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं।
- शनि की दशा में बहुत से लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभ, सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। यदि इस दशा के समय अगर चन्द्रमा उच्च राशि में होता है तो पीड़ित व्यक्ति में अधिक सहन शक्ति आ जाती है और कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि अगर लग्न,वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर अथवा कुम्भ है तो शनि हानि नहीं पहुंचाते हैं। उन्हें लाभ व सहयोग मिलता है। शनि यदि लग्न कुण्डली व चन्द्र कुण्डली दोनों में शुभ कारक है तो किसी भी तरह शनि कष्टकारी नहीं होता है, बल्कि फलदायी होता है।
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