शनिवार वाडा जहां भटकती है रूह, कमज़ोर दिल वाले यहां भूलकर भी ना जाएं
Shaniwar wada haunted story in hindi – भारत में ऐसी कई जगह हैं जहां जाने से हर कोई डरता है। इन जगहों के बारे में कई डरावनी कहानियां सुनने को मिलती हैं। ऐसा ही एक किला है शनिवार वाडा जो भूतिया जगह कहलाता है। भारत की ऐतिहासिक धरोहर शनिवार वाडा किला पुणे, महाराष्ट्र का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। ये किला बाजीराव द्वारा बनवाया गया था। शनिेवार वाडा किला बाजीराव-मस्तानी की अधूरी प्रेमगाथा के साथ ही पेशवाओं की उन्नति से लेकर पतन की कहानी खुद में संजोए हुए है। लेकिन कहा जाता है कि इस किले में भूतों का डेरा है और लोग यहां जाने से डरते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं इस किले की डरावनी दास्तान।
Shaniwar wada haunted story in hindi – शनिवार वाडा किले की रहस्यमयी कहानी
- मराठा साम्राज्य में पेशवा बाजीराव छत्रपति शाहु के पेशवा थे और इन्होंने ने ही शनिवार वाड़ा का निर्माण करवाया था। शनिवार वाड़ा का मराठी में अर्थ शनिवार यानी कि Saturday तथा वाड़ा का मतलब टीक होता है।
- शनिवार वाडा की नींव 10 जनवरी 1730 को रखी गई। शनिवार के दिन नींव रखे जाने के कारण इस किले का नाम ‘शनिवार वाडा’ (Shaniwar Wada) पड़ा। यह पुणे के प्रमुख पर्यटक स्थलों में गिना जाता है।
- 1828वीं शताब्दी में मराठा पेशवाओं के उदयकाल में शनिवार वाडा किला भारतीय राजनीति का प्रमुख केंद्र हुआ करता था, लेकिन दुर्भाग्यवश यह बड़े ही रहस्यमयी तरीके से आग की चपेट में आकर नष्ट हो गया था। आज यह अवशेष के रूप शेष है।
Shaniwar wada haunted story in hindi
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- शनिवार वाडा किले के साथ एक काला अध्याय भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि बाजीराव की मृत्यु के बाद इस महल में राजनीतिनक उथल-पुथल का दौर शुरु हो गया था।
- पेशवा बाजीराव प्रथम के दो पुत्र थे बालाजी बाजीराव, जो नाना साहेब के नाम से भी जाने जाते याथे और रघुनाथ राव। बाजीराव प्रथम की मृत्यु के उपरांत नाना साहेब को पेशवा बनाया गया था। पेशवा नाना साहेब के भी तीन पुत्र थे विशव राव, महादेव राव और नारायण राव।
- पानीपत की तीसरे युद्ध में नाना साहेब के प्रथम पुत्र विशव राव की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद उनके दूसरे पुत्र महादेव राव को गद्दी पर बैठाया गया, लेकिन कुछ समय के बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। महादेव राव की मृत्यु के बाद पेशवा नाना साहेब के तीसरे पुत्र नारायण राव को गद्दी पर बैठाया गया।
- जब नारायण राव गद्दी पर बैठे, तब उनकी उम्र मात्र 18 वर्ष थी। लेकिन ये बात उनके काका (चाचा) रघुनाथ राव और चाची आनंदी बाई को सहन नहीं हुई क्योंकि रघुनाथ राव खुद पेशवा बनना चाहते थे।
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- वह पहले पेशवा महादेवराव की हत्या का प्रयास कर चुके थे, जिससे नारायणराव वाकिफ थे। इस कारण वो अपने काका को पसंद नहीं करते। धीरे- धीरे गद्दी का लोभ इतना बढ़ गया कि काका ने नारायण राव को मरवाने तक की साजिश कर डाली।
- सत्ता के लालच में 18 साल की उम्र में नारायण राव की हत्या रघुनाथराव और उनकी पत्नी आनंदीबाई ने इस महल में करवा दी थी। ये हत्या साल 1773 में कराई गई थी।
- कहते हैं आज भी नारायण राव अपने चाचा राघोबा को पुकारते हैं ‘काका माला बचावा’। आज भी वहां आने वाले लोगों को ये आवाज़े सुनाई देती हैं, जिसे सुनकर लोगों की रुह कांप जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले कई लोगों ने इस आवाज़ को सुना और महसूस किया है। अंतिम घड़ी में उनके द्वारा ली गई चीखें आज भी इस किले की चारदीवारों में गूंजती हैं इसलिए यह किला भारत के सबसे रहस्यमयी, डरावनी जगहों में शामिल है।
- पर्यटक यहां सिर्फ दिन के समय में ही घूमने आते हैं और शाम होते ही वहां से चले जाते हैं। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो हम नहीं जानते, लेकिन ये सारी डरावनी बातें लोगों द्वारा बताई गई हैं।
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