शिव ताण्डव स्तोत्र और रावण के बीच है गहरा संबंध – Shiv Tandav Stotra Lyrics in Hindi
shiv tandav stotram – भगवान शिव की महिमा के चर्चे दुनिया के कोने–कोने में हैं। जिस वजह से वे देवता ही नहीं राक्षसों में भी पूजे जाते हैं। लंकाधिपति रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक चमत्कारी स्तोत्र की रचना की जिसका नाम शिव ताण्डव स्तोत्र दिया गया। आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना कैसे हुई?- shiv tandav stotram in hindi
- मान्यता है कि रावण ने अपना बल दिखाने के लिए कैलाश पर्वत को उठा लिया था, लेकिन भगवान शिव को ये अहंकार भाव पसंद नहीं आया और अपने पैर के अंगूठे मात्र से पर्वत को दबाकर उसे उसके स्थान पर स्थिर कर दिया। इसमें रावण का हाथ नीचे दब गया और दर्द में आकर शिव से माफी मांगने लगे। इसके बाद भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने महादेव की स्तुति की, इस स्तुति को ही शिव तांडव स्तोत्र कहा गया।
ये भी पढ़ें: जानिए कैसे हुआ शिव और माता पार्वती का विवाह
शिव ताण्डव स्तोत्र के लाभ – shiv tandav strotra ke labh
- धर्म शास्त्रों के अनुसार शिव ताण्डव स्तोत्र को रोज़ाना पढ़ने या सुनने मात्र से ही इंसान के सारे पाप दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
- शिव ताण्डव स्तोत्र में इतनी शक्ति है कि कितनी भी बड़ी परेशानी हो, इससे दूर हो जाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा के लिए शिव ताण्डव स्तोत्र का जाप करना चाहिए।
शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ कैसे करें- Shiva Tandav Stotram in Hindi
- हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करके भगवन शिव की पूजा करने के बाद रोज़ाना शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- सर्वप्रथम शिवलिंग का कच्चे दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य आदि अर्पित करें । अब शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करें।
ये भी पढ़ें- क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है इसके पीछे की कहानी
ये है शिव तांडव स्तोत्र का पूरा पाठ—– Shiva Tandava Stotram by Ravana
Shiv Tandav Stotra – shiv tandav stotram in Lyrics hindi
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम् ॥१॥
जटाकटाहसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
ये भी पढ़ें- श्रीखंड महादेव की यात्रा है बेहद कठिन, भस्मासुर से बचने के लिए यहां छिपे थे भोलेनाथ
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम् ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
ये भी पढ़ें- भगवान शिव पर क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा, क्या है इसके पीछे की कहानी
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
Must Read: क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है इसके पीछे की कहानी
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
॥ इति रावणकृतं शिव ताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Must Read: ये हैं प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंग, इन स्थानों पर भगवान शिव वास करते हैं
shiv tandav stotram, हमारे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हमें फ़ॉलो करें और हमारे वीडियो के बेस्ट कलेक्शन को देखने के लिए, YouTube पर हमें फॉलो करें।
Om namo namah shivaya ji