क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है इसके पीछे की कहानी
Significance of maha shivaratri – mahashivratri kab ki hai 2022 – mahashivratri 2022 in hindi – हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शिव भक्त साल भर महाशिवरात्रि का इंतज़ार करते हैं। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव को फल-फूल अर्पित करते हैं और शिवलिंग पर दूध व जल चढ़ाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और क्या है इसके पीछे की कहानी।
Significance of maha shivaratri – kyu manai jati hai mahashivratri
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महाशिवरात्रि की कहानी
पहली कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने माता सती के पिता के घर यज्ञाग्नि में भस्म होने के बाद तांडव नृत्य करके समस्त लोकों में अपनी संहार शक्ति का परिचय दिया था।
दूसरी कहानी
वहीं दूसरी कहानी है कि देवी सती ने जब पार्वती के रूप में जन्म लिया तब महाशिवरात्रि के दिन ही शिव के संग उनका विवाह हुआ था इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। ये पर्व शिव और उनके भक्तों के लिए बहुत ही खास है।
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महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिव जी का अभिषेक – Significance of maha shivaratri
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है।
- जल, दूध, दही, गन्ने का रस, सरसों का तेल, दूब का पानी, देसी घी, शहद आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि की रात को अलग- अलग प्रहर में अलग- अलग चीज़ों से अभिषेक किया जाता है।
कैसे करें पूजा
- भक्त इस दिन शिव के मंदिरों में पूजा करने के लिए आते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं।
- इस खास पर्व पर शिवलिंग पर जल, भांग धतूरा, फूल, फल, बेल के पत्ते, बेल का फल, मिठाई, दूध, शहद, धूप, पान के पत्ते, चंदन आदि चढ़ाकर पूजा करें।
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उज्जैन महालेश्वर मंदिर में धूम-धाम से मनाई जाती है महाशिवरात्रि
- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। मगर उज्जैन स्थित महालेश्वर मंदिर में इससे 9 दिन पूर्व, यानी कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी से महाशिवरात्रि तक शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।
- इस उत्सव की खास बात यह होती है कि महादेव को इन नौ दिनों मे रोज़ केसर, चन्दन का उबटन, इत्र, फलों के रस आदि से स्नान करवाया जाता है।
- 9 दिनों तक सांयकाल के समय हल्दी से भगवान महाकालेश्वर का अनूठा श्रृंगार किया जाएगा। पुजारी भगवान को दूल्हे की तरह हल्दी लगाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल को फूलों का सेहरा पहनाया जाता है।
- मान्यता है कि शिव नवरात्रि में दूल्हा स्वरूप में होने वाले महाकाल के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक महाकाल के दरबार में महादेव और माता पार्वती के विवाहोत्सव की धूम रहती है।
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