क्या आप अश्वत्थामा के जन्म स्थान के बारे में जानते हैं?
Some facts about Ashwatthama – अश्वत्थामा का ज़िक्र महाभारत में मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन थे अश्वत्थामा? कहां हुआ था अश्वत्थामा का जन्म? भगवगान श्री कृष्ण ने उन्हें क्यों दिया था श्राप? अगर नहीं जानते, तो चलिए हम आपको बताते हैं।
कौन थे अश्वत्थामा?
- अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। इनकी माता का नाम कृपि था।
- कहते हैं जब अश्वत्थामा का जन्म हुआ तब इनके कण्ठ से हिनहिनाने की ध्वनि सी निकली थी, जिसकी वजह से इनका नाम अश्वत्थामा रखा गया।
- अश्वत्थामा भगवान शिव का ही एक अंश हैं। जन्म से ही अश्वत्थामा के मस्तक पर एक अमूल्य मणि विद्यमान थी, जो कि उसे दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी।
- अश्वत्थामा महाभारत युद्ध में कौरव-पक्ष के सेनापति थे।
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कहां और कैसे हुआ था जन्म?
- महाभारत युद्ध से पहले गुरु द्रोणाचार्य अनेक स्थानों में भ्रमण करते हुए हिमालय (ऋषिकेश) पहुंचे। यहां पर तमसा नदी के किनारे एक दिव्य गुफा में टपकेश्वर नामक स्वय्मभू शिवलिंग स्थित है।
- यहाँ आकर गुरु द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी कृपि ने शिव की तपस्या की। इनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।
- इसके कुछ समय बाद माता कृपि ने एक सुन्दर तेजस्वी बालक को जन्म दिया, जिसका नाम अश्वत्थामा रखा गया।
- अश्वत्थामा देहरादून में जन्मे थे और इनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनकी गिनती उस युग के श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी।
श्री कृष्ण ने उन्हें क्यों श्राप दिया था?
- द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या सिखाई थी। महाभारत युद्ध के समय गुरु द्रोण ने कौरवों का साथ दिया था।
- अश्वत्थामा को भी अपने पिता की तरह शस्त्र विद्या में महारथ हासिल थी। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था।
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- पांडव सेना की ये दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए युधिष्ठिर से कूटनीति और धोखे का सहारा लेने को कहा।
- योजना के तहत यह बात फैला दी गई कि ‘अश्वत्थामा मारा गया’। जब गुरु द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से इस बात का सच जाना चाहा तो उन्होंने जवाब दिया ‘अश्वत्थामा मारा गया परन्तु हाथी’, लेकिन हाथी उन्होंने बड़े धीरे स्वर में बोला और उसी समय श्रीकृष्ण ने शंखनाद किया, जिसके शोर से गुरु द्रोणाचार्य आखरी शब्द नहीं सुन पाए।
- अपने पुत्र की मृत्यु की खबर सुनकर द्रोणाचार्य ने अपने शस्त्र त्याग दिए और धृष्टद्युम्न ने गुरु द्रोणाचार्य का वध कर दिया।
- पिता की मत्यु ने अश्वत्थामा को विचलित कर दिया। महाभारत युद्ध के पश्चात अश्वत्थामा ने पिता की मृत्यु का बदला लेने की ठानी।
- इसी के चलते उन्होंने पांडव पुत्रों का वध कर दिया और पांडव वंश का नाश करने के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रहास्त्र चलाया।
- ये देखकर भगवान श्री कृष्ण को गुस्सा आ गया और उन्होंने परीक्षित की रक्षा करते हुए दंड के रुप में अश्वत्थामा को 3000 साल के लिए कोढ़ रोग में भटकते रहने का श्राप दे दिया।
- वहीं अर्जुन ने भी दंडित करते हुए अपनी तलवार से अश्वत्थामा के सिर के बाल काट दिए और उनके माथे पर लगी मणि निकालकर उन्हें अपमानित अवस्था में शिविर से बाहर निकाल दिया।
आज भी जीवित है अश्वत्थामा
- खबरों की मानें तो आज भी ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा अभी भी ज़िंदा है।
- वह गंगा के किनारे निवास करते हैं। तो वहीं कुछ लोगों ने उनके मध्यप्रदेश के कई जंगलो में होने की बात भी कही है।
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