यहां पढ़ें सोमवार व्रत कथा, इसके बिना अधूरा माना जाता है व्रत
Somvar vrat katha in hindi – जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं वो उस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा – अर्चना करते हैं। महादेव की कृपा पाने के लिए सोमवार व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। सोमवार के व्रत में लोग शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और कथा सुनते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सोमवार व्रत के दौरान कथा नहीं सुनते उनका व्रत अधूरा माना जाता है। इस दिन व्रती को व्रत की पावन कथा ज़रूर सुननी चाहिए। यहां पढ़ें सोमवार व्रत कथा, इसके बिना अधूरा माना जाता है व्रत
Somvar vrat katha in hindi – सोमवार व्रत कथा – somvar vrat katha in hindi pdf
पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले किसी नगर में एक साहूकार रहता था। वह शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। साहूकार हर सोमवार भगवान शिव की आराधना करता था। उसको धन – दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी जिसकी वजह से साहूकार बहुत दुखी रहता था। मां पार्वती साहूकार की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुई और एक दिन उन्होंने भगवान शिव से कहा कि यह आपका बहुत बड़ा भक्त है और दान-पुण्य भी करता रहता है, आप इसकी मनोकामना को पूर्ण क्यों नहीं करते। तब भगवान शिव ने कहा कि इस संसार में सबको अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। इसके दुख का कारण इसके पूर्व जन्म में किए गए कुछ पाप हैं। मां पार्वती ने कहा कि मुझसे इसकी पीड़ा नहीं देखी जाती, आप इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दें दीजिए। पार्वती माता की ज़िद्द के आगे शिव भगवान मजबूर हो गए और उन्होंने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि यह बालक सिर्फ 12 साल तक ही जीवित रहेगा।
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Somvar vrat katha in hindi
शिव जी ने ये बात माता पार्वती को कही थी, लेकिन साहूकार ने भी ये बात सुन ली। साहूकार ने भगवान शिव के वरदान पर न तो खुशी जताई और न ही दुख। कुछ समय बाद साहूकार को पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन साहूकार को तो पता था कि ये केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। जब वो बालक थोड़ा बड़ा हुआ तो साहूकार ने अपने पुत्र को उसके मामा के साथ काशी शिक्षा पाने के लिए भेज दिया। साहूकार ने उन्हें बहुत सारा धन भी दिया और कहा कि रास्ते में यज्ञ हवन करते हुए जाना और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी देना। पिता की बात मानते हुए वो रास्ते में सच्चे मन से यज्ञ हवन करते हुए जा रहे थे, तभी रास्ते में एक नगर में राजा अपनी कन्या का विवाह करवा रहा था, लेकिन कन्या का विवाह जिससे तय हुआ था वह एक आंख से काना था और ये बात राजा से छुपाई गई थी। राजा को इस बारे में कुछ नहीं पता था। पोल खुलने के डर से लड़के वालों ने इन दोनों मामा भांजे को पकड़ लिया और भांजे को काने दुल्हे के स्थान पर मंडप में बैठा कर शादी करवा दी। लड़के ने मौका देखकर राजकुमारी के दुपट्टे पर सारी सच्चाई लिख दी। अब ये बात राजा को भी पता चल गई। राजा ने अपनी कन्या की विदाई नहीं की और बारात को वापस लौटा दिया। Somvar vrat katha in hindi
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उधर मामा भांजे काशी की ओर बढ़ गए। कुछ समय में साहूकार के बेटे की शिक्षा भी संपन्न हो गई और उसकी आयु भी 12 वर्ष पूरी हो गई। शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने काशी में एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन इस दौरान बालक की तबीयत खराब हो गई। मामा ने उसे आराम करने के लिए भेज दिया। बालक का समय पूरा हो चुका था इसलिए लेटते ही उसकी मृत्यु हो गई। भांजे को मृत देख मामा ज़ोर – ज़ोर से रोने लगा। तभी वहां से शिव भगवान और मां पार्वती गुज़र रहे थे। रोने की आवाज़ें सुनकर माता पार्वती परेशान हो गई और उन्होंने शिव जी से अनुरोध किया कि वो इसके दुख को दूर करें। जब शिव जी ने उस मृत बालक को देखा तो उन्होंने पार्वती जी से कहा कि यह तो उसी साहूकार का लड़का है जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का ही वरदान दिया था। अब इसका समय पूरा हो गया है। तब मां पार्वती ज़िद्द पर अड़ गईं कि इस बालक को आप जीवन का दान दें। मां पार्वती की बात सुनकर शिव जी ने उस लड़के को जीवित कर दिया। ये देखकर मामा की खुशी का ठिकाना न रहा। अब ये दोनों अपने नगर लौटने लगे, तभी रास्ते में जिस नगर में उसका विवाह हुआ था वह राजा यज्ञ करवा रहा था और साहूकार के बेटे को राजा ने पहचान लिया और अपनी पुत्री को उसके साथ विदा करके भेज दिया।
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उधर साहूकार और उसकी पत्नी भोजन, जल छोड़ चुके थे और संकल्प कर चुके थे कि यदि उन्हें पुत्र की मृत्यु का समाचार मिला तो वे जीवित नहीं रहेंगें। उसी रात सपने में साहूकार को शिव जी ने दर्शन दिए और कहा कि हे भक्त तुम्हारी श्रद्धा व भक्ति को देखकर, सोमवार का व्रत रखने व कथा करने से मैं प्रसन्न हूं और तुम्हारे पुत्र को दीर्घायु का वरदान देता हूं। अगले ही दिन पुत्र को देखकर खुशी के मारे उनकी आंखे झलक आयी और साहूकार ने भगवान शिव व माता पार्वती को नमन किया।
बस तभी से ये कहा जाता है कि सोमवार का व्रत करने व कथा सुनने – पढ़ने से व्रती की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
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