1857 से 1947: जानिए स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएं जिन्हें जानना आपके लिए है ज़रूरी
Timeline of Indian freedom movement from 1857 to 1947 – ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी हासिल करने के लिए 1857 से लेकर 1947 तक कई जन आंदोलन चले, जिन्होंने देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तो चलिए आपको बताते हैं स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएं जिन्हें जानना आपके लिए है ज़रूरी।
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1857 | 1857 का विद्रोह मेरठ में सैन्य कर्मियों के विरोध से शुरू हुआ था। यह तेज़ी से कई राज्यों में फैल गया। इस विद्रोह को इतिहासकारों ने भारतीय स्वतंत्रता का पहला संग्राम कहा। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये विद्रोह असफल रहा था। |
1864 | सैयद अहमद ने अनुवाद सोसाइटी की स्थापना की जो बाद में द साइंटिफिक सोसाइटी में बदल गई| यह सोसाइटी अलीगढ़ में स्थित थी और विज्ञान अन्य विषयों की अंग्रेजी पुस्तकों का उर्दू भाषा में अनुवाद कर उन्हें प्रकाशित करती थी। सामाजिक सुधार से संबंधित उदारवादी विचारों को प्रसारित करने के लिए एक अंग्रेजी-उर्दू पत्र भी निकालती थी| |
1875 | इंडियन लीग की स्थापना की गई। इंडियन लीग की शुरुआत शिशिर कुमार घोष ने जनता के बीच राष्ट्रवाद की भावना को जगाने के उद्देश्य से की। |
1878 | वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट वाइसराय लिटन द्वारा 1878 ई. में पास हुआ। इस एक्ट ने भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाले सभी समाचार पत्रों पर नियंत्रण लगा दिया था। |
1883-84 | इल्बर्ट बिल 1984 में पारित किया गया। वायसराय लॉर्ड रिपन के इस बिल का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और भारतीय प्रजा के बीच जाति भेदभाव दूर करना था। बिल में भारतीय जजों और मजिस्ट्रेटों को भी अंग्रेज़ अभियुक्तों के मामलों पर विचार करने के अधिकार का प्रस्ताव किया गया था। |
1885 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर, 1885 ई. में मुंबई में ‘गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज’ में की गई थी। मात्र 72 राजनीतिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से हुई थी स्थापना।
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1905 | बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी। विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से बंगाल को दो भागों में बांटने का निर्णय लिया गया था। |
1906 | 1906 में भारतीय मुसलमानों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए मुस्लिम लीग की स्थापना की गई। |
1907 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ। सन 1907 के सूरत सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दो समूहों चरमपंथी और उदारवादी में विभाजित हो गई। |
1908 | क्रांतिकारी खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को फांसी पर लटकाया गया। उस समय वो मात्र 18 साल के थे। खुदीराम ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन किए थे। |
1909 | भारत परिषद अधिनियम 1909 को मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है|1905 में लॉर्ड मिंटो को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया और जॉन मार्ले को भारत सचिव के रूप में नियुक्त किय| इन्हीं दोनों के नाम पर इस अधिनियम का नाम रखा गया। इस अधिनियम द्वारा विधायी परिषदों में कुछ सुधार किए और ब्रिटिश भारत के शासन में सीमित रूप से भारतीयों की भागीदारी में वृद्धि की, साथ ही ब्रिटिश हुकूमत के कार्यों में भारतीय लोगों की भागीदारी में वृद्धि हुई| |
1910 | प्रेस एक्ट का निर्माण अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से कट्टरपंथी भारतीय राष्ट्रवाद के प्रभाव को कम करने के लिए किया गया। इसमें किसी भी उल्लंघन के मामले में भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान था।
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1911 | 12 दिसंबर 1911 को लॉर्ड हार्डिंग ने हिंदू आंदोलन के कारण और आर्थिक कारणों से भी बंगाल का विभाजन रद्द करने की घोषणा की। |
1916 | बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेन्ट ने काउंसिल द्वारा एक ऐसी सरकार की स्थापना करने का लक्ष्य रखा, जिसके सदस्य भारतीयों द्वारा चुने गए थे।
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1916 | दिसंबर 1916 को लखनऊ में आईएनसी और मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ समझौता हुआ। इसे 29 दिसम्बर को लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा और 31 दिसम्बर, 1916 को लीग द्वारा पारित किया गया। इस समझौते में भारत सरकार के ढांचे और हिन्दू तथा मुसलमान समुदायों के बीच संबंधों के बारे में प्रावधान था। |
1917 | चंपारण सत्याग्रह एक किसान विद्रोह था जो बिहार के चंपारण में हुआ था। ये भारत का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन कहलाया। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। |
1918 | भारत की पहली ट्रेड यूनियन 27 अप्रैल 1918 में बनी जिसका नाम था ‘मद्रास लेबर यूनियन। मद्रास में वी.पी.वाडिया ने मिल मज़दूरों के साथ मिल कर इसका गठन किया था। |
1919 | मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार- भारत में ब्रिटिश सरकार द्वार धीरे-धीरे भारत को स्वराज्य संस्थान का दर्ज़ा देने के लिए पेश किये गए सुधार थे।
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1919 | प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, 16 फरवरी 1919 को, ब्रिटिश सरकार द्वारा सार्वजनिक अशांति को नियंत्रित करने और किसी भी संभावित साजिश को जड़ से समाप्त करने के लिए रॉलेट एक्ट पारित किया गया। |
1919 | जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल थे। इस दौरान ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर अपने सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया और सैनिकों ने बाग को घेरकर निहत्थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस दौरान कई हिन्दुस्तानी लोगों की जान चली गई। |
1920-22 | यह ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण चरण था। इसका उद्देश्य भारत में अहिंसक साधनों या “सत्याग्रह” के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध करना था। |
1922 | चौरी चौरा कांड गोरखपुर के चौरी चौरा में 4 फरवरी को हुआ। इसमे तीन आम नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। |
1923 | स्वराज पार्टी का गठन 9 जनवरी 1923 को आईएनसी और अन्य भारतीय राजनेताओं के सदस्यों द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य भारत को स्वराज्य दिलाना साथ ही असहयोग आन्दोलन को सफल बनाना था। |
1925 | काकोरी कांड एक ट्रेन डकैती थी जो 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पैसा पाने के लिए काकोरी में हुई थी। इस के चलते ठाकुर रोशन सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और अशफाकउल्ला खान को मृत्युदंड दिया गया था।
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1927 | साइमन कमीशन का गठन भारत सरकार अधिनियम 1919 के कामकाज की समीक्षा करने के लिए किया गया था जिससे प्रशासनिक और संवैधानिक सुधारों का सुझाव दिया जा सके। |
1928 | द्वैध शासन प्रणाली तथा संवैधानिक सुधारों के व्यावहारिक रूप की जांच के लिए और उत्तरदायी सरकार की प्रगति से संबंधित मामलों पर सिफारिश करने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा एक आयोग ने गठन की व्यवस्था की गयी। इसी प्रावधान के अनुसार 1927 में साईमन आयोग का गठन किया गया। |
1929 | 8 अप्रैल, 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा में बम फेंके थे। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने पुलिस को ज़्यादा पावर देने के लिए एक डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट पास किया। |
1929 | 19 दिसंबर 1929 को आईएनसी ने लाहौर अधिवेशन में ऐतिहासिक पूर्ण स्वराज’ प्रस्ताव पारित किया। |
1930 | सिविल डिसऑबेस आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च से हुई, जिसे महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है। ये 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक चला। |
1930 | चटगांव छापा- 8 अप्रैल 1930 को भारत के महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में सशस्त्र भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चटगांव में पुलिस और सहायक बलों के शस्त्रागार पर छापा मार कर उसे लूटने का प्रयास किया गया था। इसे चटगांव शस्त्रागार छापा या चटगांव विद्रोह के नाम से जाना जाता है।![]() |
1930-31 | साइमन रिपोर्ट की अपर्याप्तता के कारण, 1929 में रैमसे मैकडोनाल्ड के तहत सत्ता में आई लेबर सरकार ने लंदन में गोलमेज सम्मेलन की श्रंखला आयोजित करने का निर्णय लिया। पहला गोलमेज सम्मेलन 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक आयोजित किया गया था। |
1931 | Gandhi–Irwin Pact – 5 मार्च 1931 को लंदन द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के पूर्व महात्मा गांधी और तत्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन के बीच एक राजनैतिक समझौता हुआ जिसे गांधी-इरविन समझौता (Gandhi–Irwin Pact) कहते हैं। कराची अधिवेशन – 26-31 मार्च तक आयोजित कराची अधिवेशन की अध्यक्षता सरदार पटेल ने की थी। कांग्रेस ने एक संकल्प को अपनाया, जिसे मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति पर कराची संकल्प के रूप में जाना जाता है। आयोजित द्वितीय गोल सम्मेलन- 7 सितंबर 1931 को आयोजित द्वितीय गोल सम्मेलन में गांधी, सरोजिनी नायडू, मदन मोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, मैसूर के सर मिर्ज़ा इस्माईल दीवान, मुहम्मद इक़बाल, सर सैयद अली इमाम और एस के दत्ता ने भाग लिया। |
1932 | पूना अधिनियम पर महात्मा गांधी के आमरण अनशन को तोड़ने के लिए पुणे के यरवदा सेंट्रल जेल में पंडित मदन मोहन मालवीय, डॉ. बी आर अम्बेडकर और कुछ अन्य दलित नेताओं ने हस्ताक्षर किए। अधिनियम ने प्रांतीय और केंद्रीय विधान परिषद में दबे हुए वर्गों को आरक्षित सीटें दीं। 17 नवंबर, 1932 को तीसरा गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया। |
1935 | यूनाइटेड किंगडम की संसद के अधिनियम ने वर्ण व्यवस्था को समाप्त कर दिया और भारत संघ की स्थापना करने का प्रावधान किया। हालाँकि, रियासतों की आवश्यक संख्या की कमी के कारण महासंघ कभी अस्तित्व में नहीं आया। |
1939 | नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना की थी जिसने कांग्रेस को दो हिस्सों में बांट दिया था। फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना के कुछ दिनों बाद ही नेताजी को कांग्रेस से निकाल दिया गया था। |
1940 | 8 अगस्त 1940 को वायसराय लार्ड लिनलिथगो द्वारा अगस्त प्रस्ताव पेश किया गया था। इसमे मुस्लिमों के हितों का उल्लेख किया गया तथा यह बताया गया था कि बिना अल्पसंख्यकों की स्वीकृति के सरकार कोई भी संवैधानिक परिवर्तन लागू नहीं कर सकती है।![]() |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन, ये अगस्त आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। महात्मा गांधी द्वारा 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बॉम्बे सत्र में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग की गई थी। |
1942 | क्रिप्स मिशन- मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया एक मिशन था जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के समय अपने लिए भारत का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था। इंडियन इंडिपेंडेस लीग- इंडियन इंडिपेंडेस लीग 1920 के दशक से 1960 के दशक तक चला राजनीतिक संगठन था। इसका उद्देश्य प्रवासी भारतीयो को भारत में ब्रिटिश राज हटाने के लिये प्रेरित करना था। इसकी स्थापना भारतीय क्रांतिकारी नेता रास बिहारी बोस और जवाहरलाल नेहरू ने की थी। लीग ने बाद में आज़ाद हिंद फौज के गठन का मार्ग प्रशस्त किया। |
1945 | शिमला सम्मेलन- जब विश्व युद्ध 2 समाप्त हो गया, तो लॉर्ड वेवेल ने एक राजनीतिक सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया, जहां उन्होंने मुस्लिम लीग और कांग्रेस के प्रतिनिधियों को भारत में संवैधानिक गतिरोध को तोड़ने के लिए वेवेल योजना की घोषणा करने के लिए आमंत्रित किया। गतिरोध इसलिए था क्योंकि कांग्रेस एक अखंड भारत चाहती थी जबकि मुस्लिम लीग विभाजन चाहती थी। |
1946 | कैबिनेट मिशन- वर्ष 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्य- लार्ड पैथिक लारेंस (भारत सचिव), सर स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा ए.वी. अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) थे। इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिए गये थे। इसका कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिये, उपायों एवं संभावनाओं को तलाशना था। |
1947 | माउंटबेटन योजना – लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के विभाजन और सत्ता के त्वरित हस्तान्तरण के लिए भारत आये। 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना पारित की गई। माउंटबेटन योजना का मुख्य प्रस्ताव था कि भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जायेगा। |
1947 | भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम – यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट द्वारा पारित वह विधान है जिसके अनुसार ब्रिटेन शासित भारत को दो भागों (भारत तथा पाकिस्तान) में विभाजन किया गया। इस योजना को ब्रिटिश संसद ने 5 जुलाई, 1947 को पारित किया था।![]() |
15 Aug 1947 | भारत का स्वतंत्रता दिवस- 15 अगस्त 1947 को भारत को आखिरकार आज़ादी मिली गई और इस दिन से भारत हमेशा के लिए आज़ाद हो गया। |
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