देखिए वाराणसी के इन खूबसूरत घाट के नजारों को, यहाँ आकर मिलता है सुकून
Top 5 Ghats of Varanasi in hindi – वाराणसी, भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से है जिस वजह से यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। वारणासी में 100 से भी अधिक घाट हैं जिनका उपयोग स्नान व पूजा—अर्चना के लिए किया जाता है। वाराणासी में अधिकतर घाट 1700 ईस्वी से बने हैं, जब यह शहर मराठा साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। यहाँ हर घाट की अपनी ही कहानी है। हिन्दुओं का मानना है कि वाराणसी में शरीर त्याग करने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है।
Top 5 Ghats of Varanasi in hindi
अस्सी घाट
- वाराणसी के दक्षिण में अस्सी घाट स्थित है। सुबह के समय में यहां हर रोज 300 लोग स्नान के लिए आते हैं और त्योहार के समय में 2500 लोग हर घंटे आते हैं।
- यह वह स्थान है जहां गंगा नदी, अस्सी नदी से मिलती है।
- हिन्दुओं का मानना है कि सदी के महान कवि तुलसी दास को मोक्ष इसी घाट में प्राप्त हुई। जिस वह से इस घाट की धार्मिक विशेषता बढ़ जाती है।
- 2013 में आई बालीवुड फिल्म रांझना की शूटिंग के कुछ सीन इसी घाट पर शूट किए गए थे।
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दरभंगा घाट
- दरभंगा घाट भगवान शिव की आस्था के लिए जाना जाता है। यह वाराणसी के सबसे बड़े घाट में से एक है।
- यह घाट बिहार के शासक दरभंगा के नाम से आया जिन्होनें इस घाट का निमार्ण किया।
- दरभंगा घाट, चौसट्टी घाट व बबुआ पांडेय घाट के मध्य में स्थित है।
दशाश्वमेध घाट
- यह घाट वाराणसी का प्रमुख घाट है जो शहर के मध्य में स्थित है। लोगों का मानना है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव के स्वागत में इस घाट का निर्माण किया।
- भगवान ब्रह्मा ने 10 अश्वों की बलि दी जिसके बाद अश्व मेघ यज्ञ यहीं किया गया।
- शाम के समय गंगा आरती का नजारा बेहद शानदार होता है जिसे देखने के लिए दूर—दूर से श्रद्धालु आते हैं।
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मणिकर्णिका घाट
- मतृ मानव का अंतिम संस्कार इसी घाट पर किया जाता है। यहां अंतिम संस्कार करने से मृत व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
- मणिकर्णिका घाट से आपको तकरीबन सभी घाट का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है।
- पार्वती जी का कर्ण फूल इसी घाट के कुंड पर घिरा था जिसे ढूंढने के लिए भगवान शिव यहां आए थे। तभी से इस घाट का नाम मणिकर्णिका रखा गया।
सिंधिया घाट
- यह घाट 150 वर्ष पूर्व बना हुआ है जिसे शिन्दे घाट के नाम से भी जाना जाता है।
- हिन्दु धर्म के अनुसार इस घाट पर अग्नि का जन्म हुआ था।
- इस घाट पर भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था जो धीरे—धीरे गंगा में विलीन हो गया है।
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