भगवान गणेश जी के कुछ अनसुने रहस्य
Unknown facts about Ganesha in Hindi – Ganesh ji ki ansuni baatein – कहते हैं सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर भगवान गणेश अपने भक्तों के सारे कष्टों को हर लेते हैं और उनके जीवन में खुशियां भर देते हैं। आज हम आपको भगवान गणेश जी के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताएंगे जिसके बारे में शायद ही आप जानते हों।
Unknown facts about Ganesha in Hindi – Ganesh ji ki ansuni baatein
गणेश जी की दो पत्नियां थी
- भगवान गणेश की ‘रिद्धि और सिद्धि‘ नाम की दो पत्नियां हैं, साथ ही दो पुत्र भी हैं जिनका नाम ‘शुभ और लाभ‘ है।
Unknown facts about Ganesha in Hindi
गणेश जी की बहन थी अशोक सुन्दरी
- धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि गणेश जी की एक बहन भी थीं जिसका नाम अशोक सुन्दरी था।
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प्रिय पुष्प
- भगवान गणेश को लाल रंग के फूल बहुत पसंद हैं।
प्रिय वस्तु दुर्वा– दूब
- गणेश जी को दूब या ‘दुर्वा‘ घास बहुत पसंद है। गणेश पूजन में दूब का इस्तेमाल किया जाता है।
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गणेश जी को मोदक पसंद हैं
- गणेश पूजन में जब तक उन्हें मोदक का प्रसाद नहीं चढ़ता तब तक उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि यह इनका प्रिय भोग है।
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अन्य धर्मों में भी होती है गणेश जी की पूजा
- भगवान गणेश की पूजा सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी की जाती है। बौद्ध धर्म में गणेश को विनायक के रूप में जाना जाता है। तिब्बत, चीन और जापान जैसे देशों में गणपति की बड़े धूम धाम से पूजा की जाती है।
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बड़े बड़े कान
- गणपति जी के बड़े बड़े कानों का रहस्य है कि वह सबकी सुनते हैं पर निर्णय अपनी बुद्धि से लेते हैं। बड़े कान इस ओर भी इशारा करते हैं कि बुरी बातों को त्याग कर अच्छी बातों को अपने कानों में डालना चाहिए।
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लम्बी सूंड
- गणपति जी की लम्बी सूंड दूर से ही आने वाली परेशानियों को पहचान लेती है, जिससे उन्हें आने वाले संकट का पहले से ही पता चल जाता है।
टूटा दाँत
- टूटा दाँत उनकी बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है। इसी दांत से उन्होंने महाभारत लिखी थी।
शुभ का प्रतीक है इनके शरीर के दो रंग – ganesh ji ke rahasya
- गणेश जी के शरीर के दो रंग हैं, जिनमें से लाल रंग समृद्धि का और हरा रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसी के चलते कहा जाता है कि इनके अंदर शक्ति और समृद्धि का वास है।
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अच्छे लेखक हैं गणेश जी – ganesh ji ke rahasya
- जब वेदव्यास ने महाभारत की रचना का प्रारंभ किया तो उन्होंने गणेश भगवान से आग्रह किया कि वो महाभारत के लेखक बनें। गणेश जी ने उनकी बात मान तो ली, लेकिन साथ ही एक शर्त भी रख दी। गणेश जी ने महर्षि से कहा कि वह लिखते समय एक क्षण के लिए भी रुकेंगे नहीं। बिना रुके पूरी महाभारत लिखेंगे और महर्षि ने उनकी इस बात को मान लिया।
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गणपति पूजा में तुलसी क्यों वर्जित है
- गणेश जी विवाह से बचने के लिए तपस्या कर रहे थे। तभी तुलसी वहां आईं और गणेश जी की तपस्या भंग करने लगीं। जैसे ही गणेश जी की तपस्या भंग हुई तो उन्होंने क्रोध में आकर तुलसी को श्राप दिया कि अगले जन्म में तुम एक पौधा बनोगी और एक असुर से तुम्हारा विवाह होगा। इसे सुनकर तुलसी को भी गुस्सा आ गया और उसने भी गणेश जी को श्राप दिया कि जिस फल को प्राप्त करने के लिए तुम ये तपस्या कर रहे हो, वह पूरा ना हो और तुम्हारी जल्द ही दो शादियां हों इसलिए गणपति जी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती।
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गणपति के इन अंगों के दर्शन करने से अशुभ होता है – ganesh ji ke rahasya
- शास्त्रों के अनुसार गणपति जी के जो अंग वस्त्र और आभूषणों से ढके हुए हैं, उन अंगों को देखना वर्जित है। अगर किसी की गलती से इन अंगों पर नज़र चली जाती है, तो उसके साथ कुछ अशुभ हो सकता है।
- पीठ– गणपति की पीठ में दरिद्रता का वास होता है इसलिए गणपति की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।
- नाभि – गणपति की नाभि को देखने से मानसिक विकार आते हैं। यह मन को अशांत करती हैं।
- कंठ – गणपति के कंठ के दर्शन से कंठ के रोग हो सकते हैं, इसलिए इनके कंठ को भी नहीं देखना चाहिए।
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