Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi – वट पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi – Vat Purnima 2022 In Hindi – हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के व्रत तथा अनुष्ठान इत्यादि किए जाते हैं जो किसी ना किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु अथवा किसी विशेष उद्देश्य हेतु धारण किए जाते हैं। धार्मिक व्रतों की उसी सूची में वट सावित्री व्रत का नाम भी शामिल है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलायें पूरी निष्ठा तथा आस्था के साथ रखती हैं। साल में दो बार वट सावित्री व्रत किया जाता है। एक बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को, तो कुछ जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का वट पूर्णिमा व्रत 14 जून 2022 को रखा जाएगा। तो चलिए आपको विस्तार से बताते हैं वट पूर्णिमा व्रत की कथा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में।
Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi
वट पूर्णिमा व्रत कथा ? Vat Purnima Vrat katha in hindi
सावित्री अश्वपति की कन्या थी, जिसने सत्यवान को पति रूप में स्वीकार किया था। सावित्री का पति सत्यवान लकड़ियां काटने के लिए जंगल में भ्रमण किया करता था। सावित्री पहले घर में अपने नेत्रहीन सास-ससुर की सेवा करती फिर सत्यवान के पीछे जंगल में चली जाती थी। एक दिन की बात है, सत्यवान को लकड़ियां काटते समय अचानक चक्कर आ गया और वह पेड़ से उतरकर नीचे बैठ गया। उसी समय वहां यमराज भैंसे पर सवार होकर सत्यवान के प्राण लेने के लिए आ पहुंचे। सावित्री ने उन्हें पहचान लिया और सावित्री उनसे कहने लगी कि आप मेरे सत्यवान के प्राण न लीजिए लेकिन यमराज ने सावित्री की कोई बात नहीं मानी और अंततः सत्यवान के प्राण लेकर आगे जाने लगे। अपने पति के प्राण ले जाते देख यमराज के पीछे पीछे सावित्री भी चलने लगी व यमराज से सत्यवान के प्राण लौटाने की प्रार्थना करने लगी। यमराज ने कई बार उसे मना किया व वापस लौटने को कहा, मगर सावित्री फिर भी वापस नहीं लौटी। सावित्री के पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान के रूप में उसके अंधे सास-ससुर को आंखें प्रदान की और सावित्री को 100 पुत्र होने का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को जीवित कर दिया। यही कारण है कि वट वृक्ष से जुड़ी इस कहानी के अनुसार महिलाएं इस दिन को वट अमावस्या के रूप में पूजती हैं।
Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi
वट पूर्णिमा के दिन कैसे करें पूजा? – Vat Purnima Vrat Puja Vidhi In Hindi
- वट पूर्णिमा व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं वट के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी उम्र की प्रर्थना करती हैं।
- इस दिन घर से महिलाएं सज-धजकर कर निकलती हैं और वे वटवृक्ष के नीचे खड़े होकर पूजन करती हैं।
- विभिन्न स्थानों पर वट वृक्ष की पूजा के लिए महिलाएं घरों से ही गुलगुले, पूड़ी, खीर व हलवा के साथ सुहाग का समस्त सामान लेकर पहुंचती हैं।
- कई स्थानों पर महिलाएं जल, पंचामृत भी लेकर जाती हैं।
- इस पूजन में वटवृक्ष के 3 या 5 फेरे लगाकर कच्चे धागे को पेड़ पर लपेटकर वस्त्र सहित चंदन, अक्षत, हल्दी, रोली, फूलमाला, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी इन्हें पहनाकर पति की लंबी उम्र के लिए वट से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- इस वट सावित्री व्रत का महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए सर्वाधिक है।
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Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi
वट पूर्णिमा व्रत 2022 शुभ मुहूर्त – vat purnima vrat shubh muhurat
- वट सावित्री व्रत की पूर्णिमा की तिथि – 13 जून, 2022 दोपहर 1:42 से शुरू
- वट सावित्री व्रत की पूर्णिमा की तिथि का समापन – 14 जून, 2022 को सुबह 9:40 तक।
- वट सावित्री व्रत की पूर्णिमा के दिन शुभ योग – 14 जून, 2022 सुबह 9:40 मिनट से 15 जून, 2022 सुबह 5:28 तक रहेगा।
वट पूर्णिमा व्रत का महत्व – vat purnima vrat mahatva in hindi
यह व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है जिसको रखने से महिलाओं को ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों शक्ति मिलकर महिलाओं को सुहागिन होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। जो महिलाएं संपूर्ण आस्था व विश्वास के साथ वट वृक्ष के नीचे इस वट अमावस्या के दिन पूजा पाठ, व्रत इत्यादि करती हैं, उनको विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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Vat Purnima Puja Vidhi In Hindi
वट पूर्णिमा पूजा से जुड़े रीति रिवाज़
- इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्य निकलने से पहले आंवला और तिल के साथ स्नान करती हैं।
- महिलाएं 16 शृंगार करके तैयार होती हैं।
- इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की जड़ों का सेवन भी करती हैं, अगर व्रत 3 दिन लगातार रखते हैं तो पानी का सेवन भी किया जा सकता है।
- इस पूजा के बाद पेड़ के चारों तरफ महिलाओं द्वारा लाल या पीले रंग का धागा बांधा जाता है, उसके बाद पेड़ पर चावल, फूल और पानी चढ़ाते हैं।
- यदि आस पास बरगद का पेड़ मौजूद नहीं होता है, तो आप लकड़ी पर चंदन का पेस्ट या हल्दी की मद्द से पेड़ का चित्र बनाकर उस पर समस्त रीति रिवाज़ों को पूरा कर सकते हैं।
- पूजा होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद बांट दिया जाता है।
- प्रसाद देने के बाद घर की महिलाएं अपने घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- इस दिन अधिकतर लोग गरीबों को कपड़े, भोजन, फल आदि वस्तुओं को उपहार स्वरूप भेंट भी करते हैं।
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