Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi – जानिए, वट सावित्री व्रत पूजा विधि, महत्व और कथा
Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi- Vat Savitri Vrat Puja Vidhi Shubh Muhurat In Hindi – हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के व्रत तथा अनुष्ठान इत्यादि किए जाते हैं जो किसी ना किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु अथवा किसी विशेष उद्देश्य हेतु धारण किए जाते हैं। धार्मिक व्रतों की उसी सूची में वट सावित्री व्रत का नाम भी शामिल है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलायें पूरी निष्ठा तथा आस्था के साथ रखती हैं। तो चलिए आपको विस्तार से बताते हैं वट सावित्री की कथा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में ।
Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi
वट सावित्री व्रत कथा? Vat Savitri Vrat katha in hindi
सावित्री अश्वपति की कन्या थी, जिसने सत्यवान को पति रूप में स्वीकार किया था। सावित्री का पति सत्यवान लकड़ियां काटने के लिए जंगल में भ्रमण किया करता था। सावित्री पहले घर में अपने नेत्रहीन सास-ससुर की सेवा करती फिर सत्यवान के पीछे जंगल में चली जाती थी। एक दिन की बात है, सत्यवान को लकड़ियां काटते समय अचानक चक्कर आ गया और वह पेड़ से उतरकर नीचे बैठ गया। उसी समय वहां यमराज भैंसे पर सवार होकर सत्यवान के प्राण लेने के लिए आ पहुंचे। सावित्री ने उन्हें पहचान लिया और सावित्री उनसे कहने लगी कि आप मेरे सत्यवान के प्राण न लीजिए लेकिन यमराज ने सावित्री की कोई बात नहीं मानी और अंततः सत्यवान के प्राण लेकर आगे जाने लगे। अपने पति के प्राण ले जाते देख यमराज के पीछे पीछे सावित्री भी चलने लगी व यमराज से सत्यवान के प्राण लौटाने की प्रार्थना करने लगी। यमराज ने कई बार उसे मना किया व वापस लौटने को कहा, मगर सावित्री फिर भी वापस नहीं लौटी। सावित्री के पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान के रूप में उसके अंधे सास-ससुर को आंखें प्रदान की और सावित्री को 100 पुत्र होने का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को जीवित कर दिया। यही कारण है कि वट वृक्ष से जुड़ी इस कहानी के अनुसार महिलाएं इस दिन को वट अमावस्या के रूप में पूजती हैं।
Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi
वट सावित्री व्रत के दिन कैसे करें पूजा? – Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi
- वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं वट के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी उम्र की प्रर्थना करती हैं।
- इस दिन घर से महिलाएं सज-धजकर कर निकलती हैं और वे वटवृक्ष के नीचे खड़े होकर पूजन करती हैं।
- विभिन्न स्थानों पर वट वृक्ष की पूजा के लिए महिलाएं घरों से ही गुलगुले, पूड़ी, खीर व हलवा के साथ सुहाग का समस्त सामान लेकर पहुंचती हैं।
- कई स्थानों पर महिलाएं जल, पंचामृत भी लेकर जाती हैं।
- इस पूजन में वटवृक्ष के 3 या 5 फेरे लगाकर कच्चे धागे को पेड़ पर लपेटकर वस्त्र सहित चंदन, अक्षत, हल्दी, रोली, फूलमाला, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी इन्हें पहनाकर पति की लंबी उम्र के लिए वट से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- इस वट सावित्री व्रत का महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए सर्वाधिक है।
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वट सावित्री व्रत 2022 शुभ मुहूर्त – vat savitri vrat shubh muhurat
- वट सावित्री अमावस्या सोमवार, मई 30, 2022 को
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 29, 2022 को 14:54 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त – मई 30, 2022 को 16:59 बजे
वट सावित्री व्रत का महत्व – vat savitri vrat mahatva in hindi
यह व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है जिसको रखने से महिलाओं को ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों शक्ति मिलकर महिलाओं को सुहागिन होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। जो महिलाएं संपूर्ण आस्था व विश्वास के साथ वट वृक्ष के नीचे इस वट अमावस्या के दिन पूजा पाठ, व्रत इत्यादि करती हैं, उनको विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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Vat Savitri Vrat Puja Vidhi In Hindi
वट सावित्री पूजा से जुड़े रीति रिवाज़
- इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्य निकलने से पहले आंवला और तिल के साथ स्नान करती हैं।
- महिलाएं 16 शृंगार करके तैयार होती हैं।
- इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की जड़ों का सेवन भी करती हैं, अगर व्रत 3 दिन लगातार रखते हैं तो पानी का सेवन भी किया जा सकता है।
- इस पूजा के बाद पेड़ के चारों तरफ महिलाओं द्वारा लाल या पीले रंग का धागा बांधा जाता है, उसके बाद पेड़ पर चावल, फूल और पानी चढ़ाते हैं।
- यदि आस पास बरगद का पेड़ मौजूद नहीं होता है, तो आप लकड़ी पर चंदन का पेस्ट या हल्दी की मद्द से पेड़ का चित्र बनाकर उस पर समस्त रीति रिवाज़ों को पूरा कर सकते हैं।
- पूजा होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद बांट दिया जाता है।
- प्रसाद देने के बाद घर की महिलाएं अपने घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- इस दिन अधिकतर लोग गरीबों को कपड़े, भोजन, फल आदि वस्तुओं को उपहार स्वरूप भेंट भी करते हैं।
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